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mksmahi
गज़ल ना मैं भीड़ में मिला, ना तन्हाई में मिला। मैं तो किसी की चाहत की गहराई में मिला।। ना मैं धरती पर मिला, ना गगन में मिला। मैं तो किसी की दिले-लगन में मिला।। ना मैं जल में मिला, ना मैं जंगल में मिला। मैं तो किसी के प्यार भरे आंचल में मिला। ना मैं मंजिल पर मिला, ना मैं राह पर मिला। मैं तो किसी के दिल से उठती आह में मिला।। ना मैं दिन में मिला, ना मैं रात में मिला। मैं तो किसी के दिल की नजाकत में मिला।। ना मैं परायो में मिला, ना मैं अपनो में मिला। मैं तो किसी के दिन के सपनों में मिला।। ना मैं ‘माही’ के देश में मिला, ना परदेश में मिला। मैं तो किसी के बढ़ते हुये आगोश में मिला।। गज़ल मैं वहाँ पर हूँ। #gazal #shayari #hindigazal #mksmahi #nojotohindi #nojoto #hindishayari #love
Aastha Goswami
Prabodh Prateek
तुम ढूँढोगे मुझे भीड़ में हजारों की,और मैं वहाँ मिलूँगा . . . जहाँ लोग मतलबी नहीं हुआ करते ! ! ©Prabodh Prateek तुम ढूँढोगे मुझे भीड़ में हजारों की , और मैं वहाँ मिलूँगा . . . जहाँ लोग मतलबी नहीं हुआ करते ! !
أحمد سعود
सिर्फ इबादतगाहों में क्यो ढूंढते हो मुझे, मैं वहाँ भी होता हूँ जहाँ तुम गुनाह करते हो. ©أحمد سعود सिर्फ इबादतगाहों में क्यो ढूंढते हो मुझे, मैं वहाँ भी होता हूँ जहाँ तुम गुनाह करते हो. #Thinking
⚡️S Sagar⚡️
बनकर तेरा साया तेरा साथ निभाऊंगा.. तू जहाँ जहाँ जाएगी मैं वहाँ वहाँ आऊँगा.. साया तो छोड़ जाता है अँधेरे में साथ लेकिन में अँधेरे में तेरा उजाला बन जाऊँगा बनकर तेरा साया तेरा साथ निभाऊंगा.. तू जहाँ जहाँ जाएगी मैं वहाँ वहाँ आऊँगा.. साया तो छोड़ जाता है अँधेरे में साथ लेकिन में अँधेरे में तेरा उज
⚡️S Sagar⚡️
बनकर तेरा साया तेरा साथ निभाऊंगा.. तू जहाँ जहाँ जाएगी मैं वहाँ वहाँ आऊँगा.. साया तो छोड़ जाता है अँधेरे में साथ लेकिन में अँधेरे में तेरा उजाला बन जाऊँगा बनकर तेरा साया तेरा साथ निभाऊंगा.. तू जहाँ जहाँ जाएगी मैं वहाँ वहाँ आऊँगा.. साया तो छोड़ जाता है अँधेरे में साथ लेकिन में अँधेरे में तेरा उज
Nisha
राह देखते देखते राह आगे निकल गई सुन! अब अगर तू लौटे तो वापस लौट जाना। अब मैं वहाँ तेरा इंतज़ार नहीं करती। #राह #इंतज़ार #NZ #yqbaba #yqdidi
Author kunal
मेरी चेतना लकवाग्रस्त हो चुकी है और किसी भी परिस्थिति के प्रत्युत्तर में देने के लिए मुझमें केवल बस मुस्कुराहट शेष बची रह गई है जो मुझे किसी ब्लैकहोल की तरह निगलती जा रही निगलती जा रही । अर्थात जिस मुस्कुराहट को कुछ लोग मेरी विशेषता बता रहे दरअसल वो बस मजबूरी में चुना गया मेरे अपघटन का एक क्रिया है।। पूरी कविता अनुशीर्षक में पढ़े । मुझे जहाँ व्यवहारिक होना था मैं वहाँ हँसता हुआ पाया गया । मुझे जहाँ रोना चाहिए , चिखना चिल्लाना चाहिए था मैं वहाँ हँसता हुआ पाया गया मुझे