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raj chauhan
खुद से नफरत होती जा रही है वक़्त के साथ मुझे, मम्मा ठीक ही केहती थी मुझे.... लोगों को पहचानने नही आता तुझे😢। #मम्मा
संजय श्रीवास्तव
मेरी मां थी हर गम से बचा लेती थी रफू करके मुफलिसी छुपा देती थी न जाने कौन सा गुल्लक था जादू का मेरी परेशानी चुटकी में मिटा देती थी मेरी गलती पर कभी डाँटा भी नही उसने खुद तो रोती थी और मुझको रुला देती थी मां तुम थी तो मै बड़ा हो पाया ही नही रात में लोरी सुनाकर जो सुला देती थी मेरी कमाई पर हक भी जताया था संजय हाथ में लेकर फिर मुझको थमा देती थी संजय अम्मा
sandeep badwaik(ख़ब्तुल) 9764984139 instagram id: Sandeep.badwaik.3
भूखे पेट मर जाना मगर, ज़हर मत लेना ... छोड़ा गाँव गर, बदले और शहर मत लेना..। भेजा जिस ने है तुझॆ, ये उसका जिम्मा है... ज्यादा अक्लमंद न हो, एक फ़िकर मत लेना..। पंछी को क़फस से आज़ाद ही कर दिया जब... कैसा है,कहां है बेवजह ख़बर मत लेना..। रंगत जो देखना है सुबह और शाम मिलो... सूरज से बात का वक़्त दोपहर मत लेना..। आए है जिस लिए, काम चुपचाप करना है... जीवन,मौत एक सराय है ठहर मत लेना..। रुख पर इन गमों को पानी देना है ‘ख़ब्तुल’... आँख निकाल लेना किसी से नहर मत लेना..। - ख़ब्तुल संदीप बडवाईक ©sandeep badwaik(ख़ब्तुल) 9764984139 instagram id: Sandeep.badwaik.3 जिम्मा
Sunita Shanoo
उबल रहा था सूरज, धरती पिघल रही थी बिन बादल अम्मा की आँखें बरस रही थी अम्मा
Sangeeta Verma
सूना है वहाँ एक बूढी अम्मा की मौत हो गई थी पहले ये बहूत खूबसूरत घर था बहूत लोग ने खरीदने की कोशिश की पर उस बूढी अम्मा ने हमेशा मना कर देती बोलती " ये घर मेरी जान है जिस दिन ये मूझ से दूर हूआ समझ लेना मै मर गई " एक रोज उस अम्मा के बडे बेटे नै बीन बताये वो घर 2 करोड मे बेच दिया । 2 दिन बाद जीन लोगो ने घर खरीदा था वो आये और बोले "घर एक हफ्ते मे खाली कर देना हम को यहाँ होटल सेटप करना है " अम्मा बोल पडी " कोन सा घर किस का घर तेरे बाप ने बनवाया था क्या ये जो तू होटल बनायेगा" "अरे अम्मा आप के बडे बेटे ने ये घर मूझे 2 करोड मे बेच दिया है " ये सून कर अम्मा के पेरो जमीन ही न रही वो सीधा जाकर अपने रूम का दरवाज़ा बंद कर लिया दोनो बेटे दोनो बहू एक पोता छोटा एक पोती छोटी सब दरवाजा खूलवाने मे लग थे । पर अम्मा होतती तो दरवाजा खोलती ना अम्मा तो दूनियाँ छोड चूकी थी । बस तब से ये सुन्दर घर खण्डहर बन गया और होटल भी न बन सका क्योंकि अम्मा की आत्मा वहाँ भटकती है । ( चाँदनी) ©Sangeeta Verma अम्मा