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Yogita Harne
तुम जिंदगी का वो हिस्सा हो....... जिसे पढा तो जा सकता है पर लिखा नहीं ! एक ही कहानी के दो किस्सो मे मिलते हैं अब हम तुम हिस्सो में मिलते हैं मेरे नाम के बाद जहाँ तेरा नाम लिखा था जाना स्याही तो थी पर वो पन्ना था भर गया...पलट गया वो पन्ना बस रह गया अफसाना..... # एक किस्सा
SNpoetry27
लिखी कहानी हमनें थी, मशहूर कोई और हो गया.... हमारा गम किसी ने न देखा, और उनका नाम, प्यार के किस्से में मशहूर हो गया... ©Sandhya Nagayach एक किस्सा
Vatan Jangid
रात का एक किस्सा लिखता हूँ मैं। बीते पहर का एक हिस्सा लिखता हूँ मैं।। सन्नाटे की चादर ओढ़ कर सिमट गया कोई। शहर का बिस्तर लगाकर सो गया कोई। किसी का खुलकर जीने का किस्सा लिखता हूँ मैं।। ख़ामोश रात का सुकूँ लिखता हूँ मैं। रात का एक किस्सा लिखता हूँ मैं। बीते पहर का एक हिस्सा लिखता हूँ मैं।। -वतन एक किस्सा
Parasram Arora
तुम कहते हो किस्से सब जिंदगी से निकलते हैँ. मैं कहता हूँ जिंदगी खुद्द एक किस्सा हैँ ©Parasram Arora जिंदगी एक किस्सा
Neel
एक किस्सा सुनाती हूँ , मेरी धड़कन ज़रा सुन ले, बड़ा ही बेधड़क है तू , बड़ी ही बेअदब हूँ मैं। तू बातों से ही बढ़ता है , मैं बातों से ही घटती हूँ , तू रागों से ही चढ़ता है , मैं रागों से ही ढलती हूँ। तू सुख में डूब जाता है , मैं सुख में फिर उभरती हूँ , तू दुःख में लड़खड़ाता है , मैं दुःख में फिर सँवरती हूँ। है किस्सा ये बड़ा कातिल , मेरी धड़कन ज़रा सुन ले , बड़ा ही बेसबब है तू , बड़ी ही बेरहम हूँ मैं । तू क्या तोड़ेगा उस दिल को , जो कोई राग न गाए , तू क्या छोड़ेगा उस सँग को , जिसका कोई रँग न छाए। तेरी रंगत नहीं चढ़ती , मेरे चेहरे पे अब कोई , तू क्या पाएगा जन्मों को , जिसमें अहसास न आए। है किस्सा ये बड़ा नाज़ुक , मेरी धड़कन ज़रा सुन ले , बड़ा ही बेनज़र है तू , बड़ी ही बेकदर हूँ मैं । तू हाहाकार सागर का , मैं नदिया की सरल धारा , तू तूफां है बवंडर का , मैं निर्मल पवन की धारा। तू दावानल की अग्नि है , मैं दीपक की ज्योति मद्धम , तू काँटों से घिरा गुलाब , मैं छोटा सा पल्लवित कुसुम। एक नज़्म गुनगुनाती हूँ , मेरी धड़कन ज़रा सुन ले , बड़ा ही बेसबर है तू , बहुत ही सब्र है मुझमें। है इतना सब्र मुझमें कि , खुद में ही घुलती जाती हूँ, है इतना दर्द मुझमें कि , न कह किसी से पाती हूँ। ©Neel एक किस्सा 🍁
Dp speaks
बेटा ठीक से बैठो, अरे ऐसे कपड़े नहीं, बाहर बाल बांध कर जाओ, एक बार फिर माँ की हर बात बे मन से मानते हुए, मै बाहर ट्यूशन जाने के लिए निकल पड़ी, अपने मे मगन , बैग लटका कर गाना गाते हुए, अपनी ही धुन मे सवार मै चली जा रही थी, खाने मे घर जाकर ये खाऊंगा, यार सर से आज ये पूछना है, आज कुछ भी हो जाए आगे की सीट मेरी, कुछ ऐसी ही खयाली पुलाओ बनाते हुए , मै अपने ही ख्वाबो मे डूबी हुई चली जा रही थी, तभी इन ख्वाबो को तोड़कर मुझे कुछ अहसास हुआ, लगा की कोई पीछा कर रहा है, मैंने देखा तो एक आदमी साइकिल पर सवार मेरे पीछे था, तो मैंने भी फिर खुद को तसली देते हुए दूसरी साइड पकड़ ली, वो भी वहाँ आगया, कुछ देर तक सिलसिला ऐसी चलता रहा , मै जहाँ वो वहाँ, फिर वो हुआ जिसकी कल्पना नहीं थी, वो पास आया और कंधे पर हाथ रखा, मुझे कुछ समझ नहीं आया, और जब तक समझ आया वो आगे बढ़ गया, मै भागी बहुत भागी, पर जब तक वो निकल गया था, उस दिन डर के साथ एक सवाल था माँ से, माँ बाल भी बंधे थे, कपडे भी पुरे थे, फिर क्यू? उस दिन समझ आगया था, लड़की होना आसान नहीं, लड़की होना आसान नहीं। #एक किस्सा#jarur pdhiyega
sudershan
के उसकी यादों के सहारे हमारी शाम हुआ करती थी❤️ वो दिन ही कुछ और थे जब रजाई में छुप छुप कर बात हुआ करती थी।❤️ 😓दिल भर आता है उस गलियो में जाने से मेरा, जहा अक्सर हमारी मुलाकात👨❤️💋👨 हुआ करती थी। *एक किस्सा ऐसा भी*
pradeep gautam
एक किस्सा जो सुना नहीं पाया, एक बात जो बतानी थी ना मे कहने की हिम्मत दिखा पाया, ना तुम्हें सुनने मे दिलचस्पी थी - प्रदीप एक किस्सा ❤️ #coldnights