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YOGESH GHADI
ओंजळभर प्रेम.... तहान लागलेली मला तीने ओंजळ पुढे केली तीच्या हाताच्या स्पर्शाने माझी तहानपण वाढत गेली...❤ ओंजळभर प्रेम...❤
vaishali
दशपदी ओंजळभर शब्द माझे अर्थपूर्ण असतात ओंजळभर शब्द कधी करून टाकतात माणसाला निशब्द सुखात हसतात दुःखात रडतात मायेची हळुवार फुंकर घालतात हळुवार रंगतात प्रेमाच्या जगात कधी दाटतात विरही डोळ्यात बालपणीच्या आठवणीत खेळतात कधी आईबापाच्या कुशीत निजतात अर्थपूर्ण असतात ओंजळभर शब्द भक्तीरसात डूंबत ठेवून दाखवतात प्रारब्ध दशपदी# ओंजळभर शब्द#yqtaai#
vaishali
ओंजळीतल्या शब्दांनी सांग किती अबोल रहावे त्यांनाही वाटते कधीतरी बोलून व्यक्त व्हावे...... ओंजळभर शब्द#yqtaai#yqdidi#
Kishan Gupta
किचन की रानी, तू पसीने से लतपत, पंखा बना, मुझे घुमाये जा रही हो,, चाय कब तक यूँ ही, फीकी पिलाओगी, इलायची के इंतजार में, अदरक पीसे जा रही हो। ~किशन गुप्ता #कविता #कविता #
Awanish Singh
दीप हूँ जलता रहूँगा । मैं प्रलय की आँधियों से, अंत तक लड़ता रहूँगा ।। पार जाऊँगा मेरा साहस, कभी हारा नहीं है। जो मिटा अस्तित्व दे, ऐसी कोई धारा नहीं है ।। कौन रोकेगा स्वयं तूफान, थककर रुक गये हैं । हर लहर मेरा किनारा, ध्येय तक बढ़ता रहूँगा।। दीप हूँ जलता रहूँगा । मैं प्रलय की आँधियों से, अंत तक लड़ता रहूँगा ।। तोड़ दी अवरोध की सारी, शिलाएँ एक क्षण में । मैं धरा का प्यार मुझको, स्नेह देते सब डगर में।। शीत वर्षा और आतप कर, न पाये क्षीण गति को। बिजलियों की कौंध में भी, पंथ गढ़ता ही रहूँगा।। दीप हूँ जलता रहूँगा । मैं प्रलय की आँधियों से, अंत तक लड़ता रहूँगा ।। ©Awanish Singh (AK Sir) #कविता #कविता
yogesh atmaram ambawale
ओंजळभर शब्द माझे, अर्थ त्याचे समजून घ्यावे. चुकलो असता काही, थोडेफार समजावून द्यावे. शुभ संध्या मित्रहो आताचा विषय आहे ओंजळभर शब्द.. हा विषय Madhuri Kerkar यांचा आहे #ओंजळभरशब्द चला तर मग लिहूया. #YourQuoteAndMine
Balu Khaire
भीगी हुई आँखोका मंजर न मिलेगा, घर छोडकर मत जाओ कही घर ना मिलेगा। फिर याद बहुत आएगी जुल्फो की शाम, जब धूप मे साया कोई सर न मिलेगा। आंसू को काभि ओस का कतरा न समझना, ऐसा तुम्हे चाहत का समुदर ना मिलेगा। इस ख्वाब के माहोल मे बे-ख्वाब है आँखे, जब निंद बहुत आएगी बिस्तर ना मिलेगा। ये सोचलो आखरी साया है मोहब्बत, इस दरसे उठोगे तो कोई दर ना मिलेगा ©Balu Khaire कविता कविता #lonely
vijaysinh
writing quotes in hindi मन पीढ़ा से बैचेन हो जाता है, तब जा के क़लम कागज स्याही रोता है। क़लम खुद का नहीं,औरों का दुख रोता हैं। हर पन्ने पर क्रांति की बीज बोता है। दुनिया में सब से ज्यादा दुखी क़लम हैं, हर वक़्त खून के आंसू रोता है, खून रूपांतर चंद लकीरों में होता है। अब लोक उसे अल्फ़ाज़ समजते हैं पर वह अल्फ़ाज़ नहीं लब होते हैं जो क़लम के दिलसे निकले होते है। #कविता #क़लम कविता