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Pushpvritiya
यह तथ्य कभी समझ आया नहीं कि............... स्वउदर कष्ट दे किन्ही की आयु कैसे बढ़ाई जाती है..... स्वकंठ पिपासित कर स्तुतिगंग कैसे बहाई जाती है......... सोचा यह सब "ज्ञान" नहीं..... तो जो "ज्ञान" नही विवेक से परे हो जो जहां तर्क अमान्य हो...... उन्हें "प्रेम" की तालिका में अंकित कर दे......... ©Pushpvritiya सारणी बनाएं....... जिनमें प्रेम और ज्ञान की हो दो तालिकाएं...... फिर बिंदुओं का संकलन कर अंकन करें............. गृहकार्य है अवश्य करें...
Sandeep Sharma
Vivek Kumar Singh
त्रिकोणमिति की पढ़ाई हुई थी, सजल से मेरी लड़ाई हुई थी। विज्ञान में गृहकार्य किया नहीं था, छड़ी से मेरी पिटाई हुई थी। मैं सिनेमा जाने की घात में था, मैं कल ही तो दसवीं जमात में था। त्रिकोणमिति की पढ़ाई हुई थी, सजल से मेरी लड़ाई हुई थी। विज्ञान में गृहकार्य किया नहीं था, छड़ी से मेरी पिटाई हुई थी। मैं सिनेमा जाने की घात
Anuradha T Gautam 6280
पति पर झूठे मुकदमे करने वाली औरतों का टांका 100% बाहर भिड़ा रहता है...90% तो अपने ही जीजू या रिश्तेदारों संग व्यस्त रहती है, शादी तो बस समाज को दिखाने के लिए और पति से धन ऐंठने के लिए ही करती हैं..!! ऐसी औरतें शादी करके सबसे पहले पति को इस बात के लिए राज़ी करती हैं कि मैं भी गृहस्थी में आपके साथ हाथ बटाउंगी और मैं भी कोई काम-काज करूंगी... ताकि उन्हें घर से बाहर निकलने का मौका मिले और वो अपने आशिकों से मिल-जुल सकें..!! कभी-कभी तो ऐसा भी होता है कि धन की भूखी लालची लड़कियां जहां काम करती हैं, वही अपने से बड़े कर्मचारी या अधिकारी पर ही डोरे डालने लगती हैं... जबकि वो अच्छी तरह जानती है कि वो भी शादीशुदा व्यक्ति हैं फिर भी...लगी रहती हैं उसको रिझाने में.. वो भी सिर्फ इसलिए ताकि तरक्की/प्रमोशन हो जाएं... मेरे पैसे बच जाएं और वो ही सारे मेरे शौक और ब्रांडेड कपड़े, मेकअप और घूमने फिरने का खर्च पूरे करें...!! अपने फायदे के लिए किसी के भी साथ हमबिस्तर हो जाने पर इन्हें कोई अफसोस नहीं होता है....!! बाकी गृहणियों की तरह इनकी सोच नही होती है क्योंकि इनको मर्यादा में रहना गंवार पन लगता है...!! संस्कारी गृहणियों को ये गुलाम समझती हैं..!! ......... ...... ......... ...... ......... ...... ..... ..... ..... लिव इन रिलेशनशिप में रखैल बनकर रह लेंगी मगर इज्जत से ससुराल में नही रह पाएंगी क्यों कि... ससुराल में मर्यादा से रहना पड़ता है और बड़े-बुजुर्गों की रोक-टोक एवं हिदायतें सुननी पड़ती हैं..!! नोट-यह पोस्ट प्रेमी की खातिर या जिद पूरी करवाने की खातिर पति को झूठे मुकदमे में फंसाने वाली औरतों को समर्पित है, कृपया यह ना कहे कि "सभी एक जैसी नहीं होती" जो हैं या ऐसा करती हैं, उन्हें ही कहा गया है👍बाकी सभी घरेलू, गृहकार्य में दक्ष महिलाएं ही परिवार चला सकती है और सदैव सम्मान पाती हैं..!! सभी संस्कारी माताओं और बहनों को सादर 🙏🌹 #Repost #हर_बेटी_मेरी ©Anuradha T Gautam 6280 पति पर झूठे मुकदमे करने वाली औरतों का टांका 100% बाहर भिड़ा रहता है...90% तो अपने ही जीजू या रिश्तेदारों संग व्यस्त रहती है, शादी तो बस समाज
अज्ञात
पेज-17 राकेश-बिलकुल ठीक होगा.. हमारी कालोनी में अतिथियों के लिये पर्याप्त व्यवस्था है आप आकर वहीं रूक सकते हैं... जे.एल.जी- कहते हैं शुभ कार्य में देर नहीं करनी चाहिए तो क्या मैं कल ही आ सकता हूं..? राकेश-जी बिलकुल आ जाइये स्वागत है आपका.. ! जे.एल.जी- बस आपसे एक प्रार्थना थी किसी से ये मत कहियेगा मेरा वहाँ आने का मक़सद क्या है. वरना वास्तविकता से अनभिज्ञ रहने की संभावना बढ़ जायेगी...आप चाहें तो अपने रिश्तेदार कहकर मेरा परिचय करवा दीजिये.. बड़ी कृपा होगी.. क्या है कि विवाह होना ना होना तो ईश्वरीय संयोग की बात है हम आप तो बस निमित्त मात्र हैं.. अगर बात नहीं बनी तो किसी को कोई ठेस ना पहुंचे बस इसलिये ऐसा कह रहा हूं... राकेश-आप बिलकुल फ़िक्र मत कीजिये.. मैं समझता हूं एक पिता जब अपनी बेटी को किसी गैर को सौंपता है तब उसके दिल में कितना तूफ़ान चलते रहता है.. आखिर बेटी के जीवन का सवाल है और आपको पूरा अधिकार है अपने मन की तसल्ली करने का... आप पधारिये मैं किसी से तब तक कुछ नहीं कहूंगा जब तक आप मुझे अपना निर्णय ना सुना दें.. जे. एल. जी- आपका बहुत बहुत आभार राकेश जी.. मैं कल आपसे मिलता हूं.. आप लोगों की कालोनी के बहुत चर्चे सुने हैं.. इसी बहाने कल देखने का सौभाग्य भी मिल जायेगा और आप सबसे मिलने का भी आनंद ले सकूँगा.. राकेश- जे.एल.जी मेरा एक निवेदन था आपसे.. क्या आप अपनी सुपुत्री के बारे में कुछ जानकारी दे सकते हैं मुझे... अगर आप अन्यथा ना लें तो.. जे.एल.जी-जी रवि जी बिलकुल, बातों बातों में तो मैं भूल ही गया..हमारा तीन सदस्यीय परिवार है जी, मैं मेरी पत्नी और हमारी इकलौती संतान हमारी लाड़ली बेटी "मनीषा" है जिसके बारे में अभी आपसे चर्चा हुई है, इसी साल उसका ग्रेजुएशन कम्पलीट हुआ है गृहकार्य में प्रवीण है उम्र अभी 22 साल हुई है..मैं अपनी बेटी के बारे में ज्यादा कुछ नहीं कहूंगा कल आप ख़ुद ही देख लीजिये मेरी बेटी को.. राकेश- जी बिलकुल, ईश्वर ने चाहा तो रत्नाकर कालोनी में शहनाई गूंज उठेंगी.. जय सियाराम 🙏 जे.एल.जी-जय सियाराम जी.. 🙏🙏 दृश्य यहीं समाप्त अब आगे पेज-18 ©R. Kumar #रत्नाकर कॉलोनी पेज-17 राकेश-बिलकुल ठीक होगा.. हमारी कालोनी में अतिथियों के लिये पर्याप्त व्यवस्था है आप आकर वहीं रूक सकते हैं... जे.एल.
मुखौटा A HIDDEN FEELINGS * अंकूर *
***. मेरा जादुई घर*** मैं,मेरी पत्नी और हमारे बच्चे,एक जादुई घर में रहते हैं....😀 हम अपने गंदे कपड़े उतार देते हैं,जिन्हें अगले दिन साफ कर दिया जाता है😀 हम स्कूल और ऑफिस से आते ही अपने जूते उतार देते हैं, फिर अगली सुबह हम साफ सुथरे पॉलिश वाले जूते पहनते हैं...😀 हर रात कूड़े की टोकरी कचरे से भरी होती है और अगली सुबह खाली हो जाती है.... 😀 मेरे जादुई घर में खेलते समय बच्चों के कपड़ों से बदबू आती है,लेकिन अगले ही पल वे साफ हो जाते हैं और उनके खेल उपकरण जल्दी से अपने बक्से में फिर से व्यवस्थित हो जाते हैं..... 😀 मेरे जादुई घर में हर दिन मेरे और मेरे बच्चों के लिए पसंदीदा खाना बनता है...🙏 मेरे जादुई घर में,आप सुन सकते हैं "माँ, मम्मी मम्मा" हर दिन लगभग सौ बार पुकारा जाता है ...😀 मम्मा नेल क्लिपर कहाँ है...❓ माँ, मेरा गृहकार्य पूरा करो...मम्मा, भाई मुझे पीट रहा है...😀 मम्मा,आज मेरा स्कूल लंच बॉक्स बनाना मत भूलना,माँ आज ही हलवा पूङी बनाओ.... 😀 माँ,मुझे आज चींटी नहीं मिल रही है,वह यहां रोज एक लाइन में चलती है माँ मेरे लिए एक सैंडविच बनाओ...मुझे भूख लगी है माँ मुझे वॉशरूम जाना है...😀 मम्मा,मुझे पहले भूख लगी थी... 😀 अभी नहीं रात को सोने से पहले जो आखिरी शब्द सुना वो है "माँ" और सबसे पहला शब्द सुना है "माँ" जब मैं सुबह अपने जादुई घर में उठता हूँ ...🙏 बेशक, इस जादुई घर की ओर अब तक कोई भी आकर्षित नहीं हुआ है,हालांकि सभी के पास यह जादुई घर है ... और शायद ही कभी किसी ने इस घर के "जादूगर" का धन्यवाद किया होगा... 😎 इन जादुई घरों का जादूगर कोई और नहीं बल्कि हर "पत्नी और मां" है। जो अपने ही घरों में करते हैं ऐसा जादू...👍 भगवान हर उस "पत्नी और मां" को आशीर्वाद दें,जिनके "धैर्य और अनंत कर्म" हर घर में समृद्धि लाते हैं... सभी माताओं, पत्नियों, बेटियों और बहनों को समर्पित🙏 ©Ankur Mishra #मेरा#जादुई#घर एक दिन एक लेखक की पत्नी ने उससे कहा कि तुम बहुत किताबें लिखते हो😀आज मेरे लिए कुछ लिखो तो फिर मुझे विश्वास होगा कि तुम सच में
खामोशी और दस्तक
कश्मीर फाइल्स और मैं एक फिल्म जिसने एक तरह से आज पूरे देश को हिला दिया है या यूं कहें गढ़े मुर्दे उखाड़ दिये हैं और उसकी गंध थियेटर से निकले हर भारतीय को परेशान कर रही है,उस समय जो कुछ भी हुआ आज आईने की तरह साफ है, फ्रेम दर फ्रेम इसमें उभरती तस्वीरें महीनों दिल से चिपकी रहेगी ये एक ऐसा आइना हैं जिसे देखना यथावत स्वीकार करना हर किसी के बस की बात नहीं जिनमें मैं भी शामिल हूं। मैंने ये फिल्म नहीं देखी, ना ही इतनी हिम्मत है कि कभी देख सकूंगी। "कश्मीर फाइल्स" जब ये नाम सुना था पहली बार ज़हन में अनजाने ही एक शिक्षिका घूमने लगी। मैं आठवीं या नवीं कक्षा में थी उस समय। हिंदी आरंभ से ही मेरा प्रिय विषय रहा है जिसकी वजह हमारी पूजा मैम थी।साधारण कद व शालीन स्टाफ रूम से अधिक हमारी कक्षा में ही बैठती थी लंच भी हमारे साथ ही करती थी। हंसमुख थी साथ ही मितभाषी भी चूंकि मैं भी अंतर्मुखी थी उनसे एक जुड़ाव महसूस होता था।उनकी आवाज़ मधुर थी, उनका हमें पढ़ाने का तरीका सबसे अलग था, सबसे अच्छी बात हमें गृहकार्य कभी कभी ही मिलता था सारा काम वो कक्षा में ही करवाती थी। मेरे साथ साथ आधी क्लास की पसंदीदा शिक्षीका थी।करीब एक वर्ष उन्होंने हमें पढ़ाया फिर अचानक उन्होंने हमारा शहर छोड़ दिया। मुझे आज भी अच्छी तरह से वो दिन याद है जब वो शाम के वक्त मेरे पड़ोस में आई थी शायद उनको पहले से जानती थी।कब आई मैंने नहीं देखा था लेकिन जाते जरूर देखा था मैं बाहर अपने आंगन में आई तब वो आंटी से बात कर रही थी बात करते करते उनकी आंखों से आंसू टपक रहे थे साथ ही आंटी के भी ,पूजा मैम आंटी के गले लगी और फफक फफक कर रोने लगी मैंने अपनी मम्मी को ये बात बताई वो झट से अपना काम छोड़कर उनके पास गई कुछ पल रूकी फिर वो वो रोने लगी तीनों को रोता देख मैं बहुत असहज हो गई दौड़ कर उनके पास गई मुझे देख तीनों चुप हो गई मैंने उनसे जब पूछा आप सब क्यूं रो रहे थे बात बदलने के लिए मम्मी ने कहा आपकी मैम आंटी के लिए कुछ गमले लाई है एक आपके लिए भी है अपनी पसंद का गमला ले लो।मैम ने कुछ गमले उनके यहां दिये थे, सभी फूलों के थे जिनमें एक गुलाब का था हल्के गुलाबी रंग का पूरा पौधा फूलों से लदा था भीनी भीनी खुशबू आ रही थी मैंने मैम से पूछा ये ले लूं मैम ने चहक कर कहा हां बेटा लेकिन ये कश्मीरी गुलाब है इसका विशेष ध्यान रखना पड़ेगा, ध्यान रख लोगी ना? मैंने हां में सर हिला दिया और गमला लेकर घर आ गई। दूसरे दिन से हमारी वार्षिक परीक्षा थी पूरी परीक्षा के दौरान पूजा मैम नहीं दिखी छुट्टियां शूरू हो गई हम स्कूल को लगभग भूल गए हां कभी कभी पूजा मैम की याद आ जाती।मै जब भी मम्मी या आंटी से उनके बारे में पूछती दोनों का एक जवाब होता कुछ दिनों के लिए वो अपने घर गई है साथ ही उनके चेहरे पर एक खामोशी छा जाती उनके बारे में ज्यादा सवाल करने पर मुझे डांट देती, पूरी छुट्टीयों में उनके बारे में बस इतना पता चल सका था कि वो कश्मीर से थी।मैं उनको लगभग भूल ही गई थी, जब इस फिल्म का नाम सुना मुझे उनकी याद आई और मैंने मम्मी से उनके बारे में पूछा मुझे आश्चर्य हुआ जब मैंने जैसे ही उनका नाम लिया मम्मी को वो याद आ गई पहले तो उन्होंने टाला फिर जो भी बताया आज पूरे एक सप्ताह से मैं ठीक से सो नहीं सकी सोचती हूं उस समय मेरी मम्मी और आंटी के लिए कितना मुश्किल हुआ होगा सामान्य दिखना ना जाने कितने महीनों तक वो जागी होंगी ... क्रमशः ....... ©खामोशी और दस्तक कश्मीर फाइल्स और मैं एक फिल्म जिसने एक तरह से आज पूरे देश को हिला दिया है या यूं कहें गढ़े मुर्दे उखाड़ दिये हैं और उसकी गंध थियेटर से निकल
Parul Sharma
वधू चाहिये कविता caption में पढ़ें --------------- वधू चाहिए ------------ आये लड़के वाले छपवाने इस्तहार मेरी संजीवनी में एक वधू चाहिए आ गयी है कड़की घर में है परिवार छोटा सा
Shree
भोला-सा, धुंधला-सा बचपन /अनुशीर्षक उधर बालकनी के रोशनदान में से चिड़ियां अपने बच्चों के लिए दाना लेने जाने लगती तो सारे चूज़े एक साथ चिड़िया के पंखों की सरसराहट की आवाज के साथ
Vidhi
सृष्टि का विनाश सृष्टि के विनाश की घड़ी आ चुकी थी। सृष्टि की शुरुआत से ही प्रलय की चेतावनियाँ देवलोक में रोजाना प्रसारित होती थीं लेकिन देवलोक में कभी किसी न