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Anshupriya Agrawal
हर कोई यह कहता था , तुम्हें क्या दुनियादारी समझ आएगी,,, कितना काम करना पड़ता है , मरने की भी फुर्सत नहीं है हमें ।। आज प्रकृति ने तांडव मचा दिया, हाथ बांधकर सबको घर में बिठा दिया,, मरने के डर से सब घरों में कैद है ,,, सब आतंकित जब प्रकृति बनी रौद्र है ।। फुर्सत के क्षण बेशुमार ,, सब सूखे रंगहीन पर्व त्यौहार ,, लाचारी की बैसाखी पर चलकर , देखो वैशाख आ गया ।। बिना भांगड़े बिना डीजे के, रुखा- सुखा वैशाख आ गया,, ना मेलों की रौनक है,ना ढोल का थाप, ना सुरताल सरगम है ,,हर तरफ गम संताप ।। उमस उबासी कांतिहीन, वैशाख आ गया, उदासी की बैसाखी पर चढ़कर, देखो वैशाख आ गया ।। पर कितना भी उदास , उबसा हुआ वैशाख है ,, हमारे प्रायश्चित का आज, प्रकृति को शांति भरा अरदास है ।। प्रकृति से नहीं , खिलवाड़ करेंगे हम,,, उल्लास उत्साह लौट आएगी,, यह सबके दिलों का आस है ।। बैसाखी पर बैसाख
shubham
आज ही के दिन स्थापित हुआ था खालसा, जो था औरंग को दशमेश पिता की ललकार, प्रसन्नता रबी फसल के कटने की,नव वर्ष का उत्साह, सभी को मुबारक हो,'शुभम' की तरफ से बैशाखी का त्यौहार। बैसाखी
INDRAJEET KUMAR,
कर लो सारे काम अब छोड़ो न कुछ भी बाकी क्योंकि आ रहा है दिन अब जिसको कहते हैं बैसाखी ©INDRAJEET KUMAR, #बैसाखी
J P Lodhi.
बलिदान जलियांवाला बाग हत्या कांड अंजाम दिया वैशाखी, निर्मम शर्मनाक हत्याकांड की बैसाखी रहेगी साखी। वैशाखी पर्व मानने के हेतु शांतिपूर्ण सभा थी बुलाई, जनरल डायर ने निर्दोष मासूमों पर गोलियां बरसाई। वैसाखी को खौफनाक मंजर आंखों से गुजर जाता है, यह अंग्रेजों के दमन की सारी हदे बयान कर जाता हैं। यह शर्मनाक घटना इतिहास के कालें पन्नों में दर्ज है, निर्दोष मासूमों शहीदों का हम पर सदैव बड़ा कर्ज है। जलियांवाला बाग में गोलियों के निशान अब बाकी है, वतन की आजादी में शहीदों का खून मिला काफी है। डायर ने निर्दोष निहत्थों पर हजारों गोलियां थी दागी, लगा कुछ अंग्रेजों को कि कर रहे खिलाफत थे बागी। 🌹🌷🙏वीर शहीदों को कोटि कोटि नमन🙏🌷🌹 JP lodhi #वैशाखी है साखी
ankit bahuguna
नाचो-गाओ, खुशी मनाओ, आई है बैसाखी, चलो जश्न मनाओ, रखकर सब चिंताओं को एक आरे मिलकर गीत खुशी के गाओ और बैसाखी का त्योहार मनाओ!! बैसाखी की शुभकामनाएं। बैसाखी
Vineet Tambi
ढ़ोल नगाड़ा दा होंदा शोर किसाना लाई खुशियाँ दा दौर फसला पका जांदी होना बैसाखी विच भंगड़ा ते मिट्ठा गाना होना - विनीत ताम्बी #बैसाखी
Ajay Sharma
खुद्दारी लिए घिसटता बिना पैरों का एकतरफा ईश्क़- मिन्नतों की बैसाखियों पर टिके ईश्क़ से बहुत बेहतर है #बैसाखी
ankit bahuguna
बैसाखी का त्यौहार पंजाबी धर्म का एक बहुत ही महत्वपूर्ण और पावन त्यौहार में से एक है| इस त्यौहार को पंजाब में ही नहीं बल्कि हरयाणा और उसके आस पास के कई राज्यों में मनाया जाता है| यह शब्द वैसाख से बना होता है| सिख धर्म में नया साल सर्दियों की फसल काटने के बाद मनाया जाता है| इसको रबी की फसल के पकने की ख़ुशी में भी मनाया जाता है| इस दिन का सिख धर्म में इसलिए भी महत्व है क्योकि संन 1699 में सिख धर्म के दसवें गुरु गोविंद सिंहजी ने खालसा पंथ की स्थापना की थी| बैसाखी