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Arora PR
दरिया सागर और नदी तीनो मेरे सामने है कोई ठहरा है कोई बह रहा और कोई सांस लेने के लिये. लहरों को उछा ल रहा है लेकिन इन सबके वजूद मे पानी. एक कॉमन फैक्टर है ©Arora PR कॉमन फैक्टर
Yusuf ali Yusuf ali
एक आदमी एक फैक्टरी मै काम कर रहा था उस फैक्टरी मै आग लग गयी उस आदमी कि बीवी वोली के फैक्टरी तो आग लाग गयी थी आप केसे बाचे आदमी वोला कि मै ब
MANJEET SINGH THAKRAL
Power Of IAS
Humayoun Naqsh
हमारी फितरत ही अजीब है हम पर्यावरण बचाने की बात करते हैं, जानवरों,पशुपछी को मारते हैं उनके घर उजाड़ते हैं, जंगल काटते हैं जलाते हैं, काल कारखाने फैक्टरी लगाते हैं अपना घर बस्ती बसाते हैं और कहते हैं हम पर्यावरण बचाते हैं। #WorldEnvironmentDay हमारी फितरत ही अजीब है हम पर्यावरण बचाने की बात करते हैं, जानवरों,पशुपछी को मारते हैं उनके घर उजाड़ते हैं, जंगल काटते ह
Dr Jayanti Pandey
वक्त आने पर सारे जवाब मांगेगी, प्रकृति भूलती कुछ नहीं है, हिसाब मांगेगी तुम्हारा दिया लौटाएगी सूद समेत, प्रकृति न्यायप्रिय है,हर अन्याय का सबाब मांगेगी सबाब -" कारण; फैक्टर प्रकृति की सुन्दरता बसी उसके अनवरत सृजन में, हर विधि निखरते जीवन में जो जहां जिस हाल मिला उसके नित्य ही संवर्धन में, च
Sanjeev Prajapati
खेत से बढ़कर कोई फैक्टरी नहीं ... अनाज से बढ़कर कोई प्रोडक्ट नहीं ... किसान से बढ़कर कोई उद्यमी नहीं... सरकार से बढ़कर कोई सपनो का व्यापारी नहीं ... लोकतंत्र से बढ़कर कोई भरम नहीं ... और कर्म से बढ़कर कोई धर्म नहीं... तो आ अब लौट चले अपने खेत की ओर... जहां अपने पुरखों के पैरों के निशान मिलेंगे ... जहां गिरा उनका पसीना कमाकर खाने की प्रेरणा देगा ... और जहां खुद की मेहनत स्वाभिमान देगी ... खेत किसान का रणक्षेत्र होता है जहां वो कभी नहीं हारता ... धरतीपुत्र-अन्नदाता की जय हो स्वेदेशी भारत (Aiwayarmy) #alone खेत से बढ़कर कोई फैक्टरी नहीं ... अनाज से बढ़कर कोई प्रोडक्ट नहीं ... किसान से बढ़कर कोई उद्यमी नहीं... सरकार से बढ़कर कोई सपनो का व्याप
तुषार"आदित्य"
भीड़-भाड़ वाले रास्तों का ये सूनापन कैसा लगता है? सबके साथ रहकर भी ये अकेला मन कैसा लगता है? अरे तुम चाँद हो ना सितारों के बीच रहने वाले अब बताओ ये खाली खाली सा गगन कैसा लगता है। चिड़ियों की चहचहाहट या सवाल है बताओ क़ायदों की कैद में कैसा लगता है? फ़िज़ाओ ने अब अपनी अस्ल रंगत जानी कि फैक्टरियों के धुएं के बगैर कैसा लगता है। इंसान खुद को बेहद काबिल समझ रहा था ख़ुदा ने फ़िर पूछ लिया!ये हस्र कैसा लगता है? भीड़-भाड़ वाले रास्तों का ये सूनापन कैसा लगता है? सबके साथ रहकर भी ये अकेला मन कैसा लगता है? अरे तुम चाँद हो ना सितारों के बीच रहने वाले अब
वो फिर आएगी
दिवाली से पटाखे छीन लो , छीन लो होली से रंग और गुलाल, मूर्ती विसर्जन मे डालो अड़चन, बंदिशे लगाओ जितनी हो दिलमे मलाल... (Caption मे पढें) दिवाली से पटाखे छीन लो, छीन लो होली से रंग और गुलाल, मूर्ती विसर्जन मे डालो अड़चन, लगाओ बंदिशे जितनी हो दिल मे मलाल, संक्रांति की पतंग से मा
Divya Joshi
पुलिस को जानकारी देने के बाद वे रायचंद जी को कहते हैं कि अपने वो गिफ्ट बॉक्सेस फेंक कर बड़ी गलती की। उस स्थान पर जाने पर वहाँ उन्हें कुछ नही मिलता। ऑफिसर रायचंद जी को फटकार लगाकर कहते हैं कि अब किसी भी तरह की घटना होने पर सबसे पहले जानकारी और उससे जुड़ी चीजें वह पुलिस को देंगे।पुलिस स्टेशन वापस आकर वे रायचंद जी से कुछ जरूरी सवाल पूछते हैं। जिनमें एक सवाल यह भी होता है कि जिस कमरे में उनके गिफ्ट्स रखे थे उसकी चाबी कहाँ, किसके पास थी? रायचंद जी को इसकी अधिक जानकारी नहीं होती। अतः वह उन्हें पता करके बताने को कहते हैं। रायचंद जी इसके बाद फैक्टरी से मूलचंद को फोन लगाते हैं और उन्हें इस घटना की जानकारी देते हैं। और चाबी के बारे में पूछते हैं।मूलचंद जी आश्चर्यचकित और चिंतिंत होकर कहते हैं भैया मुझे तो इस बारे में कुछ नहीं पता और गिफ्ट की बात है तो कमरे की चाबी शुरू से सुरेश के पास थी। ©Divya Joshi पूरी कहानी पढ़ने के लिए नीचे लिंक पर क्लिक करें https://lekhaniblog.blogspot.com/2022/05/6_30.html पुलिस को जानकारी देने के बाद वे रायचंद जी