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GuptA Aman
सुबह तो हो गई यह रात कब होंगी? बहुत दिन हो गए तुमसे बात कब होंगी? याद तो नहीँ आ रहें तुम ख़ैर क़भी टकराएंगे कही पहचान तो लोगी?🖤 क़भी टकराएंगे कही पहचान तो लोगी?🖤 #moringqoute #yqbaba #yqqdidi #yqnewquotes #newquote #alfaaz_hm_sabke
Shiv pratap
तेरी राहों में फूल नहीं पलके बिछाएंगे हम तेरी खातिर अपनों से नहीं दुनिया से टकराएंगे हम तू मुझ पर भरोसा रख मेरी जाना तेरा साथ कुछ पल नहीं उम्र भर निभाएंगे हम ©Shiv pratap तेरी राहों में फूल नहीं पलके बिछाएंगे हम तेरी खातिर अपनों से नहीं दुनिया से टकराएंगे हम तू मुझ पर भरोसा रख मेरी जाना तेरा साथ कुछ पल नहीं
Shiv pratap
तेरी राहों में फूल नहीं पलके बिछाएंगे हम तेरी खातिर अपनों से नहीं दुनिया से टकराएंगे हम तू मुझ पर भरोसा रख मेरी जाना तेरा साथ कुछ पल नहीं उम्र भर निभाएंगे हम ©Shiv pratap तेरी राहों में फूल नहीं पलके बिछाएंगे हम तेरी खातिर अपनों से नहीं दुनिया से टकराएंगे हम तू मुझ पर भरोसा रख मेरी जाना तेरा साथ कुछ पल नहीं
piyu pandey
------*(आते-जाते)*------ चलो फिर मिलेंगे यादों के सफर में यूँ ही आते - जाते टकराएंगे फिर कही एक दूसरे से यूँ ही आते - जाते तुम ही हो जो दूर जा रहे हो मिलोगे देखना यूँ ही आते - जाते किये थे कुछ वादे हमने खाई थी कुछ कसमे यूँ ही आते - जाते टूट गए सारे वादे टूट गई सारी कसमे यूँ ही आते - जाते मोहब्बत का क्या था हुई थी यही कहि यूँ ही आते - जाते भूलना भी क्या भूल जाएंगे कभी शायद यूँ ही आते - जाते -----पीयू चलो फिर मिलेंगे यादों के सफर में यूँ ही आते - जाते टकराएंगे फिर कही एक दूसरे से यूँ ही आते - जाते तुम ही हो जो दूर जा रहे हो मिलोगे देखना यू
Tera Sukhi
अनजाने शहरों में हम नई राहें बनाएंगे तेरे शहर के रस्तों को हम भूल जाएंगे काटों को दबा कर हम अपनी मुठी में अपनी कब्रें काले गुलाबों से सजाएंगे * नई राहें * अनजाने शहरों में हम नई राहें बनाएंगे तेरे शहर के रस्तों को हम भूल जाएंगे काटों को दबा कर हम अपनी मुठी में अपनी कब्रें का
Odysseus
Abhishek Asthana
लिखने वाले लिखते हैं, नहीं होता पैमाना, सच-झूठ की नगरी का, एक फलसफा पुराना। मुरझाईं सांसों का, गमगीन हलफनामा बेईमानी का हर रंग मिलेगा, बुराई का पंचनामा। हर कोई नहीं होता, खुलकर लिखनेवाला आज हर जगह है सत्ता का, तांडव अद्भुत निराला। हर तूफां को झेल सके, किसमें है ऐसा जिगरा साफ हो गया सच्ची खबरों का, पूरा-पूरा सूपरा। चारों तरफ है धर्म और, मजहब का बोलबाला टीवी चैनल वालों ने सबको, आपस में लड़वा डाला। न्यूज़ चैनल पर होती है, बस धार्मिक नेता की चर्चा मूर्ख जनता को लगता है, बस यही नेता है सच्चा। ना होगा कभी भी ऐसे, भारत भूमि का भला अरसे हो गए नहीं जन्मा, कोई वीर भला। मिट्टी की है आन हमें, इस देश को विजय दिलाएंगे संविधान की रक्षा के खातिर, सत्ता से टकराएंगे। -©अभिषेक अस्थाना(स्वास्तिक) लिखने वाले लिखते हैं, नहीं होता पैमाना, सच-झूठ की नगरी का, एक फलसफा पुराना। मुरझाईं सांसों का, गमगीन हलफनामा बेईमानी का हर रंग मिलेगा, बुरा
ABHISHEK SWASTIK
लिखने वाले लिखते हैं, नहीं होता पैमाना, सच-झूठ की नगरी का, एक फलसफा पुराना। मुरझाईं सांसों का, गमगीन हलफनामा बेईमानी का हर रंग मिलेगा, बुराई का पंचनामा। हर कोई नहीं होता, खुलकर लिखनेवाला आज हर जगह है सत्ता का, तांडव अद्भुत निराला। हर तूफां को झेल सके, किसमें है ऐसा जिगरा साफ हो गया सच्ची खबरों का, पूरा-पूरा सूपरा। चारों तरफ है धर्म और, मजहब का बोलबाला टीवी चैनल वालों ने सबको, आपस में लड़वा डाला। न्यूज़ चैनल पर होती है, बस धार्मिक नेता की चर्चा मूर्ख जनता को लगता है, बस यही नेता है सच्चा। ना होगा कभी भी ऐसे, भारत भूमि का भला अरसे हो गए नहीं जन्मा, कोई वीर भला। मिट्टी की है आन हमें, इस देश को विजय दिलाएंगे संविधान की रक्षा के खातिर, सत्ता से टकराएंगे। -©अभिषेक अस्थाना(स्वास्तिक) लिखने वाले लिखते हैं, नहीं होता पैमाना, सच-झूठ की नगरी का, एक फलसफा पुराना। मुरझाईं सांसों का, गमगीन हलफनामा बेईमानी का हर रंग मिलेगा, बुरा
aman6.1
................... ©aman6.1 ~~【{◆◆ऐलान कर◆◆}】~~ जिंदगी के हर मुकाम पर,नाज है एक नाम पर,युहीं तो नही मिट्टी होंगे,कुछ तो चेहरा नजर आएगा हमारा भी आसमान पर. की ज़िद अपन
Hirenkumar R Gandhi
गगन में लहरता है भगवा हमारा ॥ गगन मे लहरता है भगवा हमारा । घिरे घोर घन दासताँ के भयंकर गवाँ बैठे सर्वस्व आपस में लडकर बुझे दीप घर-घर हुआ शून्य अंबर निराशा निशा ने जो डेरा जमाया ये जयचंद के द्रोह का दुष्ट फल है जो अब तक अंधेरा सबेरा न आया मगर घोर तम मे पराजय के गम में विजय की विभा ले अंधेरे गगन में उषा के वसन दुष्मनो के नयन में चमकता रहा पूज्य भगवा हमारा॥१॥ भगावा है पद्मिनी के जौहर की ज्वाला मिटाती अमावस लुटाती उजाला नया एक इतिहास क्या रच न डाला चिता एक जलने हजारों खडी थी पुरुष तो मिटे नारियाँ सब हवन की समिध बन ननल के पगों पर चढी थी मगर जौहरों में घिरे कोहरो में धुएँ के घनो में कि बलि के क्षणों में धधकता रहा पूज्य भगवा हमारा ॥२॥ मिटे देवाता मिट गए शुभ्र मंदिर लुटी देवियाँ लुट गए सब नगर घर स्वयं फूट की अग्नि में घर जला कर पुरस्कार हाथों में लोंहे की कडियाँ कपूतों की माता खडी आज भी है भरें अपनी आंखो में आंसू की लडियाँ मगर दासताँ के भयानक भँवर में पराजय समर में अखीरी क्षणों तक शुभाशा बंधाता कि इच्छा जगाता कि सब कुछ लुटाकर ही सब कुछ दिलाने बुलाता रहा प्राण भगवा हमारा॥३॥ कभी थे अकेले हुए आज इतने नही तब डरे तो भला अब डरेंगे विरोधों के सागर में चट्टान है हम जो टकराएंगे मौत अपनी मरेंगे लिया हाथ में ध्वज कभी न झुकेगा कदम बढ रहा है कभी न रुकेगा न सूरज के सम्मुख अंधेरा टिकेगा निडर है सभी हम अमर है सभी हम के सर पर हमारे वरदहस्त करता गगन में लहरता है भगवा हमारा॥ #NojotoQuote गगन में लहरता है भगवा हमारा ॥ गगन मे लहरता है भगवा हमारा । घिरे घोर घन दासताँ के भयंकर गवाँ बैठे सर्वस्व आपस में लडकर बुझे दीप घर-घर हुआ शू