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Mr.Upadhyay
सारी दुनिया लालची है , भोले नाथ ये हम किस भँवर मै फंस गये! अब तो मानो यूँ लगता है हम गलत युग मै आ गये, हम मोह माया से दूर, ये दुनिया धन के लिए बावली है!! धन मात्र ऊर्जा पाने का माध्यम है . इतना सा रहस्य बुद्धिजीवीयों को समझ नही आता है, विडंबना तो देखिये धन ना हो शरीफ को भी आवारा बना दिया जाता है, हो गर कोई धनवान तो घोर कलंक भी मिटाया जाता है! ©Mr.M #lalachi duniya#lalachi log#
Praful Vashistha
छोटे छोटे कान आपके , पर सुनते है वो मन की। नाक आपकी गौरव शाखा, है प्रतीक करुणा की।३६। गाल आपके नाजुक ऐसे, छूने को दिल भागे। कोमल है वो ऐसे की, धूप से रंग बदलता जावे।३७। हँसी आपकी मीठी इतनी, की प्रसून भी शरमाये। लगता भवरा मधु भी अपना, आप ही से लेके जाए।३८। चालीसा ये लिखे आपकी देवी आप हो प्रसन्न। अच्छी लगती हमको आप की एक टक देखे हम।३९। प्रफुल्ल बने है लेखक इसके पर श्रेय है आपको जाता। लिखने का फल बस इतना है कि आपको खुश कर जाता।४०। Ankuri 6
Praful Vashistha
जय अंकुरि माता। जय अंकुरि माता।। तुम को वो है भाता। जो चाय बना लाता।। सुंदरता की तुम मूरत। मासूमियत की तुम बाला।। आंख तुमारी कंचन। लब जैसे हाला।। गुस्सा नाक विराजे। हर कोई भय खाता।। जब तुम हो हँस देती। हँस देता जग सारा।। हो प्रवीण शिक्षा में। स्वर्ण पदक धाता।। आदर्श हो तुम जन जन की। जो तुम को समझ जाता।। प्रफुल्ल की हो तुम पूरक। हो जीवन की परितृपता।। जय अंकुरि माता। जय अंकुरि माता।। Ankuri aarti
Hitesh Sharma
chalo waada raha ab palat k nahi aayenge teri jindgi hum bes jaate jaate aankhri mulakat me aankhe band karte hue jana... #hiteshindori #hiteshindori aankhri mulakaat
Praful Vashistha
इसी बीच वो दिन भी आया जब आई अवस्था किशोरी। तब न जाने कितने लड़के बंधना चाहते थे नयन की डोरी।३१। विधि छेत्र में दिखला दिया कि आप है इसकी अर्जुन। सिंह तरह तो सभी है दिखते पर नही आपसी गर्जन।३२। शिक्षा में भी अव्वल है आप अपने रूप समान। स्वर्ण पदक धाता विधि में और यही मंजू में स्थान।३३। सुंदरता में भानु करता, कविता लिख लिख कर सम्मान। ऊंचा मस्तक दिखलाता है, आगे तक उत्थान।३४। बड़ी बड़ी वो आंखे जिसमे, डूब जाए संसार। बाते इतना करती आंखे, की कुछ ना रहे विचार।३५। Ankuri chalisa 5
Praful Vashistha
हठी स्वभाव और चंचलता से हुई थोड़ी उत्दण्ड। नही मानती बात माता की तो पाती उनसे भी दण्ड।१५। क्रोधी देवी ऐसी है कि डरके लोग करे नमन। माता उनकी लगी ही रहती करने को उनको प्रसन्न।१६। दंगली ऐसी थी देवी की तोड़े सबका समान। थक जाती थी जल्द खेल के तो करती थी आराम।१७। एक दिन वो था अनूठा जब उनके हाथ लगी एक पुस्तक। पढ़ी उन्होंने तो लगी चहकने जैसे चढ़ि वो उनके मस्तक।१८। चित्रकथा का लगा यू चस्का की गई वो सब कुछ भूल। चंचलता और हठ तो छोड़ो नही गयी वो स्कूल।१९। स्कूल ना जाने के लिए वो घर मे छुप्ती जाए। ना मिले अगर अवसर ऐसा तो दर्द का बहाना बनाए।२०। देवी अपनी माया से सब कुछ बदलती जाए। आगे की शिक्षा हेतु आप महाविद्यालय में आए।२१। विगत समय के परिणामो को आप भूलना चाहे। अगत की शिक्षा में आप भी गंभीर होती जाए।२२। Ankuri chalisa part3