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Raj-Simran

मानं हित्वा प्रियो भवति

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~आचार्य परम्‌~

आशा हि परमो दुःखं , नैराश्यं परमं सुखं ।।

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हमारे आशाओं को  पूर्ण नहीं करने वाले अपने सगे संबंधी भी  पराये से प्रतीत होने लगते हैं . इसलिए संसार से आशारहित हो जाइये फिर समस्त प्राणी आपको अपने लगेंगे . क्योंकि अपने पराये का बोध स्वार्थ और  आशाओं पर आधारित हैं जिसने पूरा किया वो अपना जिसने नहीं पूरा किया वो पराया . इससे अच्छा आशारहित होकर सभी को अपना बना लिजिए चिंता मुक्त होने का ये भी एक बेहतर उपाय है 
                      " परम् भाग्यम्"
 आशा हि परमो दुःखं , नैराश्यं परमं सुखं ।।

Kapil. pandit

लिखना था किं खुश है

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Karan Meda

मेरी दिल किं बात #brothersday

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कि मिले थे बचपन में   एक स्कूल की क्लास में फिर स्कूल खत्म हुए बिछड़े थे हम 10वीं की क्लास में कुदरत की मेहरबानी हम फिर से मिले लवली ग्रुप में पर जाने क्यों अब फिर से ग्रुप से बिछड़ने लगे क्या रे ऊपर वाले आज लोग ग्रुप में बात भी नहीं करते

©Karan Meda मेरी दिल किं बात 

#brothersday

adv Ritam pandey

कूपुत्रो जाए त, क्वचिदपि कुमाता न भवति। शुभ नवरात्रि 🌷🙏🙏 #NaseebApna #विचार

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manoj kumar jha"Manu"

प्रियो भवति अद्वेष्टा द्वेष न करने वाला सबका प्रिय होता है। (स्कन्दपुराण, श्रावण मास महात्म्य)

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प्रियो भवति अद्वेष्टा

द्वेष न करने वाला सबका प्रिय होता है।

(स्कन्दपुराण, श्रावण मास महात्म्य) प्रियो भवति अद्वेष्टा

द्वेष न करने वाला सबका प्रिय होता है।

(स्कन्दपुराण, श्रावण मास महात्म्य)

Banbihari

यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिः भवति भारत, अभि-उत्थानम् अधर्मस्य तदा आत्मानं सृजामि अहम् भगवद गीता श्लोक #भगवदगीता #BhagvadGita #India nojo #Morning #विचार

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“ यदा यदा हि धर्मस्य 
ग्लानिः भवति भारत, 
अभि-उत्थानम् अधर्मस्य 
तदा आत्मानं सृजामि अहम् ”


जो मनुष्य इश श्लोक का मतलब समझ जाए वो फिर कभी अपने कर्मो से नहीं मुकरे गा और नाही धर्म और मनुष्यता की हानि करेग । 
परन्तु यह श्लोक को समझने के लिए मनुष्य को मन से , हृदय से , सज्ज होना पड़ेगा , नहीं तो जितना भी समझने का प्रयास करें मनुष्य बस इसे याद कर पाएगा ।

©Banbihari यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिः भवति भारत, 
अभि-उत्थानम् अधर्मस्य तदा आत्मानं सृजामि अहम् 

भगवद गीता श्लोक 
#भगवदगीता
#BhagvadGita 
#india
#nojo

Bali Inspiration

यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानीं भवति भरत अभ्युत्थानम् अधर्मस्य तदात्मनम् श्रीजाम्यहम् #RadhaKrishna #jai_shree_ram #God Love #Ram #Reality #purity #bhagwatgeeta

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यदा यदा हि धर्मस्य
ग्लानीं भवति भरत
अभ्युत्थानम् अधर्मस्य
तदात्मनम् श्रीजाम्यहम्

Yada Yada Hi Dharmasya
Glanir Bhavati Bharata
Abhyuthanam Adharmasya
Tadaatmaanam Srijaamyaham

Meaning: Whenever There 
Is A Decline In Righteousness
 And An Increase In Sinfulness,
 O Arjun, At That Time I Manifest 
Myself On Earth.

Bali Inspiration again
prayer for your reincarnation 
because sin is increasing.
Oh! God come on earth
again and destroy this
sinfulness from roots and
established again Ram Rajya
🙏❤️🤗

©Bali Inspiration यदा यदा हि धर्मस्य
ग्लानीं भवति भरत
अभ्युत्थानम् अधर्मस्य
तदात्मनम् श्रीजाम्यहम्

#RadhaKrishna #jai_shree_ram #God #Love #Ram #nojotoquote

RRB_12

*तकदीर के खेल से* *नाराज नहीं होते* *जिंदगी में कभी* *उदास नहीं होते* *हाथों किं लक़ीरों पे*

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 *तकदीर के खेल से*
                   *नाराज नहीं होते*
*जिंदगी में कभी*
                    *उदास नहीं होते*
*हाथों किं लक़ीरों पे*

Poet Shivam Singh Sisodiya

हस्तस्य भूषणं दानं सत्यं कण्ठस्य भूषणम् । श्रोत्रस्य भूषणं शास्त्रं भूषणैः किं प्रयोजनम् ॥ हाथ का भूषण दान है, कण्ठ का सत्य, और कान का भूषण #OpenPoetry

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#OpenPoetry जयतु संस्कृतम् जयतु भारतम् 🚩 हस्तस्य भूषणं दानं सत्यं कण्ठस्य भूषणम् ।
श्रोत्रस्य भूषणं शास्त्रं भूषणैः किं प्रयोजनम् ॥

हाथ का भूषण दान है, कण्ठ का सत्य, और कान का भूषण
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