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Jharna Mukherjee
ग़मो की धूप हैं, रोजों ग़म के सायें है, फौजी बेटा तो, हर मां की जान हैं।
rupali yadav
मेरा चाँद बड़ा बातूनी है वो ढेरों बातें करता है न जाने क्यूँ कुछ रोजों से वो चुप्पी साधे रखता है जो रोज रात तक जगता था वो साँझ ढले गिर पड़ता है जो दर्पण बनता था कभी मेरा वो चाँद कभी-कभी दिखता है मेरा चाँद बड़ा बातूनी है वो ढेरों बातें करता है न जाने क्यूँ कुछ रोजों से वो चुप्पी साधे रखता है जो रोज रात तक जगता था वो साँझ ढले गिर
Chirag Vashishtha
किताबें जलती रहीं मेरे कमरे में लपेटें उठती रहीं रोजों रोज़ मानो भूल ही गये थे कि हम खुद भी कुछ हैं जले हुए पन्नों को आज समेटे रहा हूँ बर्बाद यूँ होकर फिरसे उठ रहा हूँ ज़िंदा पीर जो आज बन बैठा हूँ मैं बिखरे हुए खुद को अब समेटे रहा हूँ मैं........(भाग १०) #yqbaba #yqdidi #yqtales #yqquotes #yqhindi #alone #life #love Ankitaa 19 अप्रैल पर खास... (वर्षगाँठ-ए-इश्क़) यादों की बात...भाग १० किताब
himanshu sharma himanshu0007
Akki Agarwal
मुझे तुम्हारे आने का इंतजार आज भी है, जानती हूं तुम नहीं आओगे मगर.. इन आंखों को इंतजार में आज भी रखती हूं, इन आंखों को राह में रखना मुझे अच्छा नहीं लगता, पर मुझे तुम्हारी आने का इंतजार आज भी है.... पर हां मेरी तकलीफों की वजह आज भी तुम हो, हां बहुत बिजी हो, अब थक चुके हो तुम, यह बेमतलब जबरदस्ती के रिश्ते से मैंने ही तुम्हें आजाद किया था, पर मुझे तुम्हारे आने का इंतजार आज भी है... हमारे ना मिल पाने से, रोजों के क्लेश से, जो मेरे लिए नोकझोंक थी वो उसके लिए लड़ाई थी... अब तुम थकान महसूस करने लगे थे... इसलिए इस रिश्ते से आजादी तुम्हारी जरूरी थी, इस सब के बावजूद हां मुझे तुम्हारा इंतजार आज भी है..... मुझे तुम्हारे आने का इंतजार आज भी है, जानती हूं तुम नहीं आओगे मगर.. इन आंखों को इंतजार में आज भी रखती हूं, इन आंखों को राह में रखना मुझे अच्
Ek Lamba safer with Adarsh upadhyay
Chandra Prakash Kuniyal
मै भी कलाकार हूं, तेरी गुस्ताखी पर खुद को साजा देता हूं, इस लिए मै भी मूर्तिकार हूं। हर रोज का रोना हर रोज़ की चिंता। #कवि #कविता #उत्तराखंड #downtotheearth #feelings
POETRYWITHNEERAJ
कमाई ज़रूरत के हिसाब से कमाता हूं और हर रोज़ एक नई ज़रूरत से रूबरू हो जाता हूं जितना कमाता हूं उतना रोज़ गवाता हूं और हर रोज़ एक नई ज़रूरत से रूबरू हो जाता हूं ये शहर रोज़ एक नई चाल चलती है जिंदा रहना यहां आसान नहीं यहां जिंदगी हर रोज़ हैरान करती है जितना रोज़ कमाता हूं उतना रोज़ गवाता हूं जिंदगी ऐसे ही चलती है सारी दौलत भी लगता है मुझको कम पड़ती है Happy weekend थोड़ा थोड़ा जियो लेकिन रोज कम ही सही पर हर रोज़
शा़यर बाबु
रोज़ रोज़ मिटते है, फिर भी ख़ाक न हुए मिटते भी ऐसे हैं,कि आज भी बेबाक न हुए हर रोज़ दिलेरी से राह तकते हैं उस मौत की फिर भी उस मौत से मिलने के इत्तफ़ाक न हुए रोज़ रोज़ मिटते हैं