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Divyanshu Pathak
हश्र के दिन सवाल पूछेंगे तुमसे ख़ल्के-ख़ुदा। तुम संभाल कर रखना अपने पास गवाही को । #इबादत #YourQuoteAndMine Collaborating with Dr Neelu Sameer जी : कठिन-शब्द- हश्र - प्रलय ख़ल्के-ख़ुदा = ईश्वर /भगवान
Saket Ranjan Shukla
होली की हार्दिक शुभकामनाएं रंगो से रंगा हो शमा सारा, माहौल में खुशहाली हो, मस्ती में डूबा मन, होठों पर मुस्कान की लाली हो, धमाचौकड़ी मची रहे घर-आँगन में हर्षोल्लास की, खाने को भी मालपुओं, गुझियों से सजी थाली हो, खेलें होली ऐसे कि बैरी भी दोस्त बने, बैर हार जाए, रूठे मनाने हैं, गुलाल ये आपसी खटास से पार पाए, न द्वेष न हो मन में किसी के, उमंग हो बस होली की, मीठे पकवानों से बोल मीठे हों, ईर्ष्या प्रेम से मात खाए, सुरक्षित ढंग से खेले रंग, खीझे न कोई हमारे खीवन से, मनाएँ होली अबकि ऐसे कि मिटे नकारात्मकता जीवन से। IG:— @my_pen_my_strength ©Saket Ranjan Shukla होली की हार्दिक शुभकामनाएं.! . कुछ कठिन शब्दार्थ 👇🏻 खीझना :— झुँझलाना, चिढ़ना, कुढ़ना (Geting Annoyed) खीवन :— मतवालापन, मस्ती (Fun/Enjoyment)
Divyanshu Pathak
आज फिर भीग कर आई है हवा। लगता है कहीं वफ़ा बरस रही है। गरज रहे हैं ज़ज़्बात बादलों के जैसे। बिजली एहसासों की कड़क रही है। चमकते हुश्न का चकाचौंध भारी है। इश्क़ नहीं बुल-हवस का दौर जारी है। खुली आँखों से ख़्वाब देखता रहता हूँ। कच्ची डोर लेकिन मैं खींचता रहता हूँ। ग़नीमत तो ये है कि तुम राही हो "पाठक"। मन्ज़िल मिलेगी रास्ते भी तकमील होने है। शुभरात्रि साथियो....😊💐💐💐 कठिन शब्दार्थ- बुल-हवस - इच्छाओं का लालच #तकमील - समाप्त ( पूर्ण ) #पाठकपुराण 🙏😊🍀🍀🍁🍁🍂🍀 #collabwithकोराकाग़ज़
Divyanshu Pathak
बनाया होगा मेरे लिए भी कोई दिलफ़रोज। मैं रोज़ सोचता हूँ होगी मुलाक़ात इमरोज़। हो मेरा उसके लिए दीन-ओ-दिल-अजीज़। मेरे दर को दैर कर दे हो वो ऐसा निमरोज़। कठिन शब्दार्थ- : दिलफ़रोज- हृदय में वसने वाला इमरोज़- आज दीन-ओ-दिल-अजीज़- अनन्य प्रेम दर- घर दैर- मन्दिर निमरोज़- सूर्य की तरह चमकीला
Saket Ranjan Shukla
पूर्ण विराम ख़ुबसूरती से शुरू कर दर्दनाक अंजाम देता हूँ, अपनी स्याही को भी कहाँ कभी आराम देता हूँ, लिख लेता हूँ गैरों के गुनाह भी ख़ुद के हिस्से में, क़लम के थक जाने तक ख़ुदको इल्ज़ाम देता हूँ, सिर्फ़ मैं क़सूरवार और सब शरीफ़ ही नज़र आएँ, जज़्बातों के सहारे पंक्तियों को ऐसे आयाम देता हूँ, ज़ख्म जितने मिले उनको भुला तो पाता नहीं कभी, फ़िर भी गैरों को शब्दों के सहारे नयनाभिराम देता हूँ, दर्द को दवा पढ़ें, पढ़ने वाले “साकेत" के अल्फ़ाजों में, अपने क़िस्सों को मैं कुछ इस तरह से पूर्ण विराम देता हूँ। IG:— my_pen_my_strength ©Saket Ranjan Shukla पूर्ण विराम..! #life #story #poetry #writer #स्याहीकार #my_pen_my_strength #AWritersStory #Hindi #poem #Poetry कुछ कठिन शब्दार्थ अंजाम :—
Saket Ranjan Shukla
पागल हो या सयाने तुम पिंजड़े में पर फैलाने को कहते हो, तूफ़ान में दीप जलाने को कहते हो, हो पागल या बहुत ही सयाने हो तुम, काँटो से ज़ख्म सिलाने को कहते हो.! IG:— @my_pen_my_strength ©Saket Ranjan Shukla पागल हो या सयाने तुम..? . . ➺➺➺➺➺➺➺➺➺➺➺➺ कुछ कठिन शब्दार्थ 👇🏻 सयाना:— चालाक, होशियार (Wise/Inteligent) ➺➺➺➺➺➺➺➺➺➺➺➺➺➺➺➺➺➺➺ ✍🏻Saket Ranjan S
Divyanshu Pathak
चाहे जितनी तफ़तीश कर लीजिए हमारी। मुझ जैसे क़िरदार बहुत कम मिलते हैं। कूद पड़ते हैं इश्क़ के समंदर में बे-परवाह! इस तरह के दिलदार बहुत कम मिलते हैं। महफ़िल मोहब्बत की रोशन करने के लिए! जो हबीब के हाथों चराग़ बनकर जलते हैं। पूछ लो गवाही देगी ये सितारों भरी रात! ये हमको चाँद आपको चाँदनी समझते हैं। फ़सुसुर्दा देखकर हमको लगे आँसू बहाने! 'पंछी' वे आँसू ही तो रात में ओस बनते हैं। मैं किसी भी तरह की ग़ज़ल या शायरी लेखन के बारे में कुछ नहीं जानता हूँ। बस शब्दों को पकड़कर जोड़ने लगता हूँ। जो गाने गुनगुनाने में सरल हो बस वही
Divyanshu Pathak
लम्हा लम्हा बेचैनी है कतरा कतरा ये ग़म सहता। दर्द भरा मेरी धड़कन में उसको मैं किससे कहता। इश्क़ मोहब्बत प्यार वफ़ा बातों ही बातों में बाक़ी। मीना ख़ाली होते ही तो साग़र टूटा छूटी साक़ी। ये खेल जफ़ाओं से बिगड़ा सैयाद बने बैठे हैं सब! जाल बिछाकर पिंजरे में पंजा फ़ंसजाए जाने कब। मन के गलियारे में छिटपुट नूर कोई भरआया तो, गले लगा कर हमको अपने चूरचूर कर आया जो। टूट चुके इन धागों का अब एक सिरा ही बाक़ी है। बाक़ी है जो एक सिरा वह जुड़ने को नाकाफ़ी है। OPEN FOR COLLAB ✨ #ATदर्दभराहै • A Challenge by Aesthetic Thoughts! ♥️ Collab with your soulful words.✨ Transliteration: Bahut dard bh
Saket Ranjan Shukla
ईर्ष्या के वश में हो तुम और अधिक ख़ून तो अपना जलाऊँगा नहीं, तुम्हें तुम्हारी ही हदें फ़िर से समझाऊँगा नहीं, तुम बस ईर्ष्यावश मुझसे उलझना चाह रहे हो, तुम्हारी चुनौतियों पे मैं गौर भी फ़रमाऊँगा नहीं, बुद्धिहीनों सा जो व्यवहार कर रहे हो तुम निरंतर, माफ़ करना मगर अति, माफ़ भी कर पाऊँगा नहीं, तुम खो चुके हो ख़ुद को भी, मुझ सा बनने के लिए, तुम्हें कोई प्रत्योत्तर दे, मैं तुम्हारे हौसले बढ़ाऊँगा नहीं, हज़ार उपाय हैं “साकेत" के पास तुमसे निपटने के लिए, लेकिन कदाचित मैं मेरी दृष्टि में मेरा स्तर गिराऊँगा नहीं। IG:— @my_pen_my_strength ©Saket Ranjan Shukla ईर्ष्या के वश में हो तुम..! कुछ कठिन शब्दार्थ 👇🏻 1) ईर्ष्यावश :— ईर्ष्या/जलन के वश में(out of jelousy) 2) बुद्धिहीन :— बेवकूफ, जिसमें बुद्धि
Saket Ranjan Shukla
हो कौन तुम मेरे फ़ैसलों के लिए मैं तुम्हें कोई भी ज़वाब क्यों दूँ, कान देकर तुम्हारे तानों पर ख़ुदको अज़ाब क्यों दूँ, तुम हो कौन, मेरी शख़्सियत पर सवाल उठाने वाले, ख़र्च कर यूँ तुमपर बर्बादी को अपना रुवाब क्यों दूँ, मेरे हरेक क़दम का परिणाम भविष्य की कोख में है, सिर्फ़ तुम्हारी मानके अपने मन को इज़तिराब क्यों दूँ, मेरे हिस्से क्या आएगा, विचारने की ज़रूरत तुम्हें नहीं, झूठी परवाह को तुम्हारी सच होने का ख़िताब क्यों दूँ, सफ़र, मंज़िल, मेहनत और अंज़ाम भी है “साकेत" का, तुम्हारा कुछ है ही नहीं तो मैं तुम्हें कोई भी हिसाब क्यों दूँ। IG:— @my_pen_my_strength ©Saket Ranjan Shukla हो कौन तुम..? . . ➺➺➺➺➺➺➺➺➺➺➺➺ ✍🏻Saket Ranjan Shukla All rights reserved© ➺➺➺➺➺➺➺➺➺➺➺➺➺ कुछ कठिन शब्दार्थ 👇🏻