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पंकज कुमार सिंह
दे मुझको वरदान ! जगत जननी मां चामुंडे, मैं तेरी सन्तान, री! मैया, दे मुझको वरदान ! पड़े विपदा जब भी भयंकर, करना महरानी प्यार शुभंकर, खिले अधर पर रोज निरंतर जीवन की मुस्कान! इठलाऊं ना ताज पहनकर, विघ्नों को झेलूं सदा हुलसकर, शीत उष्ण नैनो में घुलकर बह जाए अभिमान l! सत्य पथ पर सोच समझकर, सीखूँ चलना संभल संभलकर, प्रेम जगत में रहकर पंकज बनूँ सच्चा इंसान ! मां चामुंडा
Dinesh Yadav
हे नारी! डरो मत तेरे साथ है दुनियां सारी तु तो पहले से लड़ रही हो सीता कभी द्रौपदी बन कभी झांसी की रानी। कभी फूलन देवी तो कभी मणिपुर की आम नारी तेरे लड़ने का है सिलसिला जारी उठो रण चंडी बन जाओ अब न देर करो राह देख रही दुनियां सारी। ©Dinesh Yadav रणचंडी बन जाओ हे भारत की नारी!
Govind Kumar
नारी के 9 अवतार 1. सुबह कामकाज में व्यस्त - (💁🏻♀- अष्टभुजा 🤚🏻) 2.बच्चों को पढाये - (👩🏼🏫 -सरस्वती ) 3.घर खर्च के पैसों से बचत -(💰- महालक्ष्मी) 4. परिवार के लिए रसोई बनाये- (🥘🍝- अन्नपूर्णा ) 5. परिवार की तकलीफ में द्रढ़ता से खड़ी -(👩🏻🎓- पार्वती ) 6. पति गीला तौलिया पलंग पर रखे - ( दुर्गा🤨) 7. पति द्वारा लाई वस्तु खराब निकले तो- ( काली 😡) 8. पति यदि भुल से पीहर के बारें में कुछ कह दे - ( महिसासूर मर्दिनी 👿) 9.पति यदि दुसरी स्त्री का प्रशंशा कर दे तो ( रणचंडी 👹🌪) 🤣😜🤣 खुश नसीब है शादी शुदा लोग जिन्हें घर बेठे ही प्रतिदिन माताजी के नव अवतारों के दर्शन का लाभ मिलता है ****** जय माता दी 😜🤣😜🤣 #Maa #Durga #Kalima #kali # #Sharvasati #चामुंडा #माँ #काली
anup.ji.star
vikas Mourey
चली चली रणचंडी करने विनाश रे। दुष्टों को मारने भक्तों को तारने। चली चली रणचंडी करने विनाश रे....। देव लोक भू लोक करते त्राहिमाम रे। चली चली रणचंडी..... विनाश रे। सूरज कापे धरती कापे, कापे आसमान रे। नंदी कापे, भृंगी कापे,कापे कैलाश राज रे। चली चली रणचंडी.... विनाश रे। गले मुंड माल है, हाथ खड़क भाल है। क्रोध की ज्योति से करती प्रकाश है। दैत्य मारे दानव मारे, मारे असुरों के राज रे। चली चली रणचंडी.... विनाश रे। काली काली रात है जोगनिया साथ है, कांप उठा पाताल भी उसकी चिक्कार से, चलता काला भैरव माई के साथ रे। भोग में महारानी करें रक्तपान रे। चली चली रणचंडी...... विनाश रे। देवलोक भूमि का किया बुरा हाल रे। प्रतिशोध की ज्वाला से बिखरा संसार रे। चली चली रणचंडी.... विनाश रे। सारे देव करने लगे रक्षा की गुहार रे। चली चली रणचंडी..... विनाश रे। जब लेटे महादेव चरणन में आन के। तब लोटी महामाई वास्तविक अवतार में। चली चली रणचंडी करने विनाश रे। लेखक - विकास मौर्य✍️✍️ ©vikas Mourey रणचंडी महामाई काली🙏🙏🙏🙏 विकास की कलम के रंग✍✍✍✍
ABHISHEK Choudhary
माँ चामुंडा माँ तुलजा भवानी की पावन नगरी में पधारे सभी दर्शनार्थियों का हार्दिक हार्दिक स्वागत वंदन अभिनंदन ...