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VEER NIRVEL
तेरे गाल भी क्या हैं जैसे डबल रोटियां, नहीं है कोई भी हड्डी फक़त बोटियां ही बोटियां... #𝙲𝚑𝚊𝚒_𝙻𝚘𝚟𝚎𝚛 ©VEER NIRVEL तेरे गाल भी क्या हैं जैसे डबल रोटियां, नहीं है कोई भी हड्डी फक़त बोटियां ही बोटियां... #𝙲𝚑𝚊𝚒_𝙻𝚘𝚟𝚎𝚛
Manish Kumar Savita
रोटियां भी अजब खेल खिला रहीं है जिंदगी को मौत से लड़वा रहीं है।। #Manish Kumar Savita #रोटियां
Manmohan Dheer
फिक्रमंद इस बात पे न हो कि किसकी कितनी काटी हैं बोटियाँ ख़याल रखा जाए कि तुमने किसको कितनी बांटी है रोटियाँ . धीर रोटियां
Sunita
रोटियों की ताकत से हर कोई वाकिफ है चाहे वो अमीर हो या गरीब एक वक़्त भी ना मिले हम अपनी औकात दिखा देते है ©Sunita #रोटियां
Parasram Arora
हा यही हैं वो भारत देश हमारा जहाँ दुध घी की नदिया बहा करती थी कभी हां यही हैं वो देश जहाँ आदमी आसानी से पैदा हो जाता हैं किसी भी पल किसी भी मौसम मे किन्तु कितना शर्माती हैं कितना संकोच करती हैं "रोटियां " पैदा होने मे जिनके लिए आदमी ख़ुद को बेच भी देता हैं इसीके लिए यहां कितनी मारमारी हैं छीना झपटी हैं ©Parasram Arora "रोटियां "
HP
हे बहिर्मुखी, अन्तर्मुख हो! यह वास्तु जगत माया-निर्मित, काया में हमने क्या पाया! कुछ श्वास, चेतना, स्पन्दन, वैभव ने जिसको ललचाया!! क्षण भंगुर सिन्धु तरंगों सा, अस्थिर, उच्छ्रवास पुँज, जीवन! यह समय उधेड़ बुन करता कर्मों से नियति-सुदृढ़-जीवन!! कर्त्तव्य किया फल मिलने पर- पागल! फिर क्यों दुख हो, सुख हो? हे बहिर्मुखी, अन्तर्मुख हो! कलिका-संपुट में ओस-बिन्दु, कुछ क्षण भर का इतिहास लिए! जिसका मिट जाना ही परिचय- है स्निग्ध, मधुर मृदु ह्रास लिये!! पावस-रजनी, घनघोर घटा, झंझावातों का वेग प्रबल विद्युत अस्तित्व बता देती, पल में चमका कर छोर सबल!! स्मिति जैसी यह ज्योति लिए- मानव! जगती के सम्मुख हो! हे बहिर्मुखी, अन्तर्मुख हो!! काया में हमने क्या पाया
Aniket Sen
ना जाने दिल का दर्द था, या उसने धोख़ा खाया था, मुझे अपनाकर कहने लगी, वो जो भी था पराया था। सारी रात बैठ कर उसके सिरहाने, मैंने उसे सुलाया था, मुश्किल से अपना हाथ छुड़वा कर, मैं घर को लौट पाया था। इल्ज़ाम था मुझ पर अगले दिन, कि मैंने उसे रुलाया था, पर माँ ने मेरी मुझे, बस यही तो नहीं सिखाया था। आई थी वो भी, मेरे आखरी वक़्त में मुझे कंधा देने, उस पर मेरा बस एक कंधे का कर्ज़ बकाया था। #आखरी_वक़्त #कंधा #कर्ज़ #बकाया #पराया #bestyqhindiquotes #yqdidi #ifyoulikeitthenletmeknow
Anuj Ray
आज तक मैं घर इबादत का समझता था जिसे शान ए मजहब और मस्जिद कहता था जिसे.. रहता है मक्का का मालिक सब खुदा कहते जिसे पैगाम देता है अमन बदनाम कर डाला उसे कल रात से सदमे में हूं मैं यह देख कर अब तक.. हम पसीना खून पानी एक करके टैक्स देते रोटियां खैरात में बाटेंगे इन पर और कब तक तब तक.. रोटियां खैरात की
Aniket Sen
कट गए वह पेड़, जिनकी हम पर छाया थी, बहुत जल्द दूर हो गए, जिनकी उम्र बकाया थी। अंधेरों से भरी दुनियाँ में वो, रोशनी का एक साया थी, जिसे हमने अपना समझा, वो धन कोई पराया थी। देखते रह गए हम जिसे, वो रेशम सी काया थी। जो ना रह कर भी साथ रही, वही हमारी माया थी। #माया #काया #पराया #उम्र #पेड़ #bestyqhindiquotes #yqdidi #ifyoulikeitthenletmeknow