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Amit Saini
है सफर जिंदगी का जिंदगी के लिए ना कर फकत किसी बात पर जी ले जीवन खुशी के लिए #Life टेढ़ी-मेढ़ी रास्तों पर
Sneh Prem Chand
टेढ़ी मेढी सी ये रेखा एक दिन तो सीधी हो जानी है। ज़िन्दगी और कुछ भी नहीं, तेरी मेरी कहानी है।। नहीं समझते गर हम ये सच्चाई, ये अपनी ही नादानी है।। ©Sneh Prem Chand टेढ़ी मेढी सी ये रेखा #Heartbeat
Aakash Udeg
ढूंढ़ते हैं, मोड़ और ढलान-चड़ाव मे ज़िंदगी, पर सच कहूं तो, एक सीधी राह होती है ज़िंदगी। बस हमारी मोड़ और ढलान-चड़ाव की खोज हमें, सीधे रास्ते से दूर ले जाती है, और फिर जिंदगी टेढ़ी-मेढ़ी बन जाती है। #टेढ़ी #मेढ़ी #ज़िंदगी #yqbaba
cornerpoetry words by wishdom
light will always give you a new way...darkness teaches you to remember how things was unfair going....... #life#zig-zag#voice into you.....
Varun Khare
QuEsTiOn ... HoW 2 iNvEsT iN oNeSeLf ? AnSwEr ... TrY , MaKe 1 NeW WoRd DaiLy ... ZiG ZaG MoTiOn ... CoMBiNe 2 LaNgUaGe ... AmALgAtE WiTh SaNsKRiT ... ZiG ZaG MoTiOn#Word#sanskrit#Try#language.
Kumar Mukesh
मैं एक मेंढक की तरह l B.A के बाद क्या करना चाहिए l एक मेंढक आज तालाब से बाहर आया रोजगार और भविष्य बनाने की तलाश में लेकिन जब शहर को देखा तो उसे गाँव आना परा देखिए इस कहानी में आप को बहुत बढ़िया सीख मिलेगीl मैं मेंढक की तरह कुआं से बाहर आया ही था गए थे शहर की ओर देखा शहर पहले से ही भरा पड़ा था ऊपर से मैं गया कुछ भी नहीं मिला फिर लौट के गांव वापस आ गया मैं पीजी में एडमिशन कराना चाह रहा था एडमिशन लिस्ट में नाम भी आ गया कंफर्म भी हो गया मैंने सोचा कि गांव से बाहर जाएंगे वहां इंस्टिट्यूट या स्कूल पकड़ेंगे ताकि पैसा होगी और उसी पैसे से हम वहां पर रह पाएंगे पर होता वही है जो खुदा चाहते हैं वहां पर ट्राई किया मैंने हर जगह सीट फुल थी इंग्लिश की टीचर कहीं भी खाली नहीं थी जहां भी जाते थे बोलते थे कि नया सेशन स्टार्ट होगी तो आपको बुला लिया जाएगा मेरा फोन नंबर और मेरा नाम लिख लिया अपने डैडी में , मैं 1 दिन सोचता रहा दो रात सोचा कोई सलूशन नहीं मिला बाद में मैंने घर लौटने की फैसला किया मैंने घर पर भी एक एकेडमी खोल रखा था और वहां से बच्चे कॉल कर रहे थे कि सर कब आएंगे एक तरफ जो जीबन बनाने आया था एक तरफ बच्चे बढ़ रहे थे क्या करूं कुछ समझ में नहीं आ रहा था आज मैंने डिसाइड कर ही लिया घर लौटना है और अपने अकैडमी को ही बड़ा बनाना है और मैं आज लौट के आ गया l मेरा पहले का प्लान दो था एक प्लान सोच रहा था कि खुद रेगुलर से पीजी करू ताकि मुझे और भी नॉलेज मिलेगा ऐसा बात नहीं था कि मेरे पास नॉलेज नहीं था इतना नॉलेज था कि मैं पहला से लेकर के 12 मी तक का इंग्लिश पढ़ा रहा था और मैं घर छोड़कर घर्मुरिया काटना, कहा जाता है न वही बात हो गई मैंने घर छोड़ा लेकिन बाद में सलूशन यहीं पर मिला अब मैं बिजी रेगुलर से नहीं बल्कि डिस्टेंस से करूंगा ताकि मेरा एकेडमी भी चलता रहे और मुझे डिग्री भी मिल जाए वही होगी एक ख्वाहिश थी प्रोफेसर से पढ़ने की वह पूरा नहीं हो पाएगा क्योंकि मैं डिस्टेंस से पीजी करूंगा लेकिन यह भी है कि अगर मैं रेगुलर से पीजी करता तो शायद B.Ed की डिग्री साथ नहीं हो पाती लेकिन आज मैं डिस्टेंस से पीजी करूंगा और रेगुलर से B.Ed भी ताकि आगे दिन भविष्य में मुझे टीचर बनने का अवसर प्रदान होगी वैसे फिलहाल मैं प्राइवेट ट्यूटर हूं कि मैं अपना एकेडमी चलाता हूं जिनका नाम है विजन अकैडमी जो हमारे चौक पर है इसीलिए दोस्तों मैं लास्ट में ही कहना चाहूंगा अगर आप ऑनर्स के बाद पीजी करना चाहते हैं तो सोच समझ कर करना चाहिए ताकि आगे दिन भविष्य में हमें आखिर करना क्या है धर -फर में कोई डिसीजन ले लेने से आपको सलूशन नहीं मिल जाता सलूशन पाने के लिए आपको दिमाग स्थिर करके सोचना पड़ेगा यह भी देखना पड़ेगा कि आपके पैरेंट्स आपको कितना सपोर्ट करते हैं मेरे पेरेंट्स सपोर्ट तो करते हैं जरूर लेकिन मुझे पता है घर में क्या चल रहा है अगर मैं पैसा ले लेता 5000 के मंथली तो ही मैं शहर में रह पाता अन्यथा फिर गड़बड़ हो जाता मैं इंस्टिट्यूट ज्वाइन करने का चाह रहा था लेकिन नहीं हो पाया क्योंकि इतना जल्दी कहीं भी लगना मुश्किल है कहीं भी सेशन स्टार्ट होने के बाद ही आपको लिया जाता है लेकिन मैंने ट्राई किया मैंने कोशिश नहीं छोरी मैं गया भी मैंने सोचा जाकर तो कम से कम देखते हैं अगर हो गया तो फिर मैं रेगुलर से करूंगा अन्यथा बाद में मैं डिस्टेंस से ही कर लूंगा यह कहावत मुझमें भी सूट करती है मेढ़क जब तालाब में होती है तो उन्हें केवल अपना दुनिया दीखती है हम यानी मैं मेंढक जब वहां से बाहर निकला तो पता चला दुनिया इतना बड़ा है और इतना बड़ा है और वह भरा पड़ा है मेरे जैसे बंदे का कोई जगह नहीं इसलिए दोस्तों जहां भी हो वही अच्छा है और वही पर अच्छा करने का प्रयास करें अगर कीचड़ में भी हो तो कमल के जैसे बनने का प्रयास करें तो कीचड़ में ही कमल खिलता है l अगर मैं किसी के संस्थान में पढ़ाता ,तो नौकर बनके पढ़ाना पड़ता समय से जाता और समय से आता ,इसके अलावा उनसे हमको कोई मतलब नहीं केवल मतलब है तो पैसे से ,पैसे देते और हम उनके लिए काम करते लेकिन आज मैं दोस्तों बता दूं कि आज मैं अपने अकेडमी का डायरेक्टर हूं यानी कि मालिक ऐसा कहा जा सकता है लेकिन आज भी मैं अपने आप को मालिक नहीं समझता यहाँ पर मेरा पूरा फैमिली यानी कि शिक्षक गण सब मिलजुल के पढ़ाते हैं और आनंद आता है, इसलिए कहता हूं कि शहरों के कुत्तों बनने से बेहतर है अपने गांव की मालिक बन के रहो और जीने का मजा ही कुछ और मिलेगा आपको l शुक्रिया l ©Kumar Mukesh मै एक मेढ़क #WallPot