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Ravi Ravi

सुबह-सुबह तेरे अटरिया पे ये क्या हुआ,
चली पुरवाई तेरे तन को छुआ।  
आँचल तेरी मेरे तन को छुआ,
तेरी उड़ती ये जुल्फें मेरे मन को छुआ।
सुबह-सुबह तेरे अटरिया..2 
आँखे तेरी जुल्फों से ढकी ।
,जुल्फें तेरी लबों में फसी।
जुल्फें जो मैंने तेरे लबों से हटाया
जाकर ओ फिर तेरे नथिये में फसा।
सुबह-सुबह तेरे अटरिया पे ये क्या हुआ
चली पुरवाई तेरे तन को छुआ। #अटरिया #अटरिया#raviravi

~आचार्य परम्‌~

मोहना ......... #अनुभव

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प्रेम किताबों में पढ़कर नहीं .
प्रेम तो प्रेम में पड़कर हीं 
आभासित होता है ।।

©"परम् भाग्यम्" मोहना .........

Menda Sagathiya

खुशी का मेरे तुम जरिया बन गए हो,
बूंद से अब तुम तो दरिया बन गए हो।
जाने किसकी दुआओ का हुआ असर,
दिल की मेरी तुम अटरिया बन गए हो।

     
 ✍️ मेन्दा सागठिया(गुमनाम)

©Menda Sagathiya #ज़रिया#अटरिया


#lovebirds

Jyotsana yadav

#तितलियों का मन मोहना #Poetry

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तितलियों का पत्तों पे मंडराना
उनका हर तरफ खुशनुमा माहौल बनाना
रंग बिरंगे रूप में सतरंगी बन जाना
इंद्रधनुष सा बन कर सबका मन मोहना
अपनी मधुर संगीत से सबको मनोहित करना
अपने इस अंदाज से दिवाना बनाना
खुश कर देता है
तितलियों का मंडराना

©Jyotsana Yadav #तितलियों का मन मोहना

भानु

mute video

Vijay Kumar उपनाम-"साखी"

ऊंची-ऊंची इमारते #City #कविता

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"ये ऊंची-ऊंची इमारतें"
ये शहरों की ऊंची-ऊंची,इमारतें
बता रही जनसंख्या के आंकड़े
गर अब भी हम लोग न सम्भले
बहुत जल्द होंगे बड़े-बड़े हादसे

कम चीजों से ज्यादा की चाहते
इससे हो रही,हादसों की आहटें
बढ़ रहा,भूमि पर अतिरिक्त बोझ
कत्ल हो रहे,नित ही,भू कालजे

बिगड़ रहा,पारिस्थिकी संतुलन
मनुष्य का बहुत बिगड़ गया,मन
बहुत बढ़े,प्रकृति छेड़छाड़ मामले
कुल्हाड़ी,पांवों पर खुद ही मार रहे

ये शहरों की ऊंची-ऊंची,इमारतें
मिटा रही गांवों की मासूमियतें
फूल दब रहे है,पत्थरो के तले
बहुत बिगड़ गई,हमारी आदतें

गर वक्त रहते हम लोग न सुधरे
बढ़ी जनसंख्या,पार करेंगी हदें
भुखमरी से बढ़ेगी,इतनी मौतें
एक आम खाने,मरेंगे सो-सो जने

प्रकृति से जो गर छोड़ेंगे जड़ें
फिर तो हम सूखकर ऐसे मरेंगे,
जैसे जेठ दुपहरी में बदन जले
व्यर्थ की आधुनिकता छोड़ चले

जो भी कार्य प्रकृति को हानि दे
वो कार्य हम लोग कभी न करे
जितना हम प्रकृति से जुड़ सके,
वो कार्य हम लोग अवश्य ही करे

प्रकृति मां की गोद मे सोने चले
ओर अपने सारे ही गम भूल चले
ये ज़माने की ऊंची-ऊंची इमारतें
आज तक कोई संग लेकर न चले

जिओ-जीने दो,सिद्धांत पर चले
ओर निःस्वार्थ कर्म करते हुए चले
जिसने जिंदादिली के जलाये दीये
उस रोशनी से,तम जगमगाने लगे
दिल से विजय
विजय कुमार पाराशर-"साखी"

©Vijay Kumar उपनाम-"साखी" ऊंची-ऊंची इमारते

#City

Ravi S. Singh 'चंचल'(Hindian)

दिल में छिपा है जो तूफ़ान अभी बाक़ी है
मत देखो कद आसमां का, ऊंची उड़ान अभी बाक़ी है।

✍️"चंचल" #ऊंची

somnath gawade

#ऊंची

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समाजात एक
ठराविक 'ऊंची'
गाठली की तुमचे
शब्द झेलणारे खूप
भेटतात.☺️ #ऊंची

J P Lodhi.

#ऊंची चोटियां

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पहाड़ों की कठिन राहों से होकर, गुजरता जिंदगी का तन्हा सफर।
गर सच्चे साथी का मिलता साथ,
ऊंची चोटियां भी हो जाती फतह। #ऊंची चोटियां

Meenakshi Sharma

ऊंची इमारतें #शायरी

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ऊंची इमारतों के भी बहुत घर हुआ करते हैं,
फिर भी गरीब बच्चे फुटपाथ पर सोया करते हैं,
ना जाने खुदा की बनाई इस दुनिया का यह कौन-सा 

खेल हुआ होगा जब गरीब के घर फुटपाथ पर सोने वाला यह बच्चा  हुआ होगा और अमीर का बच्चा ऊची इमारतों वाले घर में सोया होगा।

Meenakshi Sharma ऊंची इमारतें
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