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Shishpal Chauhan
खिल रही खेतों में सरसों पीली पाली, मंद मंद हवा चले शीली शीली। सोने सी धरती लगे प्यारी प्यारी, महक रही क्यारी क्यारी। ईश्वर करे सबकी रखवारी, उसी के हाथ में है बागडोर हमारी। फूलों पर मधुमक्खियां भिंन भिंन ढेर सारी, जैसे धरती पर जन्नत उतारी। पहाड़ की आभा लगे मन को न्यारी, खुशियां मनाने की करो तैयारी। ©Shishpal Chauhan #पीली सरसों
Anjali Singhal
Vandana
मैं सर्दी की ठंडी ठंडी सुबह वह पीली सरसों सा मुझ में फिदा,, मैं सर्दी की ठंडी ठंडी सुबह वो पीली सरसों सा मुझ में फिदा,,, सरसों के खेत से हो कभी आना जाना लिपट जाए मुझसे करके कोई बहाना,,, फूलों सा मुझ
Vandana
बसंत पंचमी आयी जीवन में बनकर नयी दुल्हन प्रेम बरसाती यौवन महकाती कई आभूषण और श्रृंगार में सुसज्जित होकर बिखरेती अपनी छटा,, कण कण में अपनी खुशबू से प्रकृति को अपने आगोश में लेती,, पीली सरसों के फूलों से गुनगुनाते उनके ऊपर भंवरों तक,, खिलती आम की मंजरी से सरस्वती की वीणा तक,, पत्तों को छूकर जाती नई कोपलों में जीवन भरती
Nisheeth pandey
राम जी का जीवन भी क्या जीवन रहा होगा राजा होकर भी रंक का जीवन जिया होगा राजशाही ठाठ हो कर भी ठाठ न लगी होगी कभी कभी शिक्षा के लिये वन कभी वनवास के लिये वन कभी राज गद्दी पर होकर भी सिया बिन मन रहा वनवास में ... राज धर्म के हेतु त्यागना पड़ा सिया को सारे साम्राज्य की भीड़ में राम मन सिया बिन कितना व्याकुल रहा होगा राम भी तो अकेले में सिया स्वप्न में भटक जाते होंगे ... कल्पना में जब सिया से मिलते होगें सिया से कहते होंगें ...... पीताम्बरी सी तुम , तुमपर कितना चम चम करती है ये - पीली साड़ी ....देह पर तुम्हारी ..... तुम्हारी यौवन देख ! दूर कहीं पीली सरसों खेतों में सारे लहलहा जाएगी ……. जब राम ने सिया को पहनाए होंगे हरी चूड़ियां कलाइयों में..... सजा देख कलाइयां सिया की! राम ने कहा होगा तुम्हारी कलाइयों में हरी चूड़ियाँ देख - सावन दौड़ा आएगा और ...... शर्माकर पेड़ सारे ...... ओढ़ लेंगे हरी चादर ! जब राम ने सिया के माथे की दमकती हुई लाल बिंदिया चूमा होगा ! झूमता हुआ बसंत चला आया होगा और .....चारों ओर फूल रंग-बिरंगे खिल उठे होंगे ..... ! मगर ........ वास्तव में ऐसा कुछ नहीं वंचित रहें प्रेम की मधुरता से राम सिया से सिया राम से सिया और राम के बिछरण से हृदय में गहरा रंज रहा होगा सरसों को ....... फूलों को...... बसंत और सावन को और पेड़ों को भी! और ...... मैं भी उन्हीं की तरह नियति के सिलौटी पर पीस गया हूँ मैं तो तुच्छ मानव हूँ शायद इन सब से कहीं गहरा रंज है मुझे... #निशीथ ©Nisheeth pandey #ramsita राम जी का जीवन भी क्या जीवन रहा होगा राजा होकर भी रंक का जीवन जिया होगा राजशाही ठाठ हो कर भी ठाठ न लगी होगी कभी कभी शिक्षा के
Vandana
एक खुला आसमां पूरा कैप्शन में एक अपना आसमां,, एक अपना आँगन,,, फूलों की क्यारी और कुछ लताएं जैसे पहरा दे रही हो घर द्वार पर,,, कई तरह की सब्जियां पंक्तियों में आंगन के क
AK__Alfaaz..
इक दिन, सूरज की सिंदूरी किरणों ने, रच दी हाथों पर मेंहदी, चाँदनी ने पहना दी, पाँवों मे पायल, फूलों की बिंदिया चमकी, माथे पर, नाक की नथनी मे, आ गए तारे सारे, कारे मेघों ने, काजल की धार लगायी, इक दिन, सूरज की सिंदूरी किरणों ने, रच दी हाथों पर मेंहदी, चाँदनी ने पहना दी, पाँवों मे पायल, फूलों की बिंदिया चमकी, माथे पर, नाक की न
Rambahadur Yadav
बरसात आये तो ज़मीन गीली न हो, धूप आये तो सरसों पीली न हो, ए दोस्त तूने यह कैसे सोच लिया कि, तेरी याद आये और पलकें गीली न हों। बरसात आये तो ज़मीन गीली न हो, धूप आये तो सरसों पीली न हो,