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सुनो कलिक उससे कहना कि... मैं प्रतीक्षा करूंगा उसकी... सूरज की पहली किरण से सांझ ढलने तक,,, हड्डियों के गलने तक... उसका नाम लूंगा जुबां के लड़खड़ाने से,,, धमनियों के शुष्क हो जाने तक... उसकी यादों को हृदय से लगाके रखूंगा,,, रक्त कणिकाओं के जम जाने तक... आंखों में उसकी तस्वीर रहेगी,,, ह्रदय के अन्तिम स्पंदन तक... हे लड़की तुम आओगी न...?? -mera_awarapan ©Kᷜrͬiͥsᷤhͪnᷠaͣ Kᷜaͣlᷝiͥkᷜ #GoldenHour सुनो कलिक उससे कहना कि... मैं प्रतीक्षा करूंगा उसकी... सूरज की पहली किरण से सांझ ढलने तक,,, हड्डियों के गलने तक... उसका नाम लूंग
दीपा साहू "प्रकृति"
तुम्हारे प्रेम को अश्कों में भिगोना नहीं चाहती तुम्हें पा लेने की लालसा में, तुम्हें खोना नहीं चाहती। तुम तो प्रीत हो हृदय में समाहित। लाल रक्त कणिकाओं संग तुम भी हृदय से मस्तिष्क तक विचरते रहते हो! कभी होंठो पे मुस्कुराहट बनकर, ओस की बूंदों सा कभी ढलकर! कभी बहती नदियों सा कल-कल, हृदय की दीवारों पर चित्र उभरकर इन चित्रों को धोना नहीं चाहती तुम्हें पा लेने की लालसा में, तुम्हें खोना नहीं चाहती। मिलो-न-मिलो प्रीत तुमसे रहेगी, जीवन अंतिम क्षणों तक, तुम्हें रोना नहीं चाहती! तुम्हारे प्रेम को अश्कों में भिगोना नहीं चाहती तुम्हें पा लेने की लालसा में, तुम्हें खोना नहीं चाहती। ©दीपा साहू "प्रकृति" #Hope #Prakriti_ #deepliner #tum #love #intejar #Yaad #Nozoto तुम्हारे प्रेम को अश्कों में भिगोना नहीं चाहती तुम्हें पा लेने की लालसा में
AK__Alfaaz..
प्रेम मिलन की, सप्तपदी के उपरांत, आत्ममिलन की, अनुभूति के तद्पश्चात्, ममता, अकस्मात् ही जागी, रात्रि के तीसरे पहर मे, उसने मर्यादा का लाल पल्लू, माथे पर ओढ़ा, बिछौने पर गिरी, नथनी को, नासिका पर पुनः सजाया, चेहरे पे बिखरी लटों को, कर्णों के पीछे विराजित किया, #पूर्ण_रचना_अनुशीर्षक_मे #57_Del प्रेम मिलन की, सप्तपदी के उपरांत, आत्ममिलन की, अनुभूति के तद्पश्चात्,
Vandana
हां मुझे सब कहते हैं मेरे अंदर समझदारी नहीं है पूरा कैप्शन में पढें हां मुझे सब कहते हैं मेरे अंदर समझदारी नहीं है उम्र बढ़ गई है संजीदगी नहीं है गहराई नहीं है सब्र तो मेरी रक्त कणिकाओं में है ही नहीं कोई भी
Vandana
गुरूर्ब्रह्मा गुरूर्विष्णुः गुरूर्देवो महेश्वरः । गुरूर्साक्षात परब्रह्म तस्मै श्री गुरवे नमः प्रणाम गुरुजी आज आप में लिखने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है आज मन के भाव ने बोला कि गुरुजी में लिखा जाए और मन की आवाज तो स्वयं परमात्मा की आवाज