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Ravindra Gehlot
कीड़ी ने कण हाथी ने मण कर ले जरा क्षण तुझे भी मिल जाएगी पण ©Ravindra Gehlot #Ambitions किसी ने कं हाथी ने में
Himanshi chaturvedi
meri fav. li es ©Himanshii chaturvedi 👇👇👇👇👇👇👇 ॐ दाशरथये विद्महे जानकी वल्लभाय धी महि|| तन्नो रामः प्रचोदयात्🙏
Vikas Sharma Shivaaya'
ॐ ह्रीं घृणिः सूर्य आदित्यः क्लीं ॐ । ” ॐ हं षं नं गं कं सं खं महाकाल भैरवाय नम: “ जो बड़ेन को लघु कहें, नहीं रहीम घटी जाहिं. गिरधर मुरलीधर कहें, कछु दुःख मानत नाहिं. रहीम कहते हैं कि बड़े को छोटा कहने से बड़े का बड़प्पन नहीं घटता, क्योंकि गिरिधर (कृष्ण) को मुरलीधर कहने से उनकी महिमा में कमी नहीं होती...., 🙏 बोलो मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल जी महाराज की जय 🌹 ©Vikas Sharma Shivaaya' ॐ ह्रीं घृणिः सूर्य आदित्यः क्लीं ॐ । ” ॐ हं षं नं गं कं सं खं महाकाल भैरवाय नम: “ जो बड़ेन को लघु कहें, नहीं रहीम घटी जाहिं.
Shaarang Deepak
Shaarang Deepak
Sagar vm Jangid
अगर मैं रावण होता तो जटा टवी गलज्जल प्रवाह पावितस्थले गलेऽवलम्ब्य लम्बितां भुजङ्ग तुङ्ग मालिकाम् इदम् हि नित्यमेवमुक्तमुत्तमोत्तमं स्तवं पठन्स्मरन्ब्रुवन्नरो विशुद्धिमेतिसंततम् #dashhara #ravan जटा टवी गलज्जल प्रवाह पावितस्थले गलेऽवलम्ब्य लम्बितां भुजङ्ग तुङ्ग मालिकाम् डमड्डमड्डमड्डमन्निनाद वड्डमर्वयं चकार चण्डताण
yogesh atmaram ambawale
क - कसा ग ताई हा विषय सुचला का - का ग ताई हा विषय दिला कि - किती ग कठीण आहे की - कीमया ह्या लिखाणाची कु - कुणाकुणाला जमणार आहे कू - कू वरून काही सुचत नाही के - केला आहे प्रयत्न बघ कै - कैक जणांनी लिहिले ते ही बघ को - कोणाचे आवडल्यास तारीफ ही कर कौ - कौल लावला मी विषय अवडावा म्हणून कं - कंसात तरी लिही छान म्हणून क: - ?????? सुप्रभात मित्र आणि मैत्रिणीनों तुम्ही सुद्धा चकीत असाल ना अरे ताई नी काय दिलयं आज नुसतेच हे?? क हा आपल्या बाराखडी मधला एक महत्वाचा घटक आहेे.
Vikas Sharma Shivaaya'
गायत्री माता को सभी वेदों की जननी कहा गया है- ऐसी मान्यता है कि चारों वेदों का सार गायत्री मंत्र ही है... गायत्री माता से ही वेदों का जन्म हुआ है, इसलिए गायत्री माता को वेदमाता भी कहते हैं-इनकी अराधना स्वयं भगवान शिव, श्रीहरि विष्णु और ब्रह्मा करते हैं, इसलिए गायत्री माता को देव माता भी कहा जाता है..., धार्मिक कार्यों में पूर्ण फल प्राप्त करने के लिए पत्नी का साथ होना नितांत जरूरी होता है, परन्तु उस समय ब्रह्मा जी के साथ उनकी पत्नी सावित्री मौजूद नहीं थीं- तब उन्होंने देवी गायत्री से विवाह कर लिया- पद्मपुराण के सृष्टिखंड में गायत्री को ब्रह्मा की शक्ति बताने के साथ-साथ पत्नी भी कहा गया है..., इनका वाहन हंस है तथा इनकी कुमारी अवस्था है- इनका यही स्वरूप ब्रह्मशक्ति गायत्री के नाम से प्रसिद्ध है- इसका वर्णन ऋग्वेद में प्राप्त होता है ... इनका वाहन वृषभ है तथा शरीर का वर्ण शुक्ल है... गायत्री मंत्र की रचना विश्वामित्र ने की थी...मां गायत्री को पंचमुखों वाली भी बताया गया है जिसका अर्थ है कि यह संपूर्ण ब्रह्माण्ड- जल, वायु, पृथ्वी, तेज और आकाश के पांच तत्वों से बना है..., विष्णु सहस्रनाम(एक हजार नाम) आज 383 से 394 नाम 383 गुहः अपनी माया से स्वरुप को ढक लेने वाले 384 व्यवसायः ज्ञानमात्रस्वरूप 385 व्यवस्थानः जिनमे सबकी व्यवस्था है 386 संस्थानः परम सत्ता 387 स्थानदः ध्रुवादिकों को उनके कर्मों के अनुसार स्थान देते हैं 388 ध्रुवः अविनाशी 389 परर्धिः जिनकी विभूति श्रेष्ठ है 390 परमस्पष्टः परम और स्पष्ट हैं 391 तुष्टः परमानन्दस्वरूप 392 पुष्टः सर्वत्र परिपूर्ण 393 शुभेक्षणः जिनका दर्शन सर्वदा शुभ है 394 रामः अपनी इच्छा से रमणीय शरीर धारण करने वाले 🙏बोलो मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल जी महाराज की जय🌹 ©Vikas Sharma Shivaaya' गायत्री माता को सभी वेदों की जननी कहा गया है- ऐसी मान्यता है कि चारों वेदों का सार गायत्री मंत्र ही है... गायत्री माता से ही वेदों का जन्म ह
Vikas Sharma Shivaaya'
शनि प्रकोप से सभी व्यक्ति बचना चाहते हैं। जहां शनि को सबसे क्रूर माना जाता है, वहीं इन्हें न्याय के देवता के रूप में जाना जाता है। शनि देव को यह उपाधि देवों के देव महादेव ने दी है। शनि देव व्यक्ति को उसके कर्म के अनुसार फल देते हैं। शनि बीज मंत्र ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः। हनुमान जी मंत्र: ओम नमो हनुमते रुद्रावतराय वज्रदेहाय वज्रनखाय वज्रसुखाय वज्ररोम्णे वज्रनेत्राय वज्रदंताय वज्रकराय वज्रभक्ताय रामदूताय स्वाहा. मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष में पड़ने वाली अष्टमी को काल भैरव अष्टमी के नाम से जाना जाता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन भगवान काल भैरव का अवतरण हुआ था. भगवान काल भैरव को भगवान शिव (Lord Shiva) का रुद्र स्वरुप बताया गया है. मान्यता है कि भक्तों के लिए काल भैरव दयालु, कल्याण करने वाले और अतिशीर्घ प्रसन्न होने वाले देवता हैं. लेकिन अनैतिक कार्य करने वालों के लिए ये दंडनायक है. इतना ही नहीं, ऐसा भी माना जाता है कि अगर इनके भक्तों का कोई अहित करता है तो उसे तीनों लोकों में कहीं भी शरण नहीं मिलती. भगवान भैरव के बटुक भैरव, महाकाल भैरव और स्वर्णाकर्षण भैरव प्रमुख रूप हैं। इनमें से भक्त बटुक भैरव की ही सर्वाधिक पूजा करते हैं। तंत्रशास्त्र में अष्ट भैरव का उल्लेख भी मिलता है- असितांग भैरव, रूद्र भैरव, चंद्र भैरव, क्रोध भैरव, उन्मत भैरव, कपाल भैरव, भीषण भैरव और संहार भैरव। काल भैरव 7 मंत्र : 1) ॥ ॐ हं षं नं गं कं सं खं महाकाल भैरवाय नम:॥ 2) ॐ ह्रीं बटुकाय आपदुद्धारणाचतु य कुरु कुरु बटुकाय ह्रीं ॐ॥ 3) ॥ॐ भैरवाय नम:॥ 4) 'बटुकाख्यस्य देवस्य भैरवस्य महात्मन:। ब्रह्मा विष्णु, महेशाधैर्वन्दित दयानिधे॥' 5) ॐ ह्रीं बटुकाय आपदुद्धारणाय कुरु कुरु बटुकाय ह्रीं 6) ॥ऊं भ्रं कालभैरवाय फ़ट॥ 7) || ॐ भयहरणं च भैरव: || 🙏 बोलो मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल जी महाराज की जय 🌹 ©Vikas Sharma Shivaaya' शनि प्रकोप से सभी व्यक्ति बचना चाहते हैं। जहां शनि को सबसे क्रूर माना जाता है, वहीं इन्हें न्याय के देवता के रूप में जाना जाता है। शनि देव क
Rajendra Kumar Bag
कदाचित् कालिन्दी तट विपिन सङ्गीत तरलो मुदाभीरी नारी वदन कमला स्वाद मधुपः रमा शम्भु ब्रह्मामरपति गणेशार्चित पदो जगन्नाथः स्वामी नयन पथ गामी भ