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Lalit mehra

श्रीमदभगवतगीताप्रथम अध्याय का प्रथम श्लोक #धर्म

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indira

सुंदरकांड का प्रथम श्लोक

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Akshay Dixit

#प्रथम दिल का विचार

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कलम और कागज़ सोचा ना था इतने जल्द ही बदल जाओगे 
पास रह कर भी साथ ना रह पओगे 
पहले बोला करते थे 
आप में खोजने पर भी बुराई नहीं मिलती आज सभी के सामने हमारी बुराई गिनाने लग जओगे 
सोचा ना था इतने जल्द ही बदल जाओगे #प्रथम दिल का विचार

Anup kumar Gopal

प्रथम मिलन का वेला #कविता

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Dharmendra Shukla

सावन का प्रथम सोमवार #OpenPoetry

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#OpenPoetry ॐ नमः शिवाय
जय बुढ़ऊ बाबा सावन का प्रथम सोमवार

Elisan Tudu

विधालय का प्रथम दिन #ज़िन्दगी

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Ek villain

जीवन का प्रथम पाठ #Society

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मानव जन्म विधाता का उत्कृष्ट वरदान है यह कहां और कब मिलेगा कोई नहीं जानता किंतु इसकी सफलता हमारे वश में है इसके लिए जिन मानवीय गुना के आवश्यकता होती है उसका उत्तरदायित्व परिवार और समाज पर है इसलिए बचपन से ही विभिन्न पाठ पढ़ाए जाते हैं किंतु यह पाठ व्याख्यातिक और सामाजिक जीवन में कितने उपयोगी सिद्ध होंगे इसका अनुशीलन आवश्यक है अन्यथा विपरीत परिणाम संभव है मनुष्य के प्रत्येक आचरण का प्रभाव समाज पर पड़ता है आते कोई भी पाठ समाज से अलग होकर नहीं देखा जा सकता

©Ek villain जीवन का प्रथम पाठ

Prashant Mishra

#"माँ" का रूप

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निश्छलता का प्रारूप है  'माँ' इस धरती पे
स्नेह का सच्चा स्वरूप है 'माँ' इस धरती पे
दुनिया में 'माँ' के जैसा नहीं  कोई दूजा है
भगवान का सच्चा रूप है 'माँ' इस धरती पे

--प्रशान्त मिश्रा #"माँ" का रूप

अर्पिता

#माँ का रूप #Thoughts

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आज माँ का एक रुप देखा ,
दिनभर बच्चों के काम किये जा रही थीं,
अपनी उलझने भुलाकर उन्हें सुलझाना सीखा रही थी,
अपने खट्टे मीठे अनुभवों से उन्हें जीना सीखा रही थी,
अपनी सहनशीलता का परिचय जता रही थी,
नामचिन चाय की चुस्कियों के साथ दिन बनाये जा रही थी,
उनके हर एक पल को तराशती जा रही थी,
नाजुक सी कलियों को फूल बनना सीखा रही थी,
अपनी सतयुग की कहानियां इस कलयुग में सुनाए जा रही थी,
अपने भोलेपन से सभी के दिलों को जीतना सिखाए जा रही थी,
सिर्फ वो ही ये सब करे जा रही थीं,
अपने बच्चों को प्रत्यक्षता का ज्ञान कराए जा रही थी,
अपनी ही ममता को लुटाये जा रही थी,
बहुत प्यार दुलार से बात किये जा रही थी,
और इन्ही बातो के जरिये सब कुछ सिखाये जा रही थी,
ज़िन्दगी का मतलब बताये जा रही थी,
इस संसार मे अपनी महत्वता को बनाये जा रही थी,
थोड़ा ध्यान से देखा तो साक्षात देवी सी प्रतीत हो रही थी।।

©अर्पिता #माँ का रूप

Ashish Singh

लक्ष्मी का रूप #Quotes

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