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Mayank

अस्त असिमित शक्ति
जीवन मंत्र महापर्व
हर्षित पुलकित मोहित
उदय उन्मुक्त जीवन
शोभित कण-कण में
व्याप्त धड़कन में।। #व्याप्त_धड़कन_मे।

व्याप्त_धड़कन_मे। #शायरी

18 Love

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Anupama Jha

है अशांति जीवन में 'व्याप्त'
नहीं मन की शांति पर्याप्त
हो अगर 
जीवन में शांति
कैसे हो नित नूतन क्रांति? #व्याप्त
#YQdidi
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Roohi Bhargava

सर्व व्याप्त है जो,
जिसके इशारों पर चलती है दुनिया, 
एक ही है वो, 
हज़ारों उसके नाम, 
एक ही उसका काम,
भले का भला, बुरे का बुरा, 
सबको देता उनकी ही करनी का फल, 
सर्व व्यापी ईश्वर। 

 #व्याप्त #YQDidi
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Anand Kumar Ashodhiya

हरियाणे में व्याप्त कुरीति

जो बीत गई वो समो पुराणी इब तेरे हाथ ना आवण की
पहले से ही निश्चित तारीख सबके ऊपर जावण की

मौत आवणी सबनै बेरा पर कौण मरया चाहवै सै
जिसके लागै वो तन जानै हिया ऊदल कै आवै सै
आँख समन्दर होज्या सै फेर सब कोए धीर बंधावै सै
रिश्तेदार अगड़ पड़ोसी कोए आवै कोए जावै सै
माणस घटज्या घर भी लूटज्या, रहज्या कसर खिलावण की

जिस घर में कोए मृत्यु होज्या, वो दुख सबतै मोटा हो
किसे कै माणस, किसे कै अन्न, किसे कै धन का टोटा हो
आंख में आँसू, चढ़े कढ़ाई, चाहे बड्डा हो या छोटा हो
शोक संतप्त परिवार का खाणा श्रीकृष्ण कहै खोटा हो
हरियाणे में व्याप्त कुरीति, या तेहरामी पै खावण की

श्रीकृष्ण नै दुर्योधन गिरफ्तार करण चाल्या था
विश्वरूप देख सुदर्शन कइयां का दिल हाल्या था
दुर्योधन श्रीकृष्ण नै रसोई जिमावन  चाल्या था
श्रीकृष्ण गए नाट खाण ते धर्म का दिया हवाला था
द्वेष क्लेश में जीम रसोई राह सै पाप कमावण की

मृत्यु भोज का खाणा खिलाणा हिन्दू धर्म नहीँ सै
श्रुति स्मृति वेद पुराण में तेरहवां कर्म नहीँ सै
ब्रह्म सूत्र और उपनिषदों में ऐसा मर्म नहीँ सै
आनन्द शाहपुर इस जीवन में थोड़े भ्रम नहीं सै
इस प्रथा के खिलाफ जरूरत पड़गी बिगुल बजावण की

गीतकार : आनन्द कुमार आशोधिया  © 2021-22

©Anand Kumar Ashodhiya
  हरियाणे में व्याप्त कुरीति

#हरयाणवी

हरियाणे में व्याप्त कुरीति #हरयाणवी #समाज

7 Love

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Vinni (Payal Rai)

इस देश की हवाओं में जो घर में व्याप्त है...
 समझ जाओ बेटा यह उत्तर प्रदेश है ...
यहां का एक -एक बच्चा दुश्मनों पर पर्याप्त है...

 धन्यवाद

©Vinni (Payal Rai)
  #UttarPradesh जो गर्मी व्याप्त है...

#UttarPradesh जो गर्मी व्याप्त है...

127 Views

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रामजी महाराज [सबका मालिक एक]

ईश्वर कण कण मे व्याप्त है

ईश्वर कण कण मे व्याप्त है #पौराणिककथा

66 Views

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जीtendra

जैसे दुःख की देह अश्रु होते है,
सुख की हँसी,
प्रतीक्षा की कोई पृथक देह नहीं होती,
कभी कभी समूची देह ही
प्रतीक्षा हो जाती है
और जब यही प्रतीक्षा बढ कर
आत्मा तक पहुँचती है,
तो जन्म जन्मान्तर तक व्याप्त हो जाती है... #प्रतीक्षा #दुःख #देह #सुख #जन्म #व्याप्त #अश्रु
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Juhi Grover

व्याप्त है कण-कण में, खबर पल-पल की रखता है,
जीने का अर्थ उसी में, इन्सान सब कुछ समझता है।

लाख चोरियाँ या फिर कुकर्म कर के वो बचना चाहे,
सौ-सौ तरह के पूजा-पाठ,उपाय भी वो सब करता है।

मन्दिर,मस्जिद,चर्च,गुरूद्वारा,धर्म की कहाँ पाबन्दी है,
ठेकेदार धर्म के हैं, जा पास जो बनता है सो करता है।

खज़ाने यों अन्धनिश्वास पे लुटा, श्रध्दा मूर्ति बन कर,
भूखे-नंगे लोगों पर वो क्रोध की बरसात बस करता है।

चाहे अन्दर से कितना ही बड़ा गुनाहगार क्यों न हो,
बस अपने ही नाम के गुणगान करवाता और करता है।

सब चौंचले अपना कर भी वो भाग्य बदल नहीं पाता हैं,
कहते हैं ऊपर वाला हिसाब सबके लिख-लिख रखता है। #व्याप्त 
#श्रध्दा 
#पाबन्दी 
#गुणगान 
#अन्धविश्वास 
#yqdidi 
#yqhindi 
#bestyqhindiquotes
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Shashi Aswal

बंद करो ये शोरगुल, काट खाने को आते हैं मुझे ये।
अचानक इस तमतमाई हुई आवाज़ को सुन कर चंचल का दिल मायूस हो गया। फिर भी उसने अपने मन को मजबूत कर कहा- पिताजी, आपको क्या तकलीफ हैं इन सबसे।
मुझे ये घुंघरू की आवाज़ बिल्कुल पसंद नहीं  हैं। मुझे ये नाच गाना अच्छा नहीं लगता। छोड़ दो ये सब।

पिताजी सुर-ताल तो व्याप्त हैं कण-कण में, पानी के टिप-टिप में, कल-कल करती नदियों में, बच्चे की अठखेलियों में, सरस्वती माँ की वीणा में, सब जगह।

अब तू पिद्दी से लड़की मुझे समझाएगी, कि कहाँ क्या हैं? पंडित हूँ मैं। सारे ज्ञान कंठस्थ हैं मुझे। इतना कहते ही पंडित जी ने चंचल के पैरों से घुंघरू निकाल के घर के बाहर फेंक दिए।

चंचल ने भी खामोशी की चादर ओढ़ ली हैं......

 #YQbaba #YQdidi #व्याप्त #ghungru #pandit #surtaal 
PC:-Google
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अल्पेश सोलकर

निर्णय जितके अचूक असतील तितकीच 
यशाची व्याप्ती आणि तीव्रता वाढत जाते. निर्णय जितके अचूक असतील तितकीच यशाची व्याप्ती आणि तीव्रता वाढत जाते.
#yqtaai #alpeshsolkar #marathiquotes #marathikavita #marathiwriter #mar

निर्णय जितके अचूक असतील तितकीच यशाची व्याप्ती आणि तीव्रता वाढत जाते. #yqtaai #alpeshsolkar #marathiquotes #MarathiKavita #marathiwriter mar #marathicharolya

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Roohi Bhargava

कविता करना आसान नहीं, 
मन के भावों को शब्द देना आसान नहीं! 

खामोशी को शब्दों में ढालना आसान नहीं, 
शब्दों से खेलना आसान नहीं, 

पर इस दुनिया में अब शब्दों का खेल ही व्याप्त है,
पर कविता करना आसान नहीं, 

दुनिया के शब्द रूपी काँटों पर चलकर कवि बनना आसान नहीं।  #व्याप्त 
Inspired from Anuup sir's poem. 
कविता करना आसान नहीं! 
#YQDidi #YQBaba

#व्याप्त Inspired from Anuup sir's poem. कविता करना आसान नहीं! #yqdidi #yqbaba

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Poonam Ritu Sen

मैं जिंदगी के दिये बेरुखी सहती रही
और मुझमें व्याप्त एक खामोशी चुभती रही
तू अपनी हदें हमेशा भुलाता रहा
और तुझमें व्याप्त सैकड़ो अंगार उगलता रहा

मैं हर जख्म में मलहम लगाती रही
और मुझमें व्याप्त ख्वाहिशों को दबाती रही
तू मलहम के ऊपर नए ज़ख्म देता रहा
और तुझमें व्याप्त जानवर को हिंसक बनाता रहा

मैं हर राह का किनारा ढूंढती रही
और मुझमें व्याप्त अश्रु रूपी लहरों को रोकते रही
तू हर राह में कांटे बोता ही गया
और तुझमें व्याप्त बवंडर को बढ़ाता गया

मैं थक हार कर कभी निराश ना रही
और मुझमें व्याप्त हौसलों से पर्वत की तरह टिकी रही
तू तमाम कोशिशों के बाद से कांच की तरह टूटता गया
और तुझमें व्याप्त पछतावे को, तेरा ही अश्रु भीगाता चला गया

 मैं जिंदगी के दियेे बेरुखी सहती ही रही
और मुझमें व्याप्त एक खामोशी चुभती रही
तू अपनी हदें हमेशा भुलाता ही रहा
और तुझमें व्याप्त सैकड़ो अंगार

मैं जिंदगी के दियेे बेरुखी सहती ही रही और मुझमें व्याप्त एक खामोशी चुभती रही तू अपनी हदें हमेशा भुलाता ही रहा और तुझमें व्याप्त सैकड़ो अंगार #yqdidi #ख्वाहिश #ख़ामोशी #अश्रु #बवंडर #पछतावा

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Anup Kumar

..नमस्कार मित्रो,,,
देश मै व्याप्त विसंगतियों पर छोटा सा व्ययंग,,,,,, भावों कि अभिव्यक्ति,,,,,

..नमस्कार मित्रो,,, देश मै व्याप्त विसंगतियों पर छोटा सा व्ययंग,,,,,, भावों कि अभिव्यक्ति,,,,,

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Bazirao Ashish

"जितने कंकर उतने शंकर"
अर्थात् 
"कण कण में ईश्वर व्याप्त हैं।"

ॐ दिगम्बराय नमः

©Bazirao Ashish "जितने कंकर उतने शंकर"
अर्थात् 
"कण कण में ईश्वर व्याप्त हैं।"

ॐ दिगम्बराय नमः

"जितने कंकर उतने शंकर" अर्थात् "कण कण में ईश्वर व्याप्त हैं।" ॐ दिगम्बराय नमः

9 Love

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CalmKazi

मूरतें हैं तेरी कई मौला,
कई शागिर्द तूने बनाए ।।
ज्ञान सा कथन सुनते,
भक्त सभी, ढूंढ़ते हैं,
अस्तित्व का अभिप्राय ।।
चिर-तृष्णा है व्याप्त, 
हर भक्ति स्वर में,
यह मौलवी किसे बताए ।। #व्याप्त #CalmKaziWrites #YQDidi #YQBaba #God #Disciples #Teachings #Poetry #Hindi #हिंदी #मौला #ख़ुदा #मौलवी #ज्ञान #भक्त #कविता
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Satish Chandra

 #व्याप्त 

#YQdidi YourQuote Didi

#हिन्दी_ऊर्दू

#अधूरा #पूरा #मुसलसल #बादल #ख़ामोश #वजूद #तलाश
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Akib Javed

अमावस्या सा अँधकार,
उर में है व्याप्त,
पूर्णिमा सी चांदनी,
जीवन में 
खुशियां ले के आई।

©Akib Javed #lonely 

अमावस्या सा अँधकार,
उर में है व्याप्त,
पूर्णिमा सी चांदनी,
जीवन में 
खुशियां ले के आई।

lonely अमावस्या सा अँधकार, उर में है व्याप्त, पूर्णिमा सी चांदनी, जीवन में खुशियां ले के आई।

11 Love

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Alok tripathi

राम राज में अबकी रावण नंगा होकर नाचा है।
सूरत शकल वही है भैया बदला केवल ढांचा है।

©Alok tripathi भारत में व्याप्त भ्रष्टाचार को देखकर कवि का हृदय पीड़ा से रो उठता है।वह अपना आक्रोश इन शब्दों में व्यक्त करता है।

#HeartBreak

भारत में व्याप्त भ्रष्टाचार को देखकर कवि का हृदय पीड़ा से रो उठता है।वह अपना आक्रोश इन शब्दों में व्यक्त करता है। #HeartBreak #कविता

11 Love

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i am Voiceofdehati

व्याप्त हो रहीं हैं बुराइयां कुछ इस कदर
अब अच्छाईयों की कीमत 
बस “कीमत” रह गई है व्याप्त हो रहीं हैं बुराइयां कुछ इस कदर
अब अच्छाईयों की कीमत 
बस “कीमत” रह गई हैं.....

#मेरीक़लमसे #मेरेविचार #दुनियाबदलगईहै 
#voiceofdehati

व्याप्त हो रहीं हैं बुराइयां कुछ इस कदर अब अच्छाईयों की कीमत बस “कीमत” रह गई हैं..... #मेरीक़लमसे #मेरेविचार #दुनियाबदलगईहै #voiceofdehati #yqdidi #mypen #valuablethoughts

1 Love

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Rishika ishita【 Dil ki bat】

दुनिया में कितना ज्यादा दुख व्याप्त है
और हमें अपना ही दुख भारी पड़ता है

©Rishika ishita【 Dil ki bat】 Rishika ishita Dil ki bat❤️✍️

दुनिया में कितना ज्यादा दुख व्याप्त है
और हमें अपना ही दुख भारी पड़ता है
#standout #rishikaishitadilkibat❤️✍️

Rishika ishita Dil ki bat❤️✍️ दुनिया में कितना ज्यादा दुख व्याप्त है और हमें अपना ही दुख भारी पड़ता है #standout rishikaishitadilkibat❤️✍️ #विचार

7 Love

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UjjawaL

*यतो धर्मस्ततो जयः*
(जहाँ धर्म है, वहाँ विजय  है।)

HAPPY DUSSEHRA

©UjjawaL नकारात्मक शक्तियों  के दमन के  प्रतीक  इस  विजय-पर्व *"विजयदशमी"* की बहुत-बहुत शुभकामनाएं। आपमें साहस और ऊर्जा की गति निरंतर व्याप्त रहे, ऐस

नकारात्मक शक्तियों के दमन के प्रतीक इस विजय-पर्व *"विजयदशमी"* की बहुत-बहुत शुभकामनाएं। आपमें साहस और ऊर्जा की गति निरंतर व्याप्त रहे, ऐस #Dussehra2021

12 Love

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*SARVOTTAM* *CHOUDHARY*

यया सर्वमिदं व्याप्तं जगत् स्थावरजङ्गमम्।
तां धेनुं शिरसा वन्दे भूतभव्यस्य मातरम्॥"
अर्थात = जिसने समस्त चराचर जगत् को व्याप्त कर रखा है, उस

यया सर्वमिदं व्याप्तं जगत् स्थावरजङ्गमम्। तां धेनुं शिरसा वन्दे भूतभव्यस्य मातरम्॥" अर्थात = जिसने समस्त चराचर जगत् को व्याप्त कर रखा है, उस

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विष्णुप्रिया

सम्पूर्ण ऊर्जा
तटस्थ और आयामहीन है... कभी महसूस किया है...
 ऊर्जा के वरतूल को....हर् जगह व्याप्त है और कहीं भी नही...समस्त चर अचर को बांधे पर बंधी किसी से भी नही....
पूर्ण शाश्वत

कभी महसूस किया है... ऊर्जा के वरतूल को....हर् जगह व्याप्त है और कहीं भी नही...समस्त चर अचर को बांधे पर बंधी किसी से भी नही.... पूर्ण शाश्वत

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Rishika Srivastava "Rishnit"

कृप्या अनुशीर्षक भी एक बार पढ़ ले..🙏

"अंततः गाँधी के राम वास्तव में युगधर्म के अनुकूल रामत्व की अवधारणा की प्रतिमूति थे।यहीं तो गाँधी के राम

कृप्या अनुशीर्षक भी एक बार पढ़ ले..🙏 "अंततः गाँधी के राम वास्तव में युगधर्म के अनुकूल रामत्व की अवधारणा की प्रतिमूति थे।यहीं तो गाँधी के राम #Thoughts #nojotoenglish #FullAazaadi #गाँधीकेराम

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Shravan Goud

ॐ भूर्भुव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो न: प्रचोदयात्। पृथ्वीलोक, भुवर्लोक और स्वर्लोक में व्याप्त उस सृष्टिकर्ता प्रकाशमान परमात्मा के तेज का हम ध्यान करते हैं, वह परमात्मा का तेज हमारी बुद्धि क

पृथ्वीलोक, भुवर्लोक और स्वर्लोक में व्याप्त उस सृष्टिकर्ता प्रकाशमान परमात्मा के तेज का हम ध्यान करते हैं, वह परमात्मा का तेज हमारी बुद्धि क

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REETA LAKRA

आधुनिक समाज के 
'सम्मानित लोग' 
जब मेज़ के नीचे से 
पाँच सौ रुपए लेते हैं तो 
अपमानित महसूस करते हैं। 
६२/३६५@२०२१  समाज में व्याप्त भ्रष्टाचार की ओर संकेत करता हुआ यह कथन स्पष्ट करता है कि यह बुराई सरकारी एवं निजी कार्यालयों में मौजूद है। इसके कारण कई लोग

समाज में व्याप्त भ्रष्टाचार की ओर संकेत करता हुआ यह कथन स्पष्ट करता है कि यह बुराई सरकारी एवं निजी कार्यालयों में मौजूद है। इसके कारण कई लोग

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Raj_Basti

परमात्मा कण कण में हर अणु में है, और ब्रम्हांड में समस्त अणुओं में व्याप्त परमशक्ति के समस्त व एकल अवस्था को  समझ लेने पर वही परमात्मा ही समग्र व परिपूर्ण होकर एक रूप दृष्टिगोचर होता है।

©Raj222
  #परमात्मा #कण कण में हर #अणु में है, और #ब्रम्हांड में समस्त अणुओं में व्याप्त #परमशक्ति के समस्त व एकल अवस्था को #समझ लेने पर वही परमात्मा

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