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Nova Changmai
दर क्या है??? एक लंबा हट्टा कट्टा आदमी उसी आवाज से बात कर रही है, और तुम सुनकर डर रही हो, उसको को दर नहीं बोलता है। जो बीते हुए कल है उससे शिक्षा लो, और जो आज करने वाले हो उसे किया नया क्या कुछ कर सकते हो उसके बारे में सोचो ,और डरो उस समय के लिए जो भविष्य में तुम्हारे जीवन को सुनहरी अक्षर में लिखकर जीवन को बदल सकता है। #सीखना #शायरी#कविता#रोमांस#मीनिंग #Motivational #Good #evening
prashant Singh rajput
Call Drop मीनिंग इन हिंदी क्या है कॉल ड्रॉप जानिये हिंदी मे ? पूरा पढ़े नीचे दिए गए लिंक पर तुरंत क्लीक करें 👇👇👇👇👇👇👇 https://techadvicesps0
Atul Sharma
*✍🏻“सुविचार"*📝 🖊️ *“11/7/2021”*🖋️ ✨*“रविवार”*🌟 जब किसी “परिवार” में या “घर” में किसी का “जन्म” होता है, कितना “सुख का क्षण” होता है, वह “छोटी सी संतान” जब बड़ी होती है तो “चलने का प्रयास” करती है, इस “प्रक्रिया” में भी एक बहुत बड़ी “सीख” छुपी है “धकेलना”... जब आपको “चलना” होता है “आगे बढ़ना” होता है तो आप क्या करते है ? अपने “पांव” के नीचे जो “धरा” है उसे “धकेलते” है बस यही तो “जीवन” में भी आपको “सीखना” है, अब यदि आप को “ज्ञान” कि ओर बढ़ना है तो “अज्ञानता” को “पीछे धकेलना” होगा,यदि आपको “प्रकाश” की ओर बढ़ना है तो आपको “अंधकार” को पीछे धकेलना होगा, यदि आपको जीवन में “सफलता” को प्राप्त करना है तो आपको “भूतकाल की असफलताओं” को पीछे धकेलना होगा,जो “जल” बहते बहते रुक जाता है उसे हम “नाला” कहते है,उससे “दुर्गंध” आती है,किंतु जो “जल” निरंतर बहता जाता है उसे हम “पवित्र” कहते है,तो आप भी “कर्म” करते जाइए,कभी “मत” रूकीए, “सफलता” अवश्य मिलेगी... *“अतुल शर्मा”🖋️📘* *✍🏻“सुविचार"*📝 🖊️ *“11/7/2021”*🖋️ ✨ *“रविवार”*🌟 #“परिवार” #“जन्म”
lalitha sai
एक कथा.. जिस कथा में हो एक ऐसा अर्थ सबके सोच के परे हो... कुछ लघुकथा ऐसे दिल चुरा लेते है.. कोई सोच भी नहीं सकता.. अंत में एक सुकून के एहसास को.. दिल और दिमाग़ में छा जाते है.. बहुत पहले से ही मैं शॉर्टफ़िल्म के शौकीन हूँ.. कुछ कुछ शॉर्टफिल्म्स ऐसे होते है.. जिसे title कुछ अलग होता है.. देखने के बाद पता चले.. कितना म
Neha Gulati Sabrang
कविता अनुशीर्षक में ©Neha Gulati Sabrang .......... हमें इस बात का अनुमान कभी नहीं होगा कि एक इंसान अपने अंदर की खाई में गिर कर कितना चोटिल होता है, क्योंकि गिराने वाला ऊंचाइयों क
Motivational writer
भीड़ बहुत है दुनिया में, कहीं! आँखो से ओझल ना हो जाऊं, पकड़ कर चलना हाथ मेरा, कहीं! भीड़ में जुदा ना हो जाऊं, भरोसा-यकिन-बनाए रखना, कहीं! अजनबी ना हो जाऊं, पसंद हूँ मैं अपनों की, कहीं! भीड़ में नापसंद ना हो जाऊं, होड़ लगी है यहाँ, अपनो से अपनों को जुदा करने की, कुचलकर आगे वाले को, चढ़कर उसमें आगे बड़ने की, धकेल कर सबको आगे जाना है, आखिरी ऐसा क्या पाना है, हर चेहरा नया नया सा है यहां, क्या? कोई जाना-पहचाना है, समझाऊं तो किस-किस को, कहीं! मैं नासमझ ना हो जाऊं, अरे! कुचलना-धकेलना आता है मुझको भी, ड़र है मैं इंसान हूँ, कहीं! जानवर ना हो जाऊं..।। ©Motivational writter #भीड़ भीड़ बहुत है दुनिया में, कहीं! आँखो से ओझल ना हो जाऊं, पकड़ कर चलना हाथ मेरा, कहीं! भीड़ में जुदा ना हो जाऊं, भरोसा-यकिन-बनाए रखना, कह
Motivational writer
भीड़ बहुत है दुनिया में, कहीं! आँखो से ओझल ना हो जाऊं, पकड़ कर चलना हाथ मेरा, कहीं! भीड़ में जुदा ना हो जाऊं, भरोसा-यकिन-बनाए रखना, कहीं! अजनबी ना हो जाऊं, पसंद हूँ मैं अपनों की, कहीं! भीड़ में नापसंद ना हो जाऊं, होड़ लगी है यहाँ, अपनो से अपनों को जुदा करने की, कुचलकर आगे वाले को, चढ़कर उसमें आगे बड़ने की, धकेल कर सबको आगे जाना है, आखिरी ऐसा क्या पाना है, हर चेहरा नया नया सा है यहां, क्या? कोई जाना-पहचाना है, समझाऊं तो किस-किस को, कहीं! मैं नासमझ ना हो जाऊं, अरे! कुचलना-धकेलना आता है मुझको भी, ड़र है मैं इंसान हूँ, कहीं! जानवर ना हो जाऊं..।। ©Motivational writter #भीड़ भीड़ बहुत है दुनिया में, कहीं! आँखो से ओझल ना हो जाऊं, पकड़ कर चलना हाथ मेरा, कहीं! भीड़ में जुदा ना हो जाऊं, भरोसा-यकिन-बनाए रखना, कहीं
Divyanshu Pathak
: स्त्री होने से कोई एतराज नही हैं मुझे तेरे सिर्फ़ औरत रह जाने का डर है। : बंदिशें समझती हो न तुम जिसे तेरे स्वरूप को ढालने का यंत्र है बस धुरी हो तुम भविष्य की सृष्टा है बर्तमान की । : तुझसे ही तो संस्कार है ममता है तुम माया हो जींवन की सामर्थ्य हो अग्नि परीक्षा तप है तेरे खरे होने का तेरे भाग से ही तो बनने है सृष्टि के गहने । : करुणा सौम्यता नवीनता सरलता गुण है तेरे सौंदर्य का प्रतिमान हो तुम पोषित मत करो अहंकार को पश्चिम की हवा में मत बहने दो आप को अधिकारों के नाम पे तुम स्वयं अधिकार हो । : समय के साथ नर-नारी के देह में तो कोई परिवर्तन नहीं आया, किन्तु चिन्तन और जीवन शैली में बहुत परिवर्तन आया है। यह परिवर्तन किस सीमा तक हितकर ह
Juhi Grover
तेरी मुस्कुराती तस्वीर बार बार मुझे चिढ़ा रही है, तेरे गहरे दर्द भरे ज़ख्मों को हवा दे रही है, दूर होकर के भी तेरे अरमानों की अर्थी उठा रही है, पास आ कर के तो शायद तेरी जान ही जा रही है। (अनुर्शीषक में पढ़ें) Inspired from my one of friend's smiling dp तेरी मुस्कुराती तस्वीर बार बार मुझे चिढ़ा रही है, तेरे गहरे दर्द भरे ज़ख्मों को