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Axar
Sunil itawadiya
*रामायण के एक पात्र का अनुसरण करके हम कोरोना को 100% मात दे सकते हैं* . 😀कुम्भकर्ण 😴😴😀😀 कुंभकरण की तरह सो जाओ नहीं तो रामायण देखो 🤗🤗🤗🤗🤗
Niraj Kumar nishad
हमें रामायण अभी इसलिए दिखा रहे हैं ताकि हम कुंभकरण से कुछ सीख सकें 😒😴😴 #niraj #movi #live #modi हमें रामायण अभी इसलिए दिखा रहे हैं ताकि हम कुंभकरण से कुछ सीख सकें 😒😴😴 #niraj #movi #live #modi
Sayed Fitzroy
भ्रमों पर आ जाऊं तो रावण हूँ मैं, धर्म पर आ जाऊं राम। बेहोश रहूँ कुंभकरण हूँ जोश में आ जाऊं तो हनुमान। आपनो की फ़िक्र करूँ तो लक्छ्मण हूँ मैं, सब की फ़िक्र पर आ जाऊं तो विभिषण हूँ।। स्नेह पर हूँ लव जैसा, अंकुश नहीं है मुझमें कुश जैसा ।। *दशहरा पर्व आपको मुबारक़ हो* ARZ-ए-SAYED भ्रमों पर आ जाऊं तो रावण हूँ मैं, धर्म पर आ जाऊं राम। बेहोश रहूँ कुंभकरण हूँ जोश में आ जाऊं तो हनुमान। आपनो की फ़िक्र करूँ तो लक्छ्मण हूँ मै
Ravendra
अजय वर्मा
गरीबों की दासता दिखता है वो लिखता हूं , कहने से कौन डरता है । तुझ पर हुए अत्याचारों की कहानी, सरे आम चिल्लाता हूं।। शायद कुंभकरण की नींद खुले, मेरे इस चिल्लाने से । सत्ता का सुख भोग रहे है , जो महलों की परछाई में ।। शासन धृतराष्ट्र बना बैठा है, ए.सी. की दीवारों में । मजदूर कीमत चुका रहे है, मिट्टी की दीवारों में ।। अपनी मां को बलि चढ़ा दी, उसके ही पुत्रो की तुमने । भारत मां शर्मिंदा हुई है, पटरी पर लहूलुहान हुई है ।। वन्दे भारत समुद्र सेतु , विदेशों में इज्जत है । जो जिंदा है कद्र नहीं, मरे हुए को आंसू है ।। जनता बैठी घरों में, मरने की क्या इजाजत है । घर में खाने को नहीं, राजनीति गंगाजल है ।। गरीब भीख मांग रहा था, रेल की उन पटरियों पर । पैसे तुमने खूब लुटाए , व्यापारियों की छाती पर ।। तुमने सोचा जिंदा रहेंगे, भूख से कौन मरता है । शायद तुमको पता नहीं, भूखमरी भारत की चिंता है ।। मेरी कविता रोती - गाती, और पूछती एक सवाल । जो जिंदा है मरे नहीं है, मरने की क्या इजाजत है ।। - अजय वर्मा दिखता है वो लिखता हूं , कहने से कौन डरता है । तुझ पर हुए अत्याचारों की कहानी, सरे आम चिल्लाता हूं।। शायद कुंभकरण की नींद खुले, मेरे इस चिल्
Darshan Blon
"और कब तक सोना है बेटा?" कहते हुए माई जगाई मुझे, "आधा दिन निकल चुका है अब तो" कहते हुए वो उठाई मुझे, आंखें मलते, जम्हाई लेते, दोनों बाहों को तानते हुए उठा मैं भी बिस्तर से, दौड़ाया नज़र जो मोबाइल पर तो "दस मिस्डकॉल" आ चुका था दफ्तर से, देखा घड़ी तो बजा था नौ पर मेरा बारह बज गया , झटसे दंत मंज़न और स्नान करके फटसे दफ्तर की और निकल पड़ा l पूरा किस्सा कैप्शन में पढ़ें..... सुप्रभात। सुबह हो चुकी है। मन को जगाइए। #कबतक #collab #yqdidi #हास्यकविता #funnypoem #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi