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Rehan Mafat
ये देश आंसुओं की बारिश में भीग रहा है, मगर किसीको कोई खबर नहीं। कितने हो गए दंगे, कितने शैतान हो रहे है, धर्म के नाम पर फिर युद्ध हो रहा है, मगर किसी को कोई खबर नहीं। कुर्सी क्या मिली वो जमीन भुल गए, आज का हर नेता अपनी ही मां को रुला रहा है, मगर किसी को कोई खबर नहीं। ना गांव बचा ना शहर, हमारे ही देश का एक अंग, मदद की गुहार लगा रहा है, मगर किसी को कोई खबर नहीं। #eleventhquote #गुहार
harshita palecha
"एक गुहार" क्योंकि मै भी एक बेटी हूँ... चलो आज फिर से इंसाफ की गुहार लगाते हैं आसिफ तो गई अब प्रियंका के लिए मोमबत्ती जलाते हैं चलो आज फिर से उस चौराहे पर जाम लगाते हैं स्टेटस पर हम आज प्रियंका का फोटो लगाते हैं फिर चंद दिनों में प्रियंका भुला दी जाएगी फिर कोई नई दामिनी सड़क पर नजर आएगी फिर उसको तन्हा देख तुम में हैवानियत जग जाएगी फिर उस परी की इज्जत उस चौराहे पर लूट ली जाएगी अब बेटियों को नहीं बेटो को बांध के रखना होगा उनके घर में भी एक बहन है उनको यह समझाना होगा बहुत हुआ अब सीता के लिए लंका जला दी जाएगी द्रोपति की इज्जत के खातिर महाभारत कर दी जाएगी. . . गुहार आजादी की. . .
Sunil yadav
तुमने मुझको उपजाया , झूठी दुनीया में लाया । झूठा प्यार दिखाकर, मुझसे खुब लाभ कमाया। मार दिया मेरे बेटे को, उसका भी हिस्सा खाया। मेरे दिल को चकना चूर किया , फिर अपनी नजर से दूर किया। ऐ मानव तेरा कृत्य देख, मैं अंदर से शर्मिंदा हूॅ। मत मारो अभी मैं जिंदा हूॅ। मत मारो अभी मैं जिंदा हूॅ। #गुहार बेजूबान की
Raj Purohit ji Bateshwar Dham Bah (Agra)
अगर मेरी बातों से कहीं तेरा दिल दुखा हो,तो दुआओं में तुम मेरी मौत मांग लेना,ये मेरा दिल सिर्फ तुम्हें चाहता है,इस बात को अपने दिल से न भूल जाना(R) दिल की गुहार #Sun
The Nidhi Sharma
"अब गिरफ्त में कर लो ऐ खुदा "मुझें" "मैं" खुद से आज़ाद होना चाहती हुँ ! #खुद #की #आज़ादी#की#गुहार#
sanjana-jp
लम्हा वो एक आया भी सहमा मुस्कुराता, और झकझोर के मन को चला गया फिर से। वो उत्तराखंड वाली चित्र आँखों में अभी तक चल ही रहा था, कि तुमने झकझोर दिया फिर से, ऐसा था कुछ वक़्त, कुछ ऐसा था मौसम। जो हवा तन को ना छू रही थी, वो ऐसी आयी कि मन को हिला दिया फिर से, ऐसा लगा कह रही है, कि सूकून हमें भी तुमने नहीं दिया, इसीलिए,अपनी गति से वक़्त आगे बढ़ाना पड़ा फिर से। मन बावरा अब मेरा भी हुआ हैं, जो ठहरने का नाम भी न लेता, मत कटों पेड़, अब कभी आऊँगी ना फिर से। वो एक आया भी सहमा मुस्कुराता, तो झकझोर के मन को चला गया फिर से, बोलियां भी खामोश कर दी , चुप्पियाँ जैसे यकायक हैं छा गयी। ना हो सका एहसास जो इस बात का की, पास इतने तुम कब आ गयी । बेचैनी की भी वो रात गुज़र जाती , एक नशा मन में चढ़ा हुआ था। देखते ही देखते कुछ ऐसा हुआ कि पूरा का पूरा दृश्य बदल गया फिर से। वो एक आया भी सहमा मुस्कुराता, तो झकझोर के मन को चला गया फिर से। नींद कोसो दूर थी वो गर्मी भी खफ़ा थी, मंथर गति से चाँद छुप रहा था गगन में। और हल्का उजाले में , धुँआ सा कुछ लग रहा था मन में। हद-अनहद से दूर कोसो जा चुकी थी, था नहीं कुछ भी तब दायरे में। बहती हुई तुम डूब गई फ़िर से, और इस तरह सागर नदी से मिल गया फिर से। वो एक आया भी सहमा मुस्कुराता, तो झकझोर के मन को चला गया फिर से।।।। #मौसम की गुहार, महाराष्ट्रा की तबाही,,