Find the Latest Status about चौघड़िया दिन की from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos about, चौघड़िया दिन की.
sanjeev 13959
गजब की आग लगी है जमाने में हर कोई लगा है अपनी अपनी जान बचाने में ना कोई जात है इसमें ना कोई मजहब है ना कहीं किसी का ठिकाना बंद पिंजरे में जो चिड़िया रहती थी उसके अंदर का डर आज इंसानों ने भी है जाना बंद पिंजरे की चिड़िया
Rajesh rajak
ये चिड़िया भी कितनी अजीब है, बिल्कुल मेरी बेटी की तरह, सुबह हुई नहीं और चिल्लाने लगती है, कितनी देर तक सो रहे हो, चलो उठो दूध लाओ भूख लगी है, बिल्कुल मेरी बेटी की तरह। फिर उस चिडिया को देखकर लगता है ये एक दिन उड़ जायेगी मैं सौंप दूँगा किसी के हाथों में, आँखों में आँसू लिए, ये कहकर इसका ख्याल रखना, ये नादान है कोई गलती हो जाए तो,,,,,,,,,,,,,,, ©Rajesh rajak मेरे आँगन की चिड़िया
Prashant yadav
शहर से अच्छा गाँव है, एसी की हवा से बेहतर, गाँव में पेड़ों की छांव है, शहर में सबकुछ है, हर सुख-सुविधा है , फिरभी व्यक्ति महसूस करता तनाव है, शहर से अच्छा गाँव है। शहर में लोगों की जिंदगी, अकेलेपन मे कटती है, ए तनहाई की बादल उनके, सर से नहीं छटती है, सबसे बुरे हालातों से बुजुर्ग गुजरते है, यहाँ आदमी की नहीं, पैसों की इज्जत होती है, इनकी जिंदगी ऐसे कटती है, जैसे दलदल मे धँसा पांव है, शहर से अच्छा गाँव है। वातावरण अशांत रहता है, अकेलेपन से जुझती है जिंदगी, जैसे बीच दरिया में फँसी नाव है, शहर से अच्छा गाँव है। #बचपन के दिन #दिल की बात
muskaan
मैं चिड़िया हूं तेरे आंगन की न जाने किस दिन उड़ जाऊंगी पर उससे पहले तुझे जीने का हर अंदाज सिखा कर जाऊंगी #मैं चिड़िया तेरे आंगन की#
Anjana Chirag
चिड़िया# मेरे ऑगन की चिड़िया मेरे ऑगन की, मुझसे अपना थोङा सा आसमाॅ मांगती है। डर है मुझे शायद, कि अभी वो उडना ही कहाँ जानती है। किस डाल पर बैठना है, कहाँ दाना चुगना है, सही से अभी वो ये भी कहाँ जानती है। जिन्दगी टेडी- मेडी चलती है, लेकिन वो तो जिंदगी को सीधा- सीधा जीना जानती है। डर ये भी है मुझे शायद , कि हर शख्स को अभी वो कहाँ पहचानती है। कया अपने डर उस पर हावी कर दूँ, उडने से पहले ही उसके पर कुतर दूँ । थोड़ा सा आसमान ही तो माँगती है। क्यों न भरने दूँ उड़ान उसे जी भर के, क्यों ना पंख फैलाने दूँ उसे, क्यों हर वक़्त रोकूं- टोकू उसे, क्यों ना अपने हिस्से का दाना उसे खुद चुगने दूँ, क्यों ना उसे वो करने दूँ, जो वो चाहे। क्यों ना उसे बढने दूँ आगे, सबसे आगे। क्यों उसके पाँव की ज॔जीर बनूं। क्यों ना उसके हाथों की लकीर बनूं। क्यों न उसके लौट आने की राह तकूं। क्यों न उसकी उड़ान के किस्से मैं सुनू। क्यों न उस पर मैं फक्र करू। क्यों न हर दुआ में उसका जिक्र करू। मेरे जिगर का टुकड़ा है वो, तो क्यों न उसको उसके दिल की सुनने दूँ। माँगती ही क्या है, अपने हिस्से का आसमाँ ही तो माँगती है। हाँ, चिड़िया मेरे ऑगन की, अपने हिस्से का थोड़ा सा आसमाँ माँगती है। ©Anjana Chirag चिड़िया # मेरे ऑगन की #freebird
ANJNA MALI
छोटी सी एक चिड़िया थी कुछ नटखट और चंचल सी, जग से वह अंजानी थी। धीरे-धीरे वह बड़ी हुई, एक दिन सोचा उसने, मैं भी उडु खुले आसमान में, सपने पूरे हो इस जहां में, पर अफसोस बेचारी उड़ ना सकी, सपनों को अपने पूरा कर ना सकी, अपने होकर भी, कोई उसका अपना न था। साथ तो था मगर, फिर भी कोई साथ न था। बैठी थी प्यार के समुद्र के पास, फिर भी एक बूंद न थी उसके पास, शायद और यही उसकी एक बदनसीबी भी थी। ©ANJNA MALI #seagull बदनसीबी एक चिड़िया की
kumar vishesh
Listen Me चिड़िया की कहानी एक पेड़ पर कौवा और चिड़िया बैठे थे बराबर किसी झोपड़ी में आग लगी हुई थी वहां पर कुछ लोग आग बुझा रहे थे आग बुझने का नाम नहीं ले रही थी अचानक चिड़िया डाल पर से उड़ी किसी की छत पर टंकी रखी थी उसमें से अपनी चोंच मैं पानी भर जहां पर आग लगी थी वहां पर डालने लगी हर बार चोंच में पानी भरती और वहां पर डालती काफी मेहनत करने के बाद वह थक कर उसी डाल पर बैठ गई कौवा हसने लगा कहने लगा पागल चिड़िया तेरी दो चोंच पानी से क्या आग बुझ जाएगी चिड़िया ने कहा आज के दिन का भगवान के यहां इतिहास लिखा जाएगा उसमें एक बात साफ हो जाएगी कि मैं आग लगाने वालों में से नहीं थी मैं आग बुझाने वालों में से थी चिड़िया और कौवा की कहानी