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~आचार्य परम्~
हमारे आशाओं को पूर्ण नहीं करने वाले अपने सगे संबंधी भी पराये से प्रतीत होने लगते हैं . इसलिए संसार से आशारहित हो जाइये फिर समस्त प्राणी आपको अपने लगेंगे . क्योंकि अपने पराये का बोध स्वार्थ और आशाओं पर आधारित हैं जिसने पूरा किया वो अपना जिसने नहीं पूरा किया वो पराया . इससे अच्छा आशारहित होकर सभी को अपना बना लिजिए चिंता मुक्त होने का ये भी एक बेहतर उपाय है " परम् भाग्यम्" आशा हि परमो दुःखं , नैराश्यं परमं सुखं ।।
Karan Meda
कि मिले थे बचपन में एक स्कूल की क्लास में फिर स्कूल खत्म हुए बिछड़े थे हम 10वीं की क्लास में कुदरत की मेहरबानी हम फिर से मिले लवली ग्रुप में पर जाने क्यों अब फिर से ग्रुप से बिछड़ने लगे क्या रे ऊपर वाले आज लोग ग्रुप में बात भी नहीं करते ©Karan Meda मेरी दिल किं बात #brothersday
adv Ritam pandey
manoj kumar jha"Manu"
प्रियो भवति अद्वेष्टा द्वेष न करने वाला सबका प्रिय होता है। (स्कन्दपुराण, श्रावण मास महात्म्य) प्रियो भवति अद्वेष्टा द्वेष न करने वाला सबका प्रिय होता है। (स्कन्दपुराण, श्रावण मास महात्म्य)
Banbihari
“ यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिः भवति भारत, अभि-उत्थानम् अधर्मस्य तदा आत्मानं सृजामि अहम् ” जो मनुष्य इश श्लोक का मतलब समझ जाए वो फिर कभी अपने कर्मो से नहीं मुकरे गा और नाही धर्म और मनुष्यता की हानि करेग । परन्तु यह श्लोक को समझने के लिए मनुष्य को मन से , हृदय से , सज्ज होना पड़ेगा , नहीं तो जितना भी समझने का प्रयास करें मनुष्य बस इसे याद कर पाएगा । ©Banbihari यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिः भवति भारत, अभि-उत्थानम् अधर्मस्य तदा आत्मानं सृजामि अहम् भगवद गीता श्लोक #भगवदगीता #BhagvadGita #india #nojo
Bali Inspiration
यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानीं भवति भरत अभ्युत्थानम् अधर्मस्य तदात्मनम् श्रीजाम्यहम् Yada Yada Hi Dharmasya Glanir Bhavati Bharata Abhyuthanam Adharmasya Tadaatmaanam Srijaamyaham Meaning: Whenever There Is A Decline In Righteousness And An Increase In Sinfulness, O Arjun, At That Time I Manifest Myself On Earth. Bali Inspiration again prayer for your reincarnation because sin is increasing. Oh! God come on earth again and destroy this sinfulness from roots and established again Ram Rajya 🙏❤️🤗 ©Bali Inspiration यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानीं भवति भरत अभ्युत्थानम् अधर्मस्य तदात्मनम् श्रीजाम्यहम् #RadhaKrishna #jai_shree_ram #God #Love #Ram #nojotoquote
RRB_12
*तकदीर के खेल से* *नाराज नहीं होते* *जिंदगी में कभी* *उदास नहीं होते* *हाथों किं लक़ीरों पे*
Poet Shivam Singh Sisodiya
#OpenPoetry जयतु संस्कृतम् जयतु भारतम् 🚩 हस्तस्य भूषणं दानं सत्यं कण्ठस्य भूषणम् । श्रोत्रस्य भूषणं शास्त्रं भूषणैः किं प्रयोजनम् ॥ हाथ का भूषण दान है, कण्ठ का सत्य, और कान का भूषण