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vishnu prabhakar singh

जागो भारत जागो 
'अवधारणा'
हमारी निती राजनिती 
अच्छे बुरे की निजता से परे 
बेखौप,तल्ख आरोप के व्याख्यान पर 
हमसे चौकन्ना कोई हो कैसे 
हमारा स्पष्ट पारदर्शी इतिहास 
धुसरित है स्वार्थ से 
जहाँ यतन से ढूँढा था हमने विकृत 
भाँप लिया था ठप पडी इच्छा-शक्ती 
तब इसके उत्तथान के लिये बने बेखौप 
बिसरायी संवैधानिक बाधा 
विकास किया विकृत का 
केंद्रित की क्षेत्रियता 
प्रतिष्ठित की मानसिकता 
झेला अनुशासन हीनता का पश्याताप 
परंपरा तोडा परिवार जोडा 
सार्वजनिकता में सुलभ हुये 
भय के माहामंडन में बैर लिया
धौस से हमारा शोषन हुआ 
वाणिज्यिक धन को तरसते रहे 
राष्ट्रपति मनोनित संस्था के हाशिये पर 
लम्बा संघर्ष किया 
आसान नहीं रहा 
जरा सोचो,
अहिंसा के पूजारियो और संवैधानिक पीठ की कर्मण्यता 
कल्याणकारी रुप और सुदृढ विधि-व्यवस्था का खुला मंच 
दिमाग खराब !
तब हमने आविष्कार किया 
अशिक्षित समाज के लिये भ्रम 
धर्म और जात में खोये को धन 
अधुरा-सच का मूल मंत्र 
भोकाल का नेपथ्य तंत्र
हम बोल-बोल कर अनशुने रहे 
ऊठती ऊंगलियो को अप्रमाण बताया 
अछूत का विषपाण किया 
फसते ही चले गये 
तब ये विरादरी बनी त्रुव का पत्त्ता
जहां असुरक्षित लाभ बढा रहे है,और हमें मिल रहा है असंवेदनशीलों का बहुमत! #अवधारणा

Nirupama Mishra

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Praveen Jain "पल्लव"

#lonely बाजारवाद की अवधारणा में,नारी की कीमत अक रही है #lonely #कविता

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पल्लव की डायरी
सृष्टि के श्रंगार और निर्माण की
अद्भुत कला थी नारी
नर की पौरुषता को,निखारती थी नारी
जननी सभ्यताओं की पाठशाला संस्कृति की थी
परिस्थितियों से संघर्ष कर
शिवाजी और महाराणा प्रताप बनाती नारी
आज गमो में घुटकर लाचार दिखती नारी
घरों से बहार निकलकर,आजादी की दुहाई देती नारी
टूट रहे परिवार परवरिश से,उदण्डता पनप रही है
मापदंडों पर दोहरी भूमिका, बेचारी नारी दो पाटो में
चक्की की तरह पिस रही है
बाजार बाद की अवधारणाओं में,
नारी की कीमत अक रही है
                                          प्रवीण जैन पल्लव

©Praveen Jain "पल्लव" #lonely
बाजारवाद की अवधारणा में,नारी की कीमत अक रही है
#lonely

Ek villain

#आज गांधी जी की अहिंसा की अवधारणा को समझना और पालन करने की आवश्यकता है #gandhijayanti #Society

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सारा जगत ब्रह्मा है गांधी जी का आदर्श महाकाव्य था उनके अनुसार सभी जीवो के अंदर एक ही परमात्मा का वास है जीव हिंसा परमात्मा की हिंसा है जिससे हम जीवित नहीं रह सकते उसे मारने का हक भी नहीं है इसलिए थोड़ा भी हिंसा उनके मन को व्यतीत कर देती है वह जानते थे कि धार्मिक विद्वेष हिंसा का सबसे बड़ा कारण है इसलिए उन्होंने जीवन की अंतिम क्षणों तक सर्वधर्म समभाव पर जोर दिया सब वह सब के कल्याण के लिए भारत में प्रेम सद्भाव और भाईचारा देखना चाहते थे इसलिए सब रामराज्य की संकल्पना की थी क्योंकि राम राज्य में सब्र नारे संकल्प की थी आज गांधी जी की हिंसा की अवधारणा को समझने और पालन करने की आवश्यकता है

©Ek villain #आज गांधी जी की अहिंसा की अवधारणा को समझना और पालन करने की आवश्यकता है
#gandhijayanti

Sweeti Panwar

मेरे मन की धारणा #विचार

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चांद को देखकर मेरे मन में यह ख्याल आता है कि जैसे इसकी मां ने इसे खुले आसमान में अकेला छोड़ दिया है , वैसे ही मेरी मां भी मुझे खुले आसमान में अकेला छोड़ देती तो आज पूरी दुनिया मुझे देखती रहती।

©Sweeti Panwar मेरे मन की धारणा

Ek villain

#प्रधानमंत्री की सकारात्मक और रचनात्मक सोच #dost #Society

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स्वस्थ लोकतंत्र के लिए पक्ष और विपक्ष का मजबूत होना बहुत जरूरी है आज तक जितने भी महान राजनीतिक में उन्होंने इस बात को हमेशा दौर आया है आज भारतीय राजनीति में सत्ता पक्ष बड़ी मजबूती के साथ कुशल नेतृत्व में आगे बढ़ रहा है राष्ट्रीय स्तर पर यदि विपक्ष की बात कही जाए तो ना ही विपक्षी नेता के रूप में कोई मजबूती से खड़ा दिखाई दे रहा है और ना ही विपक्षी दल के रूप में कोई दल मजबूती से खड़ा है आज प्रधानमंत्री सकारात्मक और रचनात्मक सोच के बल पर देश प्रेमियों में राष्ट्रीयता जैसे कई पहलुओं को लेकर उत्तर से लेकर दक्षिण और पूर्व से लेकर पश्चिम तक पूरे भारत को एक सूत्र में बांधने का प्रयास कर रहे हैं वहीं विपक्षी नेता क्षेत्र दया की जड़ों की सीखते हुए दिखाई दे रहे हैं पूरे देश में एक सशक्त विपक्ष खड़ा हो इसके लिए जरूरी है कि राष्ट्रीय पार्टी इस नेतृत्व करें महंगाई बेरोजगारी कुपोषण शिक्षा और स्वास्थ्य से संबंधित कोई ऐसे मुद्दे हैं जिनके बल पर सत्ता पक्ष को आज भी कटघरे में खड़ा किया जा सकता है

©Ek villain #प्रधानमंत्री की सकारात्मक और रचनात्मक सोच

#dost
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