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Bharat Bhushan pathak
नवल आज फिर से हो,वो सवेरा। नहीं पाप बन छाए, तम घनेरा।। ©Bharat Bhushan pathak #snowpark नवल आज फिर से हो,वो सवेरा। नहीं पाप बन छाए, तम घनेरा।।
Nazar Biswas
किसी रोज़ इन थकी मांदी आंखों को तुम ख़्वाब कोई दिखा देते? दुखाया गया है बहुत, इस दुखी से दिल को तुम हंसा देते? खो रहीं हूं ख़ुद को थोड़ा थोड़ा अंधेरों में मैं हर रोज़, कभी थोड़ा ख़ुद समझते, कभी थोड़ा तुम मुझे समझा देते? काश के रातों में मुझे यूं तन्हा छोड़ कर न यूं सजा देते? खामोशी की चादर फेंक, कुछ पल को ही सही तुम गम मेरा भुला देते? डराती है बहुत मुझे ये मौत से भी बत्तर रातें, काश की किसी रोज़, कभी खुद से पहले तुम मुझे सुला देते। ये काला घनेरा साया कैसा है? देखो मैं इसमें खो रहीं हूं, मैं कौन हूं? मैं कैसी हूं? मैं इससे भी अंजान अब हो रही हूं। #hindipoetry
Anjali Singhal
Odysseus
Archana Tiwari Tanuja
मां मेरी तुम्हीं से है जीवन मेरा, तुम्हीं से रात मेरी तुम्हीं सवेरा। हे जननी तुझ सा न कोई दूजा, हर स्वास पर है अधिकार तेरा। हर परिस्थिति में साथ रही तुम, जब असमंजस ने मुझको घेरा। गिरा लड़खड़ाया थामा तूने हाथ, जब निराशा ने मन में डाला डेरा। हर जन्म में तेरा प्यार दुलार मिले, जन्म मरण का जब-जब हो फेरा। जीवन दु:ख की!धूप तू ठंडी छांव, ये ममता का नाता हो और घनेरा। अर्चना तिवारी तनुजा ©Archana Tiwari Tanuja #MothersDay #maa #nojoto #nojotohindi #nojotowriters #nojotonews #kavita #gazal #MyThoughts #viral_video 14/05/223 मां :- ******
कुछ लम्हें ज़िन्दगी के
बोल का चोट बड़ा गहेरा होता है रात होती है फिर सवेरा होता है । मक़सद से हाथ जोड़ता सूरज के मतलब को तो चाँद भी ममेरा होता है । साँप हो चला, हर कोई जहाँ में फिर क्यों नंगा सपेरा होता है । एक गिलास पानी माँगना है हराम खुद पीले वरना खड़ा बखेरा होता है । ख़ुशबू आती है जिनके ग़ुस्लख़ाने से छिप के रोते है जब अँधेरा होता है। माशूक़ को अब बचे कहाँ आशिक़ जो साथ चलता वो चचेरा होता है। हुज़रो में कहाँ रहते है अब साधू आलीशान मकानों में बसेरा होता है । चासनी वाली जो ज़ुबाँ रखता है मान जा ज़िन्दगी वही लुटेरा होता है । पंछियों को कैसे मिलते नानक खेत में इंसाँ ने जो पूरा खेत उकेरा होता है। (उकेरा-खुदा हुआ, नानक- गुरुनानक) चोरी ने बना दिया रिश्ता कान्हा से अरे वो है न चोर चोर मौसेरा होता है । ताज़ा वेबा से ज़रा पूछो राम दीवाली दीये का उजाला कितना घनेरा होता है। ( घनेरा - घना ) इतना तप गया है ये बदन अब तो सोते सतिन्दर का रंग सुनेरा होता है । ( सुनहरा या पीला ) ✍️©️ सतिन्दर नज़्म होता है #kuchलम्हेंज़िन्दगीke #सतिन्दर #satinder #नज़्म #होताहै बोल का चोट बड़ा गहेरा होता है रात होती है फिर सवेरा होता है । मक़सद स
Archana Tiwari Tanuja
तेरे हांथ में :- यही तमन्ना है दिल की तेरे हाथ में हो हाथ मेरा, जीवन के अंत समय तक बना रहे ये साथ तेरा। मन का मन से अटूट बंधन-बांधा है तुमसे प्यारे, मै तेरे मन की राधा बन जाऊं तू बने श्याम मेरा। तेरी ही सूरत नज़र आए जब हो नवल सवेरा, प्यार, सत्कार मिले तेरे मन मंदिर हो मेरा डेरा। तन-मन किया समर्पित मैंने तुमको मेरे साजन, हर दिन हो प्रेम प्रणय संबंध हमारा और घनेरा। जन्म-मरण के साथी!इक-दूजे के हृदय बसेरा, नेह का धागा तोडू कैसे जनम-जनम का फेरा। प्रेम सरोवर में नांव उतारी पतवार हरी के हाथ, है भरोसा उबारेंगे प्रभु! तीव्र भंवर ने हमें घेरा। अर्चना तिवारी तनुजा ✍️✍️ ©Archana Tiwari Tanuja #TereHaathMein #Nojoto #NojotoHindi #MyThoughts #kavita 07/08/2023 यही तमन्ना है दिल की तेरे हाथ में हो हाथ मेरा, जीवन के अंत समय तक बना
Divyanshu Pathak
जब भी आयेगा आपके जीवन में प्रभात बादल छंट जाएंगे, सिमट जाएंगे प्रपात ! हाँ तुम देखना, रहना रुके वहीं पर मिट जाएंगे ये तिमिर भरे हालात ! उलझनों के जाल जो बिखरे हुए हैं कटेंगे,बनेंगे,नवजीवन की सौगात ! मैं हँसता नही, मुस्कुराता हूँ पल पल उमड़ते घुमड़ते जज़्बात ! बादलों में छुपते निकलते सूर्य की तरह है तुम्हारा यह प्रेम कभी सुनहरी धूप से पिघलते जज़्बात कभी बर्फ से जमते हुए एहसास तुम्हें समझ नही पाती
JS GURJAR
हर साँस शिकायत करती हैं! हर रोज बग़ावत करती हैं!! खुद से ही लडती झगती हैं! हैं खोई कहाँ पर राहें हैं!! हैं धुँआ - धुँआ मेरी राहों में, उसको ही चीरती रहतीं हूँ!! हर साँस शिकायत करती हैं,,,,,,, हैं लम्बा सफ़र मेरे ख्वाबों का, मंज़िल धुँधली - सी दिखती हैं!! चलती हूँ, चल कर रुकती हूँ! रुक कर फिर से चलती हूँ!! हैं हयात का सफ़र ए कैसा? इसमें ही पिसती रहतीं हूँ!! हर साँस शिकायत करती हैं,,,,, था ख़्वाब मुझें जो प्रिय, अब्तर, अब वो हो गया!! अब्तर सपना बड़ा चुभता हैं! ए दर्द घनेरा देता हैं!! अब हूँ मैं भावनाहीन एक कठपुतली, जो दूसरों के इशारों पर नाचती हैं!! हर साँस शिकायत करती हैं,,,,, हैं विचार अब मेरे सहमें - से, मेरी रचनाओं में सिमटे- से!! एक अंक जो मुझसे हट गया! हो गई हैं अब मेरी कहानी अदम - सी!! अन्जुमन में भी अब रहतीं हूँ मैं खोई - सी! क्यों? ऐसा मेरा बर्ताव हुआ!! हैं रंगहीन मेरे हयात में, कुछ भी ना अब शेष बचा!! कुछ खोया हैं! कुछ पाया हैं!! पर स्वयं से स्वयं में, मैं विजय हुई! इस बात की प्रसन्नता हैं!! हर साँस शिकायत करती हैं! हर रोज बग़ावत करती हैं!! ✍️js Gurjar पार्ट -3 हर साँस शिकायत करती हैं! हर रोज बग़ावत करती हैं!! खुद से ही लडती झगती हैं! हैं खोई कहाँ पर राहें हैं!! हैं धुँआ - धुँआ मेरी राहों