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काव्य मुसाफिर दिनेश
*_शोध भाकरीचा_* ____________________ _केली जरी भटकंती_ _मार्ग नाही चाकरीचा._ _संपणार तरी कधी? ._ _शोध माझा भाकरीचा._ _उच्च विध्या-विभूषित_ _नाही पत्ता नौकरीचा._ _वाटे आता स्मशानात_ _शोध घ्यावा भाकरीचा. _दिनेश अ .कांबळे_ _औरंगाबाद_ _9049315108_ #दिनेश___
दि कु पां
wow! क्या मस्त combination है... एक ही कमी रह गई थी, लिखा होता.. जो.. कि.. सर्द रात... खुली खिड़कियों से आती सर्द हवा के मस्त झोकें.. अनायास ही कड़कती बिजली की तेज़ चमक.. में... मैं और तुम सिहरते हुए.. चाय के कपों को थरथराते हुए उसे अपने अधारो से लगा अंतिम घुंट तक जिस्म को गर्म करने का एक विफल प्रयास करते हुऐ... आओ एक दूजे के बाहों में समा जिस्म से जिस्म को कुछ गर्मी दे.. इन सर्द रातों का मुकाबला करें.. #दिनेशपांडेय
दि कु पां
बात जो सिर्फ गुलाब तक होती तो दे तुम्हे मैने भी रस्म अदायगी कर दी होती.. बगावत तुम्हारे लिए शायद मैने भी विस्वास से कर दी होती, मगर यहां सवाल तो ये है की जैसा मैं हूं वैसा क्या तुम मुझे स्वीकार कर पाओगी...?? जबकि उसके दिए गुलाब आज भी मेरी किताबों बीच वैसे ही महकते हैं..— % & #दिनेशपांडेय
दि कु पां
वो रिश्ता प्यार और तन्हाइयों में यादों सहारे उनके साथ का होता है.. #दिनेशपांडेय
दि कु पां
"कागा सब तन खाइयो, चुन-चुन खाइयो मांस, दोइ नैना मत खाइयो, पिया मिलन की आस.." **************** बाबा फरीद द्वारा लिखित इस दोहे में सच्चे प्रेम को दर्शाया गया है.. प्रेमी सर्वस्व न्यौछावर कर प्रेम को पाने के लिए लालायित रहता है.. वो दीगर बात है कि सूफी मत में - प्रेमिका या प्रेमी से तात्त्पर्य - परमात्मा से रहता है , सो यहाँ पिया मिलन - हकीकत में प्रभु मिलन है.. #दिनेशपांडेय
दि कु पां
🚩अनायासेन मरणम् ,बिना देन्येन जीवनम्। 🚩देहान्त तव सानिध्यम्, देहि मे परमेश्वरम् ।। इस श्लोक का अर्थ है- 🔱 अनायासेन मरणम्...... अर्थात बिना तकलीफ के हमारी मृत्यु हो और हम कभी भी बीमार होकर बिस्तर पर पड़े पड़े ,कष्ट उठाकर मृत्यु को प्राप्त ना हो चलते फिरते ही हमारे प्राण निकल जाएं । 🔱 बिना देन्येन जीवनम्......... अर्थात परवशता का जीवन ना हो मतलब हमें कभी किसी के सहारे ना पड़े रहना पड़े। जैसे कि लकवा हो जाने पर व्यक्ति दूसरे पर आश्रित हो जाता है वैसे परवश या बेबस ना हो । ठाकुर जी की कृपा से बिना भीख के ही जीवन बसर हो सके । 🔱 देहांते तव सानिध्यम ........अर्थात जब भी मृत्यु हो तब भगवान के सम्मुख हो। जैसे भीष्म पितामह की मृत्यु के समय स्वयं ठाकुर जी उनके सम्मुख जाकर खड़े हो गए। उनके दर्शन करते हुए प्राण निकले । 🔱 देहि में परमेशवरम्..... हे परमेश्वर ऐसा वरदान हमें देना । संकलन; दिनेश कुमार पाण्डेय #दिनेशपांडेय
दि कु पां
ये डूबता सूरज कल फिर उदय होगा, ये ही मेरी निराशाओं को आशाओं में बदलेगा.. विश्वास है मुझे... मैं हार नहीं मान सकती मैं स्त्री हूं... धरा सी धृढ़ हूं.. मैं धीरज सी परिपूर्ण हूं, है दिया ईश ने सृष्टि सृजन का अधिकार मुझे..... ना तू यहां बैठ देख मुझे, जश्न ना मना... सृजन ही नहीं - मैं देवी संहारो की भी... #दिनेशपांडेय
दि कु पां
प्रेम सिर्फ़ वसन नही वासना का.... प्रेम समुन्दर है जज्बातों का... प्रेम सागर है अरमानों का.. प्रेम दरिया है भावों का.. प्रेम अग्नि है विरह का.. प्रेम संयोग है मिलन का.. प्रेम आकर्षण है सम्मोहन है चाहतों का .. प्रेम अंतरंगता है समर्पण है दो दिलों के रिश्तों का.. प्रेम लगाव है.. भाव है.. स्पर्श है.. जिस्मों का प्रेम मुक है.. निशब्द है.. त्याग है.. आस है रूहों का प्रेम सेवा है.. संघर्ष है.. प्रतिबद्धता है अनुराग का.. प्रेम भय है.. प्रेम अनिश्चिता है.. प्रेम असुरक्षा का भाव है बिछूड़ने का.. प्रेम जोश है.. प्रेम उत्साह है.. प्रेम आनंद है.. प्रेम परमानंद है.. प्रेम जीवन का सार है.. प्रेम जीवन का आधार है.. प्रेम पूर्णता है.. प्रेम पुर्ण विराम है जिंदगी का... #दिनेशपांडेय