साहेब आज बोहरा बने, पहुंचें हैं इंदौर।
जनमानस तड़पे बहुत, बदल गया है दौर।।
बदल गया है दौर, रामलला थे कौन?
मंदिर की चर्चा नहीं, बैठे साधे मौन।।
साहेब भूले साहिबी, गाज़ी भये हुजूर।
नारियल थर-थर कंपै, चौड़ा चले खजूर।। "भक्तमाल" श्रृंखला की अगली कड़ी
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