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Writer1
बज़्म ए दुश्मन का डट कर सामना करना है, पतझड़ में भी नसीम -ए- बहार सजाना हैं, चाहे हलाहल पीना पड़े या आल्म ए नज़ा हो, ज़ज़्ब ए उल्फ़त में यक़ीनन कुछ कर दिखाना हैं। बज़्म ए दुश्मन: assembly of enemies नसीम -ए- बहार: spring bleeze आल्म ए नज़ा: मृत्यु की पीड़ा ज़ज़्ब ए उल्फ़त: absorption of love ♥️ कुछ क
kanchan Yadav
"" हर एक मुस्कान के पीछे सुकून हो जरूरी नहीं होता, दुनिया को दिखाने के लिए इंसान हंसता रहता, पर खुद अंदर ही अंदर दर्द में घूटता रहता, शानो शौकत की कमी नहीं है फिर भी इंसान अकेला होता, दर्द अपना बता सके ऐसा कोई , अपना उसके पास नहीं होता तनहाई मानसिक पीड़ा में धीरे से दम वो तोड़ देता, अपनी उस मुस्कान के पीछे न जाने कितने राज वो छोड़ देता मौत को गले लगाकर, हजार हजार प्रश्न छोड़ देता ।।"" @kanchan Rip 😔🙏🙏🙏🙏💐💐🙏🙏 #SushantSinghRajput ##मानसिक पीड़ा मृत्यु का द्वार
Prof.Anand Kumar
उत्तराखण्ड में सरकार आती जाती रहती है लेकिन बीपीएड व्यायाम अध्यापक की नियुक्ति के सम्बन्ध में काेई नही साेचता| बस सबकाे वाेट चाहिए | बीपीएड की पीड़ा |
sneh Kumar Singh
ह्रदय कराह उठा अपनो की तकलीफ देखकर।न जाने हो न ऐसा दिन। काश सभी को हृदय से लगा लु ऐसा हो हृदय का प्रेम। हृदय की पीड़ा।
Kumar Manoj Naveen
*पुलिस की पीड़ा* आपकी की तरह इंसान है हम, बेईमान होगें कुछ, क्योंकि आप में भी होंगे ऐसे जन। लाख बुराई करलो, बुरे समय में काम आते हैं हम। दंगो में, झगड़े में अपनी जान देकर भी बचाते हैं हम।। दो पक्षों में से एक तो नाराज होगा ही। कानून के पालन में, सभी को खुश नहीं कर सकते हैं हम ।। कम बेतन, असुविधाओं के गम को छुपाकर भी, बनाए रखते हैं अनुशासन। रात-दिन, धूप-छांव, ठंडी-गर्मी, के बावजूद,खपाते हैं तन-मन।। पर्व -त्यौहार क्या होता है ये पता है पर, आपके मनाने को ही मान लेते हैं हम। परिवार, बच्चे तो सदा कोसते हैं, पिता, भाई, का फर्ज भी निष्ठा से नहीं निभा पाते हैं हम।। क्या आपको नहीं लगता, इस पृथ्वी पर अभिशाप हैं हम। क्योंकि आप तो मानते ही नहीं कि पुलिस के आलावा इंसान भी है हम।। पुलिस की पीड़ा
R K Mishra " सूर्य "
शब्दों की पीड़ा को आज कौन समझता है उसकी अंतरात्मा में झांककर कौन परखता है या तो तड़पकर दम तोड देता है या तो अपनो को छोड़ देता है चार कदम ही साथ में अपने कौन चलता है शब्दों की पीड़ा को........ रिश्तों की गरिमा राख हो गई जबसे चापलूसी आस पास हो गई बरगद के पेड़ के नीचे आखिर कौन पनपता है शब्दों की पीड़ा को....... फुरसत नहीं है अपनों के लिए सब जी रहे हैं सपनों के लिए "सूर्य" सत्य को परखकर अपना कौन कहता है शब्दों की पीड़ा को....... ©R K Mishra " सूर्य " शब्दों की पीड़ा
Ajay Kumar Mishra
*!!मेरे मन की पीड़ा हर ले रे तुम!!* -------- *दर्द भी तुम;दवा भी तुम,मर्ज भी तुम;मरीज भी तुम।* *अमीर भी तुम;फ़कीर भी तुम,दाता भी तुम;विधाता भी तुम।* *करीब भी तुम;दूर भी तुम,जगाता भी तुम;सुलाता भी तुम।* *कर्ता भी तुम;कारण भी तुम,साध्य भी तुम;साधक भी तुम।* *तृष्णा भी तुम;वितृष्णा भी तुम,छाया भी तुम;ताप भी तुम।* *फूल भी तुम;कांटा भी तुम,अनल भी तुम;सलिल भी तुम।* *गगन भी तुम;धरा भी तुम,अनिल भी तुम;आत्मा भी तुम।"* *मन भी तुम;मनोरथ भी तुम,तीरथ भी तुम;तीर्थराज भी तुम।* *अब थक चुका हूं;कह कह के तुम,मेरे मन की पीड़ा हर ले रे तुम।* 🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻 ©Ajay Kumar Mishra मन की पीड़ा।
S.R
कब चरण तुम्हारे देखूं, कब जन्म सुफल करी लेखू कब टेर के निकट बैठावो, कब अपना भाग्य मनाऊ। मेरी स्वामिनी प्यारी राधा, जय राधा रूप आगाधा (श्री भोरी सखी) ©S.R प्रेम की पीड़ा
R K YADAV
। शिक्षक की पीड़ा । *मेरा गुनाह इतना है मैंने समझाने की बात की, हर एक बच्चे को सही राह दिखाने की बात की। *मैने चाहा कि मेरा बच्चा छुए फलक के सितारे, मैंने तो चांद के लिए चंद्रयान बनाने की बात की। *हर बच्चे के सपनों के साथ अपने सपने जोड़े मैने, मैंने मिट्टी को सहला सुराही बनाने की बात की। *गर मैंने डाटा,फटकारा तो प्यार भी जताया होगा, कोयले को तपा ज्ञान में कुंदन बनाने की बात की। *मैंने तो मांगी थी सभी कॉपी और किताबे बैग भर, मैंने कब भला स्कूल मोबाइल मंगाने की बात की। *मुझे खुशी मिलती गर बच्चा ऑफिसर बन लौटता, कहां मैंने गुरु दक्षणा में हथकड़ी पहनाने की बात की। ©R K YADAV शिक्षक की पीड़ा