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VED PRAKASH 73
तुम्हारी यातनाएं और अणिमा तुम्हारी कल्पनाएं और लघिमा तुम्हारी गगन भेदी गूंज गरिमा तुम्हारे बोल भू की दिव्य महिमा तुम्हारी जीभ के पैरों महावर तुम्हारी अस्ति पर दो युग निछावर... -वेद प्रकाश ©VED PRAKASH 73 #शिलालेख
VED PRAKASH 73
तन मन थक जाएं मृदु सरभि सी समीर में बुद्धि बुद्धि में हो लीन मन में मन जी जी में एक अनुभव बहता रहे अभय आतमाओं में कब से मैं रहा पुकार जागो फिर एक बार... -वेद प्रकाश ©VED PRAKASH 73 #शिलालेख
VED PRAKASH 73
लुटा गया है कौन जौहरी अपने घर का भरा खजाना पतों पर फूलों पर पगपग बिखरे हुए रतन हैं नाना जी होता इन ओस कणों को अंजली में भर घर ले आऊं इनकी शोभा निरख निरख कर इन पर कविता एक बनाऊं... -वेद प्रकाश ©VED PRAKASH 73 #शिलालेख
VED PRAKASH 73
हर परिचय शुभकामना हुआ दो गीत हुए सांत्वना बना बिजली कौंधी सो आंख लगीं अंधियारा फिर से और लगा पूरा जीवन आधा आधा तन घर में मन परदेश रहा... -वेद प्रकाश ©VED PRAKASH 73 #शिलालेख
VED PRAKASH 73
बाजारों में घूमता हूँ नि:शब्द डिब्बों में बन्द हो रहा है पूरा देश पूरा जीवन बिक्री के लिए एक नई रंगीन किताब है जो मेरी कविता के विरोध में आई है... -वेद प्रकाश ©VED PRAKASH 73 #शिलालेख
VED PRAKASH 73
बीती विभावरी जाग री अंबर पनघट में डूबो रही तारा घट उषा नागरी अंधरों में राग अमंद पिए अलकों में मलयज बंद किए तू अब तक सोई है आली आंखों में भरे विहाग री... -वेद प्रकाश ©VED PRAKASH 73 #शिलालेख
VED PRAKASH 73
जिज्ञासा से था आकुल मन वह मिटी हुई कब तन्मय मैं विश्वास मांगती थी प्रतिक्षण आधार पर गई निश्चय मैं बाधा-विरोध अनुकूल बने अंतचेतन अरुणादय में पथ भूल विहंस मृदु फूल बने मैं विजयी प्रिय तेरी जय में... -वेद प्रकाश ©VED PRAKASH 73 #शिलालेख
VED PRAKASH 73
जब रजनी के सूने क्षण में तन-मन के एकाकीपन में कवि अपनी विहल वाणी से अपना व्याकुल मन बहलाता त्राहि-त्राहि कर उठता जीवन... -वेद प्रकाश ©VED PRAKASH 73 #शिलालेख
VED PRAKASH 73
गाऊं कैसा गीत की जिससे तेरा पत्थर मन पिघलाऊं जाऊं किसके द्वार जहां ये अपना दुखिया मन बहलाऊं गली-गली डोलूं बौराया बैरिन हुई स्वयं की छाया मिला नहीं कोई भी ऐसा जिससे अपनी पीर कहूं मैं... -वेद प्रकाश ©VED PRAKASH 73 #शिलालेख
VED PRAKASH 73
विचार लो कि मतर्य हो न मृत्यु से डरो कभी, मरो पंरतु यों मरो कि याद जो करे सभी। यही पशु-प्रवृति है कि आप आप ही चरे, वही मनुष्य है कि जो मनुष्य के लिए मरे... -वेद प्रकाश ©VED PRAKASH 73 #शिलालेख