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lucky joshi
#FourLinePoetry यह खुबसूरत संध्या का दृश्य मन में यूं बस गया है देखकर इसे मन शांत सा हो गया हैं, शहर के कोलाहल पूर्ण जिंदगी मै यह शुद्ध पवन को बसा लूं ...... कुछ इस प्रकार अपने आंतरिक शक्ति के रुप मैं और खो जाऊं जब हो अशांत मन उसे शांत किया जाए इस संध्या की तरह.... ©lucky joshi इन पहाड़ों को , इन वादियों को देखकर मन खो गया हैं .....
Mamta Singh
हमारी मुस्कराहट पर ना जाइए देख कर हमारी अदा ना हमसे दिल लगाइए इस दिल में हमने जाने कितने राज़ छुपाए है कैसे बताएं तुझे ओ बेदर्द सनम के हम तो अक्सर आंसूओं के संग मुस्कुराए है ©Mamta Singh इन आंखों कि मस्ती के मस्ताने हजारों हैं
Rukhsar Khanam
इन पंक्षीयों को देख दिल में कुछ ख्याल आते हैं!! बेजुबान है फिर भी ये कैसे रिस्ते निभाते हैं!! तिनके-तिनके जोड़ ये अपने घरौंदे सजाते हैं!! दाने चुन-चुन के अपने बच्चों की ये भुख मिटाते हैं!! ए जमाने वालों इन बेजुबानों से आप कुछ तो सीख लो !! इन बेजुबानों को देखो कैसे ये रिस्तों को निभाते हैं!! अपने घरों को सजाते हैं घर को मोहब्बतों से ये जन्नत बनाते हैं!! हम जुबान लेकर भी रिस्तों में कैसे कड़वाहटे बाटते हैं!! ये बेजुबान होकर भी हमे मोहब्बत सीखाते हैं!! रिस्तों को कैसे निभाते है ये बेजुबान होकर भी हमको बतलाते हैं!! l ✍️मेरे अल्फ़ाज ©Rukhasar Khanam #इन पंक्षीयों को देख कुछ ख्याल आता हैं
Parasram Arora
ज़ो चमन गुलज़ार था पहले अब बर्बादी की ओर बड़ रहा मजहब की आड़ मे दरन्दगीया पल रही है हर शहर मे कहर की लहर चल रही है नेताओं की दीवानगी बस कुर्सी क़े लीए जी रही है इन दिनों मैखानो मे शराब की किल्ल्त बड़ रही है क्योंकि मस्जिदों मे मुफ्त की अफीम बंट रही है ©Parasram Arora इन दिनों......
Abhishek Kumar
इन दिनो, बादलों में बरसात थोड़ा कम है, दुआओं की सौगात मे थोड़ा गम है, इस मौसम मे भी धूप ढूंढ रही मेरी आँखें इन सभी की वजह मैं नहीं हम हैं! हालांकि कोई शिकायत नहीं मैंने हमेशा सफर को जिया है, इसमे "हम" की यादें मे थोड़ी ताज़गी भी है, थोड़ी उबासगी भी है, दोनों सही है दोनों वहीं है, दिल के करीब.... इन दिनो....