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Saumitra Joshi
उभा आहे विटेवरी आनंदाचा कंद | सावळा गोविंद,सखे सावळा गोविंद|| गळ्यात घातली तुळस मंजिरीची माळ | दुःख जातील परतून,येई आंनदाचा काळ || सावळ्याला घालितसे चंदनाचे विलेपन | रखुमाई ला भाळी लाविते केशरी कुंकुम || नेसवुनी धोतर घाली साज शृंगार | मस्तकी लावूनी टिळा रूपे सुंदर || घेई काळजी वेड्या भाबड्या भक्तांची | लागता पायीं चटके,तरी वाट पंढरीची || निघे पालखी तुकाराम,गोरा,चोखोबा | दिसें कटेवरी हात घेऊन सावळा विठोबा|| 24 . 03 . 2021 ©Saumitra Joshi #विठ्ठल #पांढरी
Qamar Abbas
दरअसल मोहब्बत का पैगाम लिखा है मैंनें ये कलम लेकर तेरा नाम लिखा है दिल की दिवारों पे मोहब्बत की कलम से ऐ जाने-वफा तेरा नाम सुबह -शाम लिखा है (क़मर अब्बास) #अवनी
Adarsh Dwivedi
पोल खोली, कुछ न बोली, डोलि जाई, का करी, ओनकी जफड़ी मा कसत इज्जत बचाई, का करी? बूँद भै जानै न हमरी जात कै औकात जे, वहि समुंदर की लहर कै गीत गाई, का करी? फूस की मड़ई मा बनि बारूद हम पैदा भए, आग देखी तौ भभकि के बरि न जाई, का करी? छाँव की खातिर पसीना खून से सींचा किहे, झोंझ से माटा झरैं तौ मुँह नोचाई, का करी? पूत जौ पूछै बमकि के बाप से तू का किह्या, ऊ बेचारा हाथ मलि के रहि न जाई, का करी आद्या प्रसाद 'उन्मत्त' (अवधि) ©Adarsh Dwivedi अवधी ग़ज़ल
Deepanshi Srivastava
सब दुःख आपन काटै कटिहैं , अइहै न कोय उलट हंस लीहें... औ कलयुग मा का चहत हौ भैया, हियां तो अपनेह अपनेक डसिहें... आवा काल बड़ा विषधारी , देखौ कऊन रही कऊन जारी... तुम गैरं ते का डरत हौ भैया , प्रथम तो अपनेह डुबइहैं नईया... औे जौ तुम हियां सत्य पथ चलीहौ, सब जन के तुम दुश्मन बनिहौ... तुम तजौ मूल्य सब भए पुराने , चलौ चाल जऊन सब मन भावे... ©Deepanshi Srivastava अवधी ❤️ #Flower