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MADHUKAR BILGE
😢लोकतंत्र का कत्ल-ए-आम😪 आज लोकतंत्र का कत्ल-ए-आम कर दिया गया। लोकतंत्र ने घूँट घूँट कर अपने जान छोड़ दी.... इस पूर्ण वारदात का चश्मदित गवाहों में से शामिल मैं भी एक शक्श हूँ....! मतदारों ने अपने वोट की नीलामी कर दी।किसी ने शराब, किसी ने मांस तो किसी ने कागज के पन्नो के ख़ातिर अपने वोट को बेच दिया।घर से निकलते वक्त अपनी दरिद्री, गरीबी, बेरोजगारी,और घर के अंधेरो को झूटी तसल्ली यह देकर मतदार निकला था कि,मैं जाऊँगा और समृद्धि,विकास,प्रगति,रौशनी, और अपने उज्वल भविष्य को मिलूँगा और उन्हें सही सलामत अपना वोट सोप दूँगा। मगर रास्ते मे उसने अपना वोट सत्ता के भूखे दलालो को बेच दीया और पूरे 5 सालों के लिए उसने अपने घर की दहलीज को फिर एक बार विकास और प्रगति के दीदार के लिए प्यास छोड़ दिया..। यह सब देखकर विकास और प्रगति यह दोनों भाई बहन ख़फ़ा होकर मायूस होकर वापिस लौट गए... एक 5 साल का लंबा इंतजार देश की आँखों मे छोड़कर...... आखिर अपने बच्चो से बिछड़कर कौन सी माँ सुकून से रह पायेगी, और इसलिए लोकतंत्र ने अपने दोनों बच्चों- विकास और प्रगति के दीदार के खातिर अपने प्राण त्याग दिए....वो भी घूँट घूँट कर1 छोड़ दिया... और लोकतंत्र के वो दो बच्चे-विकास और प्रगति उनको खबर तक नही....... पता नही जब खबर होगी तब उनके आंखों में से कितने समंदर बहेंगे.....! और न जाने कबतक ए लोकतंत्र की लाश आबाद फिजा में ऐसेही सड़ती रहेंगी। लोकतंत्र का इस तरह से घूँट घूँट कर मरना मैं लोकतंत्र का कत्ल समझता हूँ... जिसके क़ातिल वो सब मतदार हैं जो बिके हुए है....चंग कागज के टुकड़ों के ख़ातिर...! -article by- बिलगेसाहब(MADhukar Bilge) लोकतंत्र का कत्ल ए आम
Nawed Ali
मैं लोकतंत्र का वासी हूँ, सम एक अभिलाषी हूँ/ मैं आजाद होकर भी बंधक हूँ, चुनाव बाद मैं दण्डक हूँ/ चुनाव पूर्व वह अन्ना बन जाता है, चुनाव बाद फिर वह धन्ना बन जाता है/ मैं दागी हूँ दंगों का, आपातकाल भी मैने सहा है, थोड़ा हिम्मत जुटाकर बहुत बहुत कुछ कहा है/ खोज है उन अच्छे दिनों की , विश्वास है उन सच्चे दिनों की/ जब पृष्ठ भूमि पर आएगी सत्य का परचम लहरायेगी/ इतिहास लिखेगा मानव जगत , कण-कण में खिलेगा प्रजातंत्र/ कोई भुखा न सो पायेगा, मानव जगत इतिहास लिख जाएगा/ लोकतंत्र का वासी #democracy #humanity
नेहा उदय भान गुप्ता😍🏹
ऐ मेरे सत्ता के शासक मेरे रखवाले, तुम ख़ामोश यहां पर क्यों हो, जनता मांग रही है अब अपना हक, तुम ख़ामोश यहां पर क्यों हो। हे न्यायमूर्ति, हे न्याय प्रिय, आज लोकतंत्र यहां पर हुआ विलुप्त, संकट में है सबके प्राण यहां, तुम अब तक ख़ामोश यहां पर क्यों हो।। मंदिर मस्ज़िद का खेल खेलकर, तुम आपस में लोगों को बांट रहे हो, जाति वाद, धर्म का नारा देकर, लोगों को तुम आपस में छांट रहे हो। नव चेतना,नव जागृति नही, और ना ही हो रहा है नव निर्माण यहां, अपनी विषैली, कटु, विषाक्त शब्दों से हर उम्मीदों को तुम कांट रहे हो।। मूक बने है यहां पर सब दर्शक, बन गई है ये तो अन्धों की नगरी, पोथी में दबकर रह गया संविधान, चल रहे सब अपनी अपनी डगरी। नही है कोई महफूज यहां पर, अपने ही अपनों कर करते चीरहरण, चीत्कार की है बस आवाज़ यहां, विलुप्त हुआ अब गीत और कजरी।। #लोकतंत्र #लोकतंत्रभारत #लोकतंत्र_ख़तरे_में_है #विलुप्त होता लोकतंत्र @लोकतंत्र
नेहा उदय भान गुप्ता
ऐ मेरे सत्ता के शासक मेरे रखवाले, तुम ख़ामोश यहां पर क्यों हो, जनता मांग रही है अब अपना हक, तुम ख़ामोश यहां पर क्यों हो। हे न्यायमूर्ति, हे न्याय प्रिय, आज लोकतंत्र यहां पर हुआ विलुप्त, संकट में है सबके प्राण यहां, तुम अब तक ख़ामोश यहां पर क्यों हो।। मंदिर मस्ज़िद का खेल खेलकर, तुम आपस में लोगों को बांट रहे हो, जाति वाद, धर्म का नारा देकर, लोगों को तुम आपस में छांट रहे हो। नव चेतना,नव जागृति नही, और ना ही हो रहा है नव निर्माण यहां, अपनी विषैली, कटु, विषाक्त शब्दों से हर उम्मीदों को तुम कांट रहे हो।। मूक बने है यहां पर सब दर्शक, बन गई है ये तो अन्धों की नगरी, पोथी में दबकर रह गया संविधान, चल रहे सब अपनी अपनी डगरी। नही है कोई महफूज यहां पर, अपने ही अपनों कर करते चीरहरण, चीत्कार की है बस आवाज़ यहां, विलुप्त हुआ अब गीत और कजरी।। #लोकतंत्र #लोकतंत्रभारत #लोकतंत्र_ख़तरे_में_है #विलुप्त होता लोकतंत्र @लोकतंत्र
Praveen Jain "पल्लव"
पल्लव की डायरी लोकतंत्र का उत्सव,दमनकारी एजेंसियों का तांडव चल रहा है अन्याय अत्याचारी हो शासक खाल जनता और विपक्ष की उधेड़ रहा है मूल मुद्दों को दबाकर तौहीन सबकी कर रहा है डर और भय का माहौल पैदा कर व्यवस्था सब कराह रही है रावण कंस दुर्योजन जैसा अंहकारी शासक जनता और विपक्ष को पनपने नही दे रहा है प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" #Likho लोकतंत्र का उत्सव दमनकारी #nojotohindi
अदनासा-
अदनासा-
देश में प्रभु श्री राम के मंदिर निर्माण को लेकर, मैं भी उतना ही ख़ुश हूं, जितना इस देश का हर सनातनी या हिंदू ख़ुश हो सकता है, परंतु देश का सनातनी या हिंदू, यदि इस बात को लेकर भी ख़ुश है, कि लोकतांत्रिक देश में, सत्ता पर काबिज़ सरकार, विपक्षी राजनैतिक हर दल को धीरे-धीरे लगातार कमज़ोर कर रही है, तो यह याद रखना कि वह सत्ता पर बैठे लोग, केवल हिंदू या सनातनी को ही नही बल्कि देश के हर नागरिक को कमज़ोर कर रहा है, जहां केवल दासता या गुलामी के अलावा कुछ नही रहेगा, हृदय से कहता हूं यह देश के लिए बहुत ही ख़तरनाक स्थिति है। ©अदनासा- #हिंदी #जनता #सत्ता #विपक्ष #लोकतंत्र #गुलाम #मंदिर #Instagram #Facebook #अदनासा
अदनासा-
26 jan republic day भारतीय राजनीति में रोज़ एक तमाशा होता है जो आजकल जनता को रोज़ मजा भी दे रहा है एक खास उस्ताद व्यक्ति संविधान हो या धर्म हो दोनों को डमरू की भांति बारंबार बजा रहा है डमरू की उस धुन पर हताश सारे जमूरे डरकर वानर की भांति रोज़ उछल कूद करते ही रहेंगे आज जो चंद लोग करताल कर मगन हो रहे है वे कल दास की भांति अवश्य कदमताल करेंगे ©अदनासा- #हिंदी #नेता #जनता #धर्म #संविधान #लोकतंत्र #26janrepublicday #Instagram #Facebook #अदनासा
अदनासा-
वो हाल-ए-दिल मेरा पूछ बैठे अब क्या कहें फ़िक्र होती है आजकल दुश्मनों की तबियत सुना है ज़रा नासाज़ रहती है ©अदनासा- #भारत #हिंदी #एकता #UNITY #लोकतंत्र #democracy #Pinterest #Facebook #Instagram #अदनासा