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PANDIT DEEPAK MISHRA
अवरूद्ध न वो कर पाएंगी| आशा की स्वर्णिम श्वेत किरण, का रथ ये रोक ना पाएंगी | हो जाए भले मन विचलित सा, पर राहें ना खोने पाएगी | जो ओज भरा है इस मन में, सारे जग को दर्शाएंगी| है लक्ष्य हमारा जो निश्चित, उसका भेदन करवाएंगी| इस नील गगन के आंगन में, ये अपना ध्वज फहराएंगी| बाधाओं से भी मिले शिक्षा, इस जगत को ये दिखलाएंगी| अब छवि इस देश-धर्म की सारे, विश्व- पटल पर छाएंगी| इस धर्म सनातन से परिचित, सारे जग को करवाएंगी | संस्कृति -धर्म के मान के संग, भारत का मान बढ़ाएंगी|| ©PANDIT DEEPAK MISHRA "कोटि-कोटि नमन"
Suraj kumar
"श्रीअटल बिहारी बाजपेई की जयंती कोटि कोटि नमन" "खुशियों के बादल में,एक तारा जगमग आया था, भारत का भविष्य,आज खुद सूर्य बनकर आया था, फासला जितना पर,स्वाभिमान स्वीकार था, विधि व्याप्त दीपक,वो खुद ही जानकार था, समस्या विकट थी, पर निवारण व्याप्त ज्ञान था, अटल जी जैसे देवता, जो सर्वोपरि महान था, वाचाल भाव व्याप्त, पर चतुर चालाक थे, साहित्य राजनीति थे, वो सर्वोपरि महान थे, नई चेतना लिए, वह जग को ढालने चले, खुद संभलते रहे,और सब को संभालते चले, कुछ पीड़ा भी रही, जिसको टालते चले, ऐसे शौर्य का प्रतीक बन, सबको संभालते चले, ऐसे शौर्य का प्रतीक बन सबको संभालते चले।। - सूरज कुमार कोटि कोटि नमन........
Gautam_Anand
फ़क़त जिस्म नहीं है जो किसी को भी सौंप दूँ ये रूह का मंदिर है जिसके देवता हो तुम ©Gautam_Anand #देवता
Manmohan Dheer
कोई मनमंदिर खाली हो तो देवता हो जाऊँ पत्थर सा हो गया हूँ कहीं टिक के बैठ जाऊँ देवता
Manmohan Dheer
तुम कहते हो कि देवता है तो अकेला क्यों दहकता है या है अपराध निर्वासित ही जो भीतर भीतर धधकता है प्रश्न औचित्य पे वसुंधरा का वो इतना भी क्यों सुलगता है देवता
Shayar Mukesh Kr Tiwari.
आदमी क्या, रह नहीं पाए सम्हल के देवता रूपसी के जाल में उलझे फिसल के देवता बाढ़ की लाते तबाही तो कभी सूखा विकट किसलिए नाराज़ रहते हैं ये जल के देवता भीड़ भक्तों की खड़ी है देर से दरबार में देखिए आते हैं अब कब तक निकल के देवता की चढ़ावे में कमी तो दण्ड पाओगे ज़रूर माफ़ करते ही नहीं हैं आजकल के देवता लोग उनके पाँव छूते हैं सुना है आज भी वो बने थे 'सीरियल' में चार पल के देवता भीड़ इतनी थी कि दर्शन पास से सम्भव न था दूर से ही देख आए हम उछल के देवता कामना पूरी न हो तो सब्र खो देते हैं लोग देखते हैं दूसरे ही दिन बदल के देवता है अगर विश्वास तो फिर डर कहीं लगता नहीं हर क़दम पर हैं हमारे साथ बल के देवता है अगर किरदार में कुछ बात तो फिर आएंगे कल तुम्हारे पास अपने आप चल के देवता शाइरी सँवरेगी अपनी हम पढ़ें उनको अगर हैं पड़े इतिहास में कितने ग़ज़ल के देवता देवता।।
पवन आर्य
नमन करो उस सुभाष को जिसके नाम मात्र से अंग्रेजी आतंक डरता था, वो खुंखार शेर था जिसके सामने हिटलर भी हाथ जोड़कर झुकता था, हिला कर रख दिया था अंग्रेजी तंत्र अपने रूतबो से, अंग्रेजी हुकूमत के ठोकर मारी थी अपने जूतों से, पवन आर्य🏻 कोटि कोटि नमन....