Find the Latest Status about तटबंध from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos about, तटबंध.
Rajnish Shrivastava
तटबंध जब टूटते हैं तो नए किनारे बन जाते हैं कोई साथी छूटता है तो नए सहारे बन जाते हैं ।। ©Rajnish Shrivastava #तटबंध जब टूटते हैं तो
Kulbhushan Arora
#दाबू_की_पुण्या पुण्या.... स्नेह कीअविरल नदी है, तटबंधों की सीमा में बहती, सबके लिए सब तुम सहती, संबंधों को भी सम रखती, जीवन की अविरल नदी हो। बहती जाती बह
Sunita Bishnolia
मैं नियरे बैठी गहरे सागर, फिर भी खाली है मन गागर। मन में उठती उन्माद लहर, तटबंधन तोड़ चली आतुर। उद्वेग का झरना बहता मन, शशि किरणें भी झुलसाए
Sunita Bishnolia
i am Voiceofdehati
वाह क्या हवा है^_________^ (भाषा---अवधी) एक तौ भादौ, दूजे मघा तीसर बहत तेज पुरवईया चौथे भरा है पानी चहुंओर हर तरफ कजरी कै है शोर काली घनी अंधेरी रात उपर से होई रही बरसात केउ न समझै बाढ़ पीड़ित कै हाल ताने है बंधा पर पन्नी औ तिरपाल छोड़ी कै घर और दुआर, लै कै भागत हैं परिवार इ एक दिन कै न हुअय हाल,यहय होत है साल हर साल नेता बैठे हैं पांच सितारम उनका लागय इ सब खुबसूरत नजारा उनका चिंता है बस जीतय का चुनाव लागी कय कैसेव दाहीने बांव केउ मरय चाहे जियव बैठे लियंय मजा वै यही हवा कै जउन वादा करिन रहा जनता से उ सब उड़ीगा यही हवा मा ।। #बाढ़_पीड़ितों की मजबूरी व नेताओं के राजनीतिक हथकंडों को दर्शाती यह अवधी भाषा की कविता। बाढ़- यह शब्द सुनकर ही डर लगता है सभी अपने घरों में
Aprasil mishra
" नदी के किनारों की वेदनायें " प्रारब्ध पर शैवालिनी रोती नहीं, निस्सीम तृष्णा की हदें होती नहीं. तटबंध के स्पर्श में सिमटी हुई, धारा अमिट विश्वास को खोती नहीं.
Rupam Jha
व्यथित मन से कर रही हूं पुकार, ये कैसा प्रलय झेल रहा है बिहार, पहले सुखाड़ तत्पश्चात विकराल बाढ़, मासूमों को छीन गया पहले ही चमकी बुखार, दंश लू का चला ऐसा,जाने कितनी चली गयी, रोई बिलखी माँओ की आँचल बस भींग के रह गयी, कोई न सुना दुखड़ा, उनकी गोद सूनी हो गयी, इलाज़ के अभाव में बच्चों को बेमौत मौत मिल गयी, जाने क्या गलती हुई,क्यों कर रहा प्रकृति खिलवाड़, और नेत्र मूंदे सत्ता पर मौन बैठी है यहां की सरकार, जनता की कोई सुध नहीं है करती नहीं कोई प्रतिकार, बच्चे-बूढ़े तड़प रहे हैं,मिल न रहा है उनको आहार, सुशासन बाबू आत्ममुग्ध हो गए,अब आस ही न किया जाएं, सोये रहने दे उन्हें,उनके तंद्रा को न भंग न किया जाएं, बस प्रार्थना अब तुमसे करती हूं भगवन,दुःख मासूमों का सुना जाएँ, बहुत हो गया इम्तेहान अब कुछ रहम भी तो किया जाएं!🙏 आत्ममुग्धता के मारे क्या किसी की सुधि लेंगे,वो तो बस सत्ता की लिप्सा से ग्रसित हैं,बाकी भाषणबाजी जितना कर लें!पहले लू और अब बाढ़ की चपेट में
Nitu Singh जज़्बातदिलके
#विश्वकवितादिवस पर एक कविता पेश है। आप सभी ढेर सारी बधाई और शुभकामनाएं 🙏🏻 #मेरी_नज़्म_अधूरी_है जब से देखा तुमको मैंने । पलकें झपकाना भूल गया । ऐसा सौन्दर्य अलौकिक सा । शब्दों में रखना भूल गया । कंचन काया मृगनयनी सी । जैसे रति का साक्षात रूप । उज्जवल अनुपम सुंदर सी वो । जैसे हो शरद की खिली धूप । कुछ कहने को आतुर दिखते । अधरों के स्वर कुछ मंद हुए । कम्पित होकर रुक गए वहीँ । अधरों के पट फिर बंद हुए । लज्जा से बोझिल दृष्टि उठी । पलकें फिर साथ न दे पाई । वो झुके नयन की भाषा से । विगलित भीतर तक कर आईं । उनके सौन्दर्य की आभा से खंडित सारे प्रतिबन्ध हुए । यौवन सलिला की धारा पर हया के कुछ तटबंध हुए । मेरी कविता में शब्द कहाँ उस क्षण को भाषित कर पाते । उस नेह युक्त आमंत्रण को अपनी रचना में लिख पाते । ©Nitu Singh(जज़्बातदिलके) #विश्वकवितादिवस पर एक कविता पेश है। आप सभी को ढेर सारी बधाई और शुभकामनाएं 🙏🏻🙏🏻 #मेरी_नज़्म_अधूरी_है जब से देखा तुमको मैंने । पलकें झपकाना
Anita Saini
अनेक मनोभावों से पली बढ़ी होती हैं.... प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप में उनका हमेशा संबंध नहीं होता। समानांतर चलती मन मस्तिष्क की उथल पुथल से टकरा कर पनप जाती है कविता! यकायक फूट पड़ता है अनुराग का निर्झर!
AK__Alfaaz..
जीवन का अभिज्ञ लिए, अनभिज्ञ रही मै, स्मृतियों की स्थिरता, तय करती रही, काल के प्रहार से विघटित, विस्मृत उम्र मेरी, रूढ़ियों के पौरुष से चिरप्रसूतिका मै, कभी कोई, अभिलाषा नही करूँगी गर्भित, ना जन्मूंगी श्वाँस मात्र लिप्सा अपनी, पालने की रिक्तता, पुकारेगी मेरी ममता, #पूर्ण_रचना_अनुशीर्षक_मे #रेहन_ईप्सा जीवन का अभिज्ञ लिए, अनभिज्ञ रही मै, स्मृतियों की स्थिरता, तय करती रही,