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Ek villain
जलवायु परिवर्तन की गहरा की समस्या को देखते हुए दुनिया की कई देश जीवांश इन दिनों पर अपनी निर्भरता को चरणबद्ध तरीके से घटाने के लिए प्रयासरत रहते हैं कुछ विकसित देशों में 2030 20 में 2040 तक कोयला निर्धारित योजना के लिए वित्त पोषण रोकने का फैसला किया है जबकि 70 देशों ने कोयला उपयोग बंद करने का संकल्प लिया है इसके अलावा 11252 ऑयल एंड गैस और तेल एवं गैस से नामक एक अन्य संगठन की घोषणा की है जिसमें आयरलैंड फ्रांस जैसे देश शामिल है गठबंधन की समाप्ति के लिए एक समय सीमा तय करेगा इसी कड़ी में भारत में स्थापित करने का कर लिया है और जरूरत होगा लगभग 80% से प्राप्त होता है उनको में कार्बन की मात्रा अधिक होती है जैसे कोई विरोध नहीं किया जा सकता इनका उत्पादन प्राकृतिक रूप से और लाखों करोड़ों वर्ष की जैविक प्रक्रिया के फल स्वरुप होता है यह संभव प्राकृतिक के होते हैं इसलिए इसके समिति उपयोग पर बल दिया जाता है जिससे इन दिनों के अंदर दोनों इस्तेमाल से वायुमंडल में ग्रीन हाउस गैसों का संक्रमण बढ़ जाता है जो वायुमंडल का औसत तापमान बढ़ने के लिए जिम्मेदार होता है जिसे हमें ग्लोबल वार्निंग कहते हैं ©Ek villain #ग्लोबल वार्मिंग से निपटने की पहल #Nojoto
Vandana
एक भारत ऐसा था कि जो भुखमरी से मरता था आजादी के बाद,, एक भारत अब ऐसा है जो बिना ऑक्सीजन के मर रहा है, विकास होने के बाद,, पहले रोटी जरूरी थी जल और वायु शुद्ध था,,, अब पेट भरने के लिए खाना है,, पर शुद्ध हवा नहीं शुद्ध पानी नहीं,,, आने वाली मासूम बच्चों का कल भी खतरे में है,,नई पीढ़ी भविष्य के विचारों से भी तिलमिला रही है,, उनके लिए विरासत में ना शुद्ध पानी है ना शुद्ध खाना है ना शुद्ध वायु है,,, चलो खुद से एक प्रक्रिया करते हैं पेड़ लगाने के उपदेश सोशल मीडिया में नहीं हकीकत में करते हैं,,,, "कार का इस्तेमाल कम साइकिल या पैदल जा सके
तेजस
आज फिर एकदम से अंतरात्मा चौंका है, पर्यावरण दिवस है भाई, अच्छा मौका है। कुछ करूँ कुछ लिखूँ सुबह से इसमें जुटा था, तभी से जब AC बंद कर के बिस्तर से उठा था। मैं भी तो प्रकृति प्रेमी हूँ ख्याल आया, कुछ लिखने को मैं कलम उठाया। 20-30 पन्ने फाड़ा, कुछ ढंग का नहीं लिखाया, टिश्यू पेपर से लगातार पसीना सुखाया। जाने कितने पेड़ों को काट कर ये पेपर बने होंगे, अंत में 'सेव पेपर सेव इन्वरामेन्ट' भी लिखने होंगे। लेकिन पसीने का क्या किया जाए, टिश्यू पेपर के बिना कैसे जिया जाए? बिना AC के अब रहा नहीं जा रहा है, पता नहीं कौन ग्लोबल वार्मिंग बढ़ा रहा है। पर्यावरण दिवस पर लिखने में इतनी समस्या है, लिखने से मेरा मन अब उकता सा गया है। सोच रहा स्विमिंग पूल में एक डुबकी लगाने की, फिर दो लाइन लिखूँगा पानी बचाने की। चलो लिखना छोड़ के कुछ कर ही लेता हूँ, जो कचरा जमा है उठा के नदी में बहा देता हूँ। स्वच्छता में थोड़ा अपना भी योगदान दूँ, 'क्लीन रिवर' पर फिर थोड़ा ज्ञान दूँ। पर्यावरण को बचाने के लिए क्या इतना नहीं काफी है? कि मुझमें अभी भी पर्यावरण की बहुत चिंता बाकी है। ©तेजस आज फिर एकदम से अंतरात्मा चौंका है, पर्यावरण दिवस है भाई, अच्छा मौका है। कुछ करूँ कुछ लिखूँ सुबह से इसमें जुटा था, तभी से जब AC बंद कर के बिस
Writer1
पेड़ लगाओ पृथ्वी बचाओ *********************** पेड़ों की रक्षा करो, पेड़ धरती का सिंगार,जीवन को बचाओ, धरती मां है हमारी, को फिर से पेड़ लगाकर सजाओ। कृपा अनुशीर्षक में पढ़ें ****************** पेड़ लगाओ पृथ्वी बचाओ *********************** आजकल लोग अपने स्वार्थ और लालच के लिए पेड़ों की अंधाधुंध कटाई कर, पर्यावरण के साथ जमकर खिलवाड़
Mili Saha
// अंतरजाल - इंटरनेट // ऐसा यह वरदान जिसके बिना असंभव अब ज़िन्दग़ी की ताल। एक उंगली के टच पे है दुनिया पूरी ऐसा अद्भुत ये अंतरजाल।। प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष रूप से संपूर्ण मानव जाति इससे है ऐसे जुड़ी। कि पलभर को भी गायब हो जाए अगर तो हो जाता बुरा हाल।। हो गया है इंटरनेट भी ज़रूरी रोटी कपड़ा और मकान की तरह। क्यों न हो आखिर इसी से रहन-सहन में बदलाव आया कमाल।। सात समंदर पार बैठे अपनों से संपर्क साधना हो गया आसान। जुड़े रहते हैं अब अपनो से ऐसे जैसे आपस में जुड़े रहते जाल।। बच्चों की स्कूल क्लास,ऑफिस की मीटिंग सबका ये समाधान। जीने का आधार बन चुका है इंटरनेट, बन गया यही मायाजाल।। मोबाइल लैपटॉप माध्यम से आ चुका यह हमारी उंगलियों पर। इसके बिना अब जीवन की कल्पना करना भी हो गया मुहाल।। ऑनलाइन शॉपिंग व्यापार बैंकिंग शिक्षा मनोरंजन का ये स्त्रोत। साथ-साथ चिकित्सा और कृषि क्षेत्र में भी उपयोगी अंतरजाल।। विशाल नेटवर्क सिस्टम का विश्वव्यापी कनेक्शन बन चुका यह। जिसके बिना एक कदम भी चलना आज बन गया एक सवाल।। कितने नए दोस्त बन जाते इंटरनेट पे मिले अनंत जानकारी भी। पल में हो संवाद पल में पहुंँचते संदेश सच यह इंटरनेट कमाल।। रोजगार के कई नए- नए विकल्पों को, इंटरनेट ने किया उत्पन्न। जिसकी मदद से सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर मचा है धमाल।। लाखों-करोड़ों लोग कमा रहे हैं, इंटरनेट बना तरक्की का द्वार। ज्ञान का स्रोत भी है ये, छात्रों बुद्धिजीवियों के लिए है कमाल।। किंतु हर सिक्के के दो पहलू होते कुछ लाभ हैं तो नुकसान भी। लत लग जाए गर इसकी बुरी तो बदल जाती जीवन की चाल।। ( पूर्ण रचना अनुशीर्षक में पढ़ें ) ©Mili Saha ऐसा यह वरदान जिसके बिना असंभव अब ज़िन्दग़ी की ताल। एक उंगली के टच पे है दुनिया पूरी ऐसा अद्भुत ये अंतरजाल।। प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष रूप से सं
Sudha Tripathi
तुम बिन भाग-7 ©Sudha Tripathi भाग - 7राज को उसके अंतर्द्वंद से निकालने के लिए मानो रेणु कह रही हो राज अगर मैं सौम्या की जगह पर होती तो तुम क्या करते क्या मुझे छोड़ देते
अभिलाष सोनी
ऐ इंसान तू क्या इस प्रकृति का विकास करेगा। तुझको तो मैंने देख लिया, तू हरपल ही विनाश करेगा। तेरे जरूरतें कभी पूरी ना होंगी, तू न कभी विश्वा
Namit Raturi
बिजली कडकी,बादल बरसे आए जो ईश्वर धरती पे, रस्ता भटके प्रभु और आ पहुंचे यहाँ गलती से, जरा सी घूमी क्या दुनिया,फर्क बदल गया जमानो का, कहीं दूषित करे बादलों को काला धुँआ कारखानों का, दग दग दौडे गाडी, पूछें प्रभु यह कैसे रहीस ताँगे, उधर एक छोटी बच्ची गाडियों की खिडकियों को खटखटा के भीख माँगे, यह कैसी दुनियादारी कि कुछ लोग अपने कारोबार मे व्यस्त है, बाकी खाली बैठे चटाई पे राजा,रानी और इके कि दुनिया में मस्त है, हाए यह बेरोजगारी भूखा मर रहा हर कोई कडकी से, बिजली कडकी,बादल बरसे आए जो ईश्वर धरती पे ॥ (read whole poem in caption) ईश्वर धरती पे ! एक नई कविता प्रस्तुत करने जा रहा हूँ,उम्मीद है कि आपके दिलों तक पहुँच सकूं,आपसे निवेदन है कि इस हास्य व्यंग्य कविता को पढें
Anamika Nautiyal
कोरा काग़ज़ की प्रतियोगिता हम लिखते रहेंगे के लिए टीम काव्यांजलि की नौवें दिन की रचना जिसका शीर्षक है:- इंसान और रिश्ते आज हमारी टीम ने इंस