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Neophyte
ये कुर्सियों की पंक्तिया भी रसूख़ तय करते है दिल पर मत लेना,फ़िज़ूल तय करते है ये जो बड़े बने बैठे है महफ़िल में इनकी जगह भी हुज़ूर तय करते है यक़ीन मानिये ये इनकी फितरत नही है बस हम ख़फ़ीफ के सामने गुरूर तय करते है आप भी हो सकते है इस रुतबे के मालिक ये आप में कितना है शुरूर तय करते है ©क्षत्रियंकेश कुर्सियां!
Ajeet Chaurasiya
चार महंगी कुर्सियां घर की शोभा बढ़ाती हैं, पर जमीन पर बैठे चार यार महफ़िल जमा देते हैं।... महंगी कुर्सियां #कुर्सियां #यार #महफ़िल #ajeet_chaurasiya
ओमेन्द्र ठाकुर
बड़ा गहरा ताल्लुक है सियासत का तबाही से । घर जले या शहर जिस्म जले या मजहब कुर्सियां हमेशा मुस्कराती हैं ।
Suhel Khan
बहुत सी कुर्सियां इस मुल्क में लाशों पर रखी है यह वह सच है जिसे झूठे से झूठा बोल सकता है। बहुत सी कुर्सियां इस मुल्क में लाशों पर रखी है यह वह सच है जिसे झूठे से झूठा बोल सकता है। Poet by #Munawwar_Rana
Shubham Pal
राजेश गुप्ता'बादल'
सुना है बहुत मारामारी है कुर्सी की तो, फिर इस कदर क्यूं खाली खाली हैं ये लावारिश सी कुर्सियां। सुना है बहुत मारामारी है कुर्सी की तो, फिर इस कदर क्यूं खाली खाली सी हैं ये लावारिश सी कुर्सियां। सायद गुजर चुका है
i am Voiceofdehati
★आवाज★ आवाज को आवाज से आवाज़ दे दो कुर्सियां हिलने लगे ऐसी आवाज दे दो आवाम की आवाज को बुलंद करना है देश के गद्दारों को खत्म करना है चाहते हो देश को नया आयाम देना तो आओ मिलकर हम अंजाम देते हैं जो अंजान है आवाज से बैठे हैं महलों में इनको जगाने वाला पैगाम देते हैं आओ गांधी मंत्र से, रौंद दें इनको आज अपनी ताकत का इस्तेमाल करते हैं चलो देशवासियों मतदान🖕 करते हैं।। #आवाज आवाज को आवाज से आवाज़ दे दो #कुर्सियां हिलने लगे ऐसी आवाज दे दो आवाम की आवाज को बुलंद करना है देश के #गद्दारों को खत्म करना है चाहते ह
✍ अमितेश निषाद
" पटना city " किसको खबर की उसका हाल बुरा है हमारे शहर आओ पूरा शहर डूबा है कुर्सियां भी बह गई इस सुनामी में सुना है कुर्सी वालों का भी घर डूबा है सालों तक रहे भैंस वाले नेता जी पिछले 10 साल वाला भी ले डूबा है कुछ मसीहा लगे है रातों दिन उनको पता है यहाँ मंजर बुरा है यहाँ तो यहाँ उधर की क्या कहें माँ गंगा के बेटे का बनारास भी डूबा है ✍️ अमितेश निषाद ( सुमित ) " पटना city " किसको खबर की उसका हाल बुरा है हमारे शहर आओ पूरा शहर डूबा है कुर्सियां भी बह गई इस सुनामी में सुना है कुर्सी वालों का भी घर ड
Shilpa
आज तुम्हारा कमरा खोल के देखा कुछ पुराने खत और पुरानी यादें थी हमारी मुहोबत थी और कहानी थी तुम्हारी कमीज के टूटे बटन और मैले कपडें थे