Find the Latest Status about जागीर स्टेशन from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos about, जागीर स्टेशन.
alka mishra
मेरे ख्वाबों की ताबीर है तू जिश्में अब्र की तासीर है तू, रगों में बह रही लहू बनकर मेरी कंगाली की जागीर है तू। ©अलका मिश्रा ©alka mishra #जागीर
vineet kumar
जबसे उसने अपने होठो से मेरे गालो पर मोहोर लगाई है... तबसे वो मुझे अपनी सिर्फ अपनी जागीर समझने लगी हैं ... #vineet✍✍ जागीर
SarkaR
जिंदगी को अपनी जागीर समझना, इंसान की ये सबसे बड़ी गलती है, होता वही जो ऊपरवाला चाहता है, तुम्हारी सांसे भी उसकी मर्जी से चलती है। . ©RohitRaj #जागीर
Lata Sharma सखी
जिंदगी गुजरती है कई सारे स्टेशनों से, कुछ में हम ठहरते हैं कुछ हममें ठहर जाते हैं, सुनो! तुम मेरा ऐसा ही कोई स्टेशन हो, जिसमें मैं जरा ठहरी तो वो मुझमें ठहर गया। ©सखी ©Lata Sharma सखी #स्टेशन
Neelam bhola
बचपन,जवानी,बुढ़ापा जैसे स्टेशन हो कोई, रेलवे स्टेशन!! या रेलवे स्टेशन में सिमट आये हो ये दौर जिंदगी के, सुबह का स्टेशन मानो नन्हा बच्चा हो कोई, कभी शांत,कभी चाय चाय की किलकारी सा गूंजता, सौंधी सी खुशबु लिये, बच्चे कि हँसी सा, कभी खिलखिलाता,कभी चुपचाप स्टेशन, बचपन का सा स्टेशन,हल्के से आँख मूँदता-खोलता सा दिखता है, न आने-जाने की होड़ कहीं, आदमी ना भागता सा,ज़रा रुका सा दिखता है, दोपहर होते होते स्टेशन पे भीड़ बढ़ती जाती है, जवानी की ही तरह जिम्मेदारी हर तरफ नज़र आती है, कहीं कूली,कहीं चाय,कहीं लोगों का सामान, जवानी का पहर है, ये है मुश्किल,है नही आसान, चारों तरफ रिश्तों और जिम्मेदारियों की तरह लोग नज़र आते है, ना जाने कहाँ जाते है,कहाँ से लौट के आते हैं, कुछ न आने के लिये वापिस, कुछ न जाने के लिये आते है, जवानी भी कुछ इसी तरह के पहलुओं को समेटें है, कहीं खड़े हैं लोग,कहीं बेबस से लैटे हैं, बुढ़ापे की तरह ही ढलती है हर एक शाम स्टेशन पर, कुछ लोगों के लिये खास, कुछ लोगों के लिये आम स्टेशन पर, बुढ़ापे की तन्हाई की तरह, स्टेशन की शाम भी तन्हा होती जाती है, स्टेशन पे अब गाड़ी भी कुछ कम ही आती हैं, न कूली,न चाय न साजो-सामान होता है, बुढ़ापे की ही तरह तन्हा स्टेशन, हर रोज़ आम होता है।।।। ©Neelam bhola स्टेशन
Nidhi Pant
लंबे अरसे से घर में रहते हुए जब अचानक बाहर निकलो तो लगता है दुनिया कितनी आगे निकल चुकी है। और हम वहीं के वहीं हैं। पर सच तो ये है कि जो दुनिया हम देख रहे हैं वो भी घर के अंदर जाने का ही इंतज़ार कर रही होती है।अंदर होते हैं तो बाहर जाने के बारे में सोचकर बाहर निकल आते हैं और बाहर से अंदर जाने की राह देखते रहते हैं। घर को हम सबने एक स्टेशन मान लिया है, जो आने और जाने के बीच एक सुस्ताने भर की जगह है। कभी अगर शहर बदल लिया तो स्टेशन भी बदल जाता है।दूसरी जगह जाकर भी वो घर नहीं बन पाता।उसी तरह दुनिया वहीं की वहीं है बस चेहरे नए हैं। हम भी वहीं हैं और दुनिया भी।😊 #स्टेशन
Parasram Arora
मेरे सपनो की जागीर का वो विस्तीर्ण क्षेत्रफल अब सिकुड़ने लगा है और अब सम्भव भी नही कि अपनी इस जागीर की फसल को यथार्थ की धरती पर ऊगा कर और भी समृद्ध कर सकूँ जबकि मेरे सपने मेरी पलकों से बाहर् आने के लिये निरंतर छटपटा रहे है ©Parasram Arora सपनो की जागीर....
Ayush kumar gautam
अपनी जागीर ए मोहब्बत मेरे नाम कर दो फूल हम भी इश्क के खिलायेंगे आप एक दफा बस हाथ मिला लो हम सीधा आपके दिल में उतर जायेंगे शायर आयुष कुमार गौतम जागीर ए मोहब्बत.........