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Priyanshu Thakur
कहीं भीड़ में तुझे देखने को जी चाहता है फिर क्या इस भीड़ में मुझे अपना खत्म किया रिश्ता याद आता है ©Priyanshu Thakur #टैग
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Pragya Saraf
कितनी गति से तारीखों के पन्ने पलट जाते है, वक्त की रफ्तार में कुछ मुकां अधूरे छूट जाते हैं... कागजों की कस्ती से क्या समंदर पार होगा, इसलिए तो लोग किनारों पे डूब जाते है। कविता टैग
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मैंने कभी कहा नहीं, लेकिन प्रिय दोस्तो आपको बताना चाहता हूँ कि मेरा अनुभव साईकिल के प्रति बड़ा अजीव है मेरे पूज्य पिता जी जो एक बहुत नाजुक हालातो मे अपनी ज़िंदगी की रोजी निर्वाह कर रहे थे उन दिनों मजदूरी बहुत कम थी खर्चे पर्याप्त नही थी । और सबसे बड़ी बात कोई भी ऐसा काम नही सीखे जो खर्चे पुरा करने मे उनको मदद मिले जब उस समय पर किसी किसी आदमी के साईकिल हुआ करती थी। मेरे पिता जी के पास नही थी एक बार हमारे गाँव चेचक की बीमारी का रोग भयकर फेला मेरी माँ को भी हुआ और हा मेरी माँ उस समय गर्भ से थी (उस समय मुझे से बड़ी मेरी बहिन जी माँ के पेट थी) मेरे पिता जी माँ docter के पास ले जाना चाहते थे लेकिन किसी ने भी नही दी अपनी साईकिल । मेरे पुज्य पिता जी मन बनाया और प्रण किया अब साईकिल ही लेंगे वो। उस समय मेरे पिता जी मात्र रुपये "नब्बे " (90 रु) खरीदी और उस रिपेयर उसके बाद मेरी माँ डॉक्टर के पास ले गए लेकिन जब बहुत देर हो चुकी थी क्योंकि चेचक का प्रभाव मेरी माँ के गर्भ पर हो चुका था और मेरे पिता जी को मेरी माँ या बच्चे मे से एक को चुनना पड़ा उस घटना ने उनको झकजोर् दिया । उस समय उनकी समझ अच्छी तरह आ गया कि ज़िंदगी मे साधनों का भी मूल्य होता है। जब मै दसवी में पढ़ रहा था तो मेरे साथ वाले सभी अपनी अपनी साईकिल से जाते थे पर हम कभी समय पर पहुँचते तो कभी नहीं। डरपोक स्वभाव हमारा अब पिता को बताये तो कैसे हुआ यू कि एक दिन हम स्कूल देरी से पहुँचे हमारे अध्यापाक जी अपना लेक्चर करके चले गये । मेरे पिता जी और मास्टर जी कुछ थोड़ी बहुत जान पहचान थी। अब धीरे धीरे लगभग एक सप्ताह बीत गया और क्लास का कार्य लेट हो गया था । अब पिता जी मालूम हुआ तो बहुत दुःख हुआ उनको तब हम सारी कहानी पिता जी कही और हमारी जिद थी कि नई साईकिल ही लेंगे। तब मुझे मेरे पिता जी ने अपनी जीवन की वो सच कहानी सुनाई हमारा मन बदल गया दोस्तो मेरे पास इस समय दो मोटर साइकल है लेकिन मेरे पिता जी की वो रुपये नब्बे की सुरक्षित है आज समय पर कुछ उसका मूल्य दे रहे हैं लेकिन हम उस बेचने के लिए राजी नही और ये प्रभाव पूर्ण भूमिका निभाई है हमारी धर्म पत्नी जी।ये वही साधन है जिसकी वजह से मेरा और छोटे भाई बहनो का जीवन बचा है और मेरे लिए मेरे पिता जी की और भी अनमोल धरोहर है लेकिन ये सब से खास है ©MANVEER SINGH #टैग #hamariadhurikahani