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rajkumar shastri
#WorldEnvironmentDay यदि चाहते हो सुख से जीना पर्यावरण को करो सुरक्षा , वर्ना किसी से न करना अपेक्षा । #WorldEnvironmentDay जीव , जन्तु , प्राणी है तबतक है जीवविज्ञान ।
~Bhavi
जीव जन्तुओं का मत करो बहिष्कार.. यही है हमारे खेतों की पैदावार।। ©bhawna gupta जीव जन्तुओं का मत करो बहिष्कार.. यही है हमारे खेतों की पैदावार।। #Worldanimalday
Garima Mahnot Jain
नकारात्मकता सोच में है ना कि किसी जीव जन्तु से। नकारात्मकता सोच में है ना कि किसी जीव जन्तु से। . . . . .
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
बैठ गई नलकूप पर , हृदय लगाए आस । मेघराज अब आप ही , बुझा सकोगे प्यास ।। १ चिडिय़ा रानी देख लो , मानव सभ्य समाज । तेरी खातिर नीर भी , बचा न पाए आज ।। २ प्यासे पक्षी के लिए , रखना नीर सँभाल । सुनो सभी अब सुधिजनों , जल का यहाँ अकाल ।।३ गर्म हवा अरु धूप से , जीव जन्तु बेहाल । समय बदल अब है रहा , देखो अपनी चाल ।।४ प्यास बुझे वह जल नहीं , दूषित जल संचार । जीव जन्तु पीकर मरे , व्यस्थापक लाचार ।। ५ बूंद-बूंद को ताकते ,आज सभी है जन्तु । झरनें चुप सूखी नदी , कहने लगे परन्तु ।।६ ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR बैठ गई नलकूप पर , हृदय लगाए आस । मेघराज अब आप ही , बुझा सकोगे प्यास ।। १ चिडिय़ा रानी देख लो , मानव सभ्य समाज । तेरी खातिर नीर भी , बचा न पा
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
कह दो अब विज्ञान से , ले ले आज विकास । हमको फिर दे दे वही , सुंदर वन की घास ।। वन की सुंदर घास ही , रही प्रकृति उपहार । मानव की औषधि वनी , जीव जन्तु आहार । मानव का यह स्वार्थ ही , पशु पर करे प्रहार । अन्न समेटे वह सदा , व्यर्थ भूस भंडार ।। जीव जन्तु को मार कर , खाता क्यों इंसान । बना रहा अपने लिए , महल और शमशान ।। कभी प्रकृति के भी नियम , आँख खोल कर देख । जिसकी होती वृद्धि है , मिटती उसकी रेख ।। व्यर्थ बहाते धन सभी , करे न सद उपयोग । घटती जाती आयु यह , कहते कर लो योग ।। १६/०३/२०२३ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR कह दो अब विज्ञान से , ले ले आज विकास । हमको फिर दे दे वही , सुंदर वन की घास ।। वन की सुंदर घास ही , रही प्रकृति उपहार । मानव की औषधि वनी ,
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
मुक्तक :- दौर हर जीव जन्तु गुब्बारा है, क्या इसका आज सहारा है । अब कौन यहाँ किसको मारे, क्या खबर कौन हत्यारा है । इस युग का तो दौर अजब है , देखो अपने इधर-उधर भी- बचकर रहना उनसे भी तुम , जो कहते तुझको प्यारा है ।। १९/०६/२०२३ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR मुक्तक :- दौर हर जीव जन्तु गुब्बारा है, क्या इसका आज सहारा है । अब कौन यहाँ किसको मारे, क्या खबर कौन हत्यारा है । इस युग का तो दौर अजब है ,
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
कुण्डलिया :- पढ़ लें यह संदेश अब , मानव सभी महान । जीव जन्तु के एक हम , मात्र सहारा जान ।। मात्र सहारा जान , करें उनका संरक्षण । यह मानव का धर्म , करें मत उनका भक्षण ।। बनकर हम सेवार्थ , चलो जीवन को गढ़ लें । वह तो है असहाय , कहानी फिर हम पढ़ ले ।। १७ /०३/२०२३ महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR पढ़ लें यह संदेश अब , मानव सभी महान । जीव जन्तु के एक हम , मात्र सहारा जान ।। मात्र सहारा जान , करें उनका संरक्षण । यह मानव का धर्म , कर
Neer
Amazon forest fire, हमें क्या फर्क पड़ता है, जले धरती जले जंगल हमें क्या फर्क पड़ता है हमारा घर रहे मंगल हमें क्या फर्क पड़ता है इंसानी गलतियाँ देखो कहर बनके बरपी हैं जले जन्तु जले संदल हमें क्या फर्क पड़ता है " नीर " जले धरती जल जंगल हमें क्या फर्क पड़ता है हमारा घर रहे मंगल हमें क्या फर्क पड़ता है इंसानी गलतियाँ देखो कहर बनके बरपी हैं जले जन्
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
राम-सिया के संग में , चलें लखन जो साथ । देख-देख सब जन कहें , ये रघुकुल के नाथ ।। त्याग अयोध्या धाम को , वन को जाते राम । लखन सिया भी संग में , जन जन करें प्रणाम ।। हाँथ सिया का थाम के , चलें आज रघुनाथ । बन सेवक देखो लखन , सिया राम के साथ ।। तृप्त सभी का मन हुआ , देखो दीना नाथ । जीव जन्तु हर्षित हुए , देख आज रघुनाथ ।। ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR राम-सिया के संग में , चलें लखन जो साथ । देख-देख सब जन कहें , ये रघुकुल के नाथ ।। त्याग अयोध्या धाम को , वन को जाते राम । लखन सिया भ
Sonali Agrawal
गहरे समंदर में...! जहां पर है गहरी शांति और शोर, दोनों एक साथ, एक अलग ही दुनिया....! एक अलग ही दुनिया, जहां हैं कई तरह के जन्तु, जिन्हें कभी देखा तक नहीं..! तब जाना ,दुनिया कितनी बड़ी है, डूब कर बाहर जो निकली, खुद से ही मु