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Kumar Manoj Naveen
पुलिस के बगैर जीवन की कल्पना सोचो पुलिस नही होती तो क्या होता........ सड़को पर जाम होता , अपराध खुलेआम होता, दबंगो का ही काम होता, गरीबों का जीना हराम होता, कानून का अपमान होता, महामारी में बदइंतजाम होता, अराजकता खुलेआम होता, जंगलराज का पूरा सामान होता। # यदि पुलिस नहीं होती? #
Dipak Misrra
पुलिस की नौकरी : मिलने के बाद आदमी रहता तो अपनो में है पर संपर्क अपनों से ही टूट जाता है । पुलिस की नोकरी आसान नही होती #पुलिस #आर्मी
ASHVAM
मुझे नही पता क्या होती हे खता और क्या होती हे सजा, बस ईतना है कि जब में तुझे न देखु तौ खता, ओर तु मुझे न देखे तौ सजा. @N.. ©Ashvam क्या होती है खता क्या होती हे सजा.
Amit Mishra
Sea water क्या होती है सुंदरता? मन सदा- सर्वदा रहा सोचता, क्या होती है सुंदरता? कैसा रंग -रूप है इसका, कैसा होता है आकार? कैसी छवि होती है इसकी, कैसे गुण और दोष प्रकार? कैसी चाल -ढ़ाल है इसकी, कैसी इसकी भाषा है ? कैसे छंद -बंध है इसके, क्या इसकी परिभाषा है? बोल उठी सुन मेरी कविता- सुनो ध्यान से बतलाऊं एक आइना है सुंदरता जिसके गीत सदा गाऊं न इक रूपक न इक मानक न इसका इक पैमाना हर जन- मन में पलती-फलती पृथक-पृथक पहने बाना जैसी सुंदरता जिस मन की, वैसी दर्पण हो साकार जैसा चेहरा- वैसा मोहरा, वैसी छवि लेती आकार तुमको जो अच्छा लगता है, मुझको तनिक न भाता है कोई तुम्हें लगे बदसूरत , हमको बहुत सुहाता है वैसे सुंदरता भावों की, अतिशय उत्तम होती है हर देश -काल -परिस्थिति में, यह ही सर्वोत्तम मोती है सद्भाव की फसल उगाएं, मन -मानस के खेतों में यह नौका तैरा सकता है, राजस्थान के खेतों में इसलिए सद्भाव धरो तुम, नित इसका विस्तार करो जन -गण -मन के मन -मानस में नित इसका संचार करो हे कविवर !यह ही सुंदरता सदा कलम से बहती है सुन विचार मन भया प्रमुदित कविता स्वयं चहकती है।। अमित मिश्रा 'एक भारतीय आत्मा' शिक्षक-जागरण पब्लिक स्कूल कन्नौज मो०9044265344 ©Amit Mishra क्या होती है सुंदरता
Santosh Kumar Jamwal
#DaughtersDay कभी ना समझी किसी ने एहमियत, क्या होती है बेटियाँ। कभी माँ, कभी पत्नी, तो कभी बहन होती है बेटियाँ। वो कभी नन्ही सी परी बन, काँधे पर तुम्हारे खेलती है। तो कभी बुढापे मे उंगली पकड, मार्गदर्शक बन जाती है। वो हमेशा कन्धा मिलाकर चलती है, असल मे पिता की शिक्षिका होती है बेटियाँ। हर सही गलत को भली-भांति जानती है, क्या समझते हो! मूर्ख नही है बेटियाँ। वो तुम्हारे बचपन मे माँ का नर्म स्पर्श है। तो वही तुम्हारी भार्या बन, संग जिवन बिताती है। देखता हूँ! सोचता हूँ! की क्या होती है बेटियाँ। तो समझता हूँ! की स्वयं आदिशाक्ति है बेटियाँ। अब समझे समाज भी एहमियत, कि क्या होती है बेटियाँ । क्या होती है बेटियाँ! क्या होती है बेटियाँ! "क्या होती है बेटियाँ"