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PC.मौर्या

डिश और एंटीना में अंतर #TravelDiaries

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MANISH

#Blossom काश तुम दूरदर्शन के एंटीना 📡 होता तुम्हे घुमा घुमा कर सेट कर लेती ‼️ #शायरी

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Anuj Besra

"आजकाल छोटे छोटे बच्चे भी कमाल हैं... कोई डांस में तो कोई सिंगिंग में धूम मचा रहा है। हमारा बचपन तो बस.. छत पे चढ़ के एंटीना घुमा के चिल्लान #विचार #OpenPoetry

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#OpenPoetry "आजकाल छोटे छोटे बच्चे भी
कमाल हैं...
कोई डांस में तो कोई सिंगिंग
में धूम मचा रहा है।
हमारा बचपन तो बस..
छत पे चढ़ के एंटीना घुमा के चिल्लाने में बीत गया ????
अब साफ़ आया क्या ???
😜😝😛🤑😂" "आजकाल छोटे छोटे बच्चे भी
कमाल हैं...
कोई डांस में तो कोई सिंगिंग
में धूम मचा रहा है।
हमारा बचपन तो बस..
छत पे चढ़ के एंटीना घुमा के चिल्लान

Writer1

"ध्यान रहे कि यह कोई प्रतियोगिता नहीं है" दिए गए शब्द (एंटीना, बूस्टर, रंगोली, चित्रहार, बुधवार, रविवार, शुक्रवार, मालगुडी डेज, व्योमकेश बक #Memories #Morning #yqbaba #yqdidi #YourQuoteAndMine #musingtime

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आओ सब को 90's की बात सुनाऊं जब घर में,
शर्ट  वाला  ब्लैक एंड वाइट  टीवी हुआ करता था,
ऊंचाई पर एंटीना होता था, ग्रीष्म काल का महीना था,

उस  वक्त  पारिवारिक  वातावरण की  थी हवाएं,
रंगोली  और  चित्रकार सबका मनोरंजन कराएं,
हर रविवार और शुक्रवार को सुबो-शाम आते थे,
रेडियो सबके पसंदीदा गाना सुना मन था बहलाते थे।

अपराजिता जैसे धारावाहिक हमारे फर्ज से अवगत कराते थे,
मालगुडी  डेस, महाभारत  हमें  इतिहास  से   रुबरु  कराते थे,
रामायण  जैसे  धारावाहिक  हमें  अपने संस्कारों से मिलाते थे।

पिताजी मेरे,  का मनपसंद था व्योमकेश बख्शी,हमारी उत्सुकता बढ़ाते थे,
अगले पल क्या होगा मैं और पिताजी अनुमान लगाकर शर्त लगाते थे।
इसी बहाने से पिताजी हमें जिंदगी का असली सबक सिखाते थे।

मेरे छोटे भाई का अति प्रिय शक्तिमान, काल्पनिक था यह सारा,
परंतु आखिर में पसंदीदा पात्र, सभी दार्शनिक को एक अच्छी बात बताते थे।

दूरदर्शन और   मेरा  बचपन  मानो  एक  जैसा  था, 
दूरदर्शन पर बुनियाद धारावाहिक मेरा अति प्रिय था,
बुनियाद  की  कहानी  मुझे   घर  जैसी  लगती थी।

उस वक्त लोगों का दूरदर्शन पर सबका,
विश्वास था और यह सब के लिए खास था।
 "ध्यान रहे कि यह कोई प्रतियोगिता नहीं है"

दिए गए शब्द (एंटीना, बूस्टर, रंगोली, चित्रहार, बुधवार, रविवार, शुक्रवार, मालगुडी डेज, व्योमकेश बक

Neelam Modanwal

बहन कुछ माँगे तो फिजूल खर्च लगता है, और गर्लफ्रेँड की डिमांड को अपना सौभाग्य समझते हो.. गरीब की सब्जियाँ खरीदने मेँ इंसल्ट होती है, और शॉपि #विचार

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Prakashvaani پرکاشوانی

शीर्षक- तुम्हारा मिलना.. तुम्हारा मिलना मेरी कोशिशों और साजिशों का एक तालमेल था जिसे तुम आज भी महज एक इत्तेफ़ाक़ समझती हो उन दिनों में की गई ह #RDV18

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शीर्षक- तुम्हारा मिलना..
तुम्हारा मिलना
मेरी कोशिशों और साजिशों का एक तालमेल था
जिसे तुम आज भी महज एक इत्तेफ़ाक़ समझती हो
उन दिनों में की गई ह

Mayank Sharma

पूरी कविता यहाँ पढ़ें भुला नहीं सकेंगे हम आपकी इस कुर्बानी को खुशी खुशी जो लुटा दिये अपनी इस जवानी को मीडिया का ये खेल निराला #yqbaba #YourQuoteAndMine #श्रद्धांजलि #मलंग #bestyqhindiquotes #yqdidihindi #गलवानघाटी

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आपकी इस कुर्बानी को
खुशी खुशी जो लुटा दिये 
अपनी इस जवानी को पूरी कविता यहाँ पढ़ें

भुला नहीं सकेंगे हम
आपकी इस कुर्बानी को
खुशी खुशी जो लुटा दिये 
अपनी इस जवानी को

मीडिया का ये खेल निराला

काव्याभिषेक

⏺ ये बचपन इतनी जल्दी क्यों बीत जाता है - सबके जीवन में ख़ुशी का एक पल ज़रूर आता है, वो पल ऐसा होता की उम्र भर के लिए ठहर जाता है।

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सबके जीवन में ख़ुशी का एक पल ज़रूर आता है,
वो पल ऐसा होता की उम्र भर के लिए ठहर जाता है।
में ज़िन्दगी में वो पल बचपन का था यारों ,
पर ये बचपन इतनी जल्दी क्यूँ बीत जाता है ।
बचपन की हर बात निराली होती है ,
हर दिन होली तो हर रात दिवाली होती है ।
आज ये दिन दूर दूर तक नज़र नहीं आता है,
ये बचपन इतनी जल्दी क्यूँ बीत जाता है ।
बो बारिश का आना ,कीचड़ में नहाना,
फिर घर पर आकर मम्मी की डांट खाना,
टीचर का आना ,बोरिंग चैप्टर पढ़ाना,क्लास में न जाने के बहाने बनाना।
आज ये पल याद आकार गालों को नहला जाते हैं,
ये बचपन के दिन इतनी जल्दी क़्यो बीत जाते है ।
काका के पेड़ से अमरुद चुराना, पकडे जाने पर दौड़ लगाना ।
बाग में जाकर माली को सताना,दोस्तों के साथ ठहाके लगाना ,
आज तो ये दिन टीवी और किताबों में ही नज़र आते हैं,
ये बचपन के दिन इतनी जल्दी क्यों बीत जाते हैं। ⏺ ये बचपन इतनी जल्दी क्यों बीत जाता है -



सबके जीवन में ख़ुशी का एक पल ज़रूर आता है,

वो पल ऐसा होता की उम्र भर के लिए ठहर जाता है।
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