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Vikas Sharma Shivaaya'
कार्य में, नौकरी या व्यवसाय में सफलता मंत्र मंगलवार के दिन- 'ऊं नमो भगवते पंचवदनाय ऊर्ध्वमुखाय हयग्रीवाय रूं रूं रूं रूं रूं रुद्रमूर्तये सकलजन वशकराय स्वाहा' -पर ध्यान रहे कर्म जरुरी है -कर्म प्रधान है .... “ अबिगत गति कछु कहत न आवै-ज्यो गूंगों मीठे फल की रास अंतर्गत ही भावै।। परम स्वादु सबहीं जु निरंतर अमित तोष उपजावै-मन बानी को अगम अगोचर सो जाने जो पावै।। मून जाति जुगति बिनु निरालंब मन चक्रत धावै-सब बिधि अगम बिचारहि,तांतों सुर सगुन लीला पद गावै।। “ निराकार ब्रह्म की सोच आवश्यक है- यह समरूपता और भाषण की बात नहीं है- जिस तरह एक गूंगे को मिठाई खिलाई जाती है और उसे स्वाद के लिए कहा जाता है, वह मिठाई का स्वाद नहीं बता सकता है,केवल उसका मन ही मीठे रस का स्वाद जानता है। निराकार ब्रह्म का कोई रूप नहीं है और न ही कोई गुण है-इसलिए मैं यहां खड़ा नहीं हो सकता,वह हर तरह से अगम्य है-इसलिए सूरदास जी ने सगुण ब्रह्म श्री कृष्ण की लीला का गायन करना उचित समझा। 🙏 बोलो मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल जी महाराज की जय 🌹 ©Vikas Sharma Shivaaya' कार्य में, नौकरी या व्यवसाय में सफलता मंत्र मंगलवार के दिन- 'ऊं नमो भगवते पंचवदनाय ऊर्ध्वमुखाय हयग्रीवाय रूं रूं रूं रूं रूं रुद्रमूर्तये स
Abhishek Sharma
¶ मन ¶ मन के हारे हार है, मन के जीते जीत है, मन कहत बार बार कुछ कर कुछ कर ,जग में रहकर , कुछ नाम कर मन कहत कुछ कर
writar ShivendraSinghsonu
हम हँसाया करते है, तुम गमो की फौज तैयार करते हो हम प्यार करते है, और तुम कातिल बनके वार करते हो ये हुनर कहा से लाए हो मुस्कराते हो और पूरा खंजर आर पार करते हो सम्भलने का वक्त भी नही देते हो वो शक्स तुम्ही हो जो किस्सा हर बार करते हो ©writar ShivendraSinghsonu कछु बोलो बस #selfhate
Parasram Arora
अगर जीवन समान्य गति से ही दौड़ रहा हैँ तो जीवन कि उम्र लम्बायमान हो सकती हैँ लेकिन एक तेज़ गति क़ी राइड जीवन का समापन कर सकती हैँ ©Parasram Arora गति