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Anjali Jain

#द्रोपदी और महाभारत, भाग 2, 19.04.20

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चक्रवर्ती महाराज युधिष्ठिर जिस प्रकार दाँव पर दाँव लगाए जा रहे थे, क्या वो एक चक्रवर्ती महाराज को शोभा देता था ? पितामह भीष्म, विदुर, गुरुजन, और सभी भाईयों की चिंता व  व्याकुलता को उन्होंने नजरअंदाज कर दिया, क्या यहाँ भी द्रोपदी दोषी थी? अपने निहित स्वार्थों के चलते चाटुकारिता करने वाली मंडली जब व्यक्ति के इर्दगिर्द मंडरा रही होती है तो मद में अंधा व्यक्ति क्या न कर गुजरे, दुर्योधन इसका साक्षी है! 
 यश और सफलता किस तरह सिर चढ़कर व्यक्ति को बेभान कर देती है, युधिष्ठिर इसके साक्षी हैं? 
धृतराष्ट्र का पुत्र मोह क्या रंग लाया? माना दुर्योधन अपमान की आग में झुलस रहा था किन्तु युधिष्ठिर को यहाँ तक पहुँचाने में तो द्रोपदी का कोई हाथ न था! महारथी भाइयों ने तो कोई सवाल ही नहीं किया! 
"आर्य पुत्र तो धर्म राज हैं अपनी पत्नी को तो कोई अधर्मी भी दाँव पर नहीं लगाता! वह पहले अपने आपको हारे थे या मुझे!" प्रश्न पूछने का साहस रखने वाली द्रोपदी, संपूर्ण नारी जाति का अभिमान है
हाँ, जुआ खेलना तो कतई गलत नहीं था, बस द्रोपदी के शब्दों ने महाभारत करवाई! 
वाह! पुरुषों का महा पौरुष!! #द्रोपदी और महाभारत, भाग 2, 19.04.20

Anjali Jain

#द्रोपदी और महाभारत, भाग 1, 19.04.20

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कितना सरल है घर - परिवार के झगड़ों का कारण एक स्त्री को मान लेना, अपनी कमजोरियों का इल्जाम एक स्त्री के माथे मढ़ देना? माना कि द्रोपदी ने दुर्योधन को बहुत ही अनुचित वचन कहे, बहुत अपमानित किया, ऎसा एक सुशिक्षित और सुसंस्कृत महारानी को शोभा नहीं देता, किंतु क्या इस बात से इंकार कर सकते हैं कि दुर्योधन की लालची गिद्ध दृष्टि इंद्र प्रस्थ पर पहले ही पड़ चुकी थी! अपमान की घटना से पूर्व ही! जिनकी महत्वाकांक्षाएँ प्रारंभ से ही गलत दिशा में भटक चुकी थी, उन पर नियंत्रण करने वाला कोई नहीं था बल्कि शकुनि और अंगराज तो उन्हें निरन्तर हाँक ही रहे थे!
चौसर खेलने का निर्णय शकुनि पहले ही ले चुके थे अतः चौसर खेलकर षड्यंत्र पूर्वक इंद्र प्रस्थ हड़पना तो पहले ही निश्चित हो चुका था, किन्तु क्या युधिष्ठिर की कमजोर मनःस्थिति इसके लिए जिम्मेदार नहीं थी कि वे अपने भाइयों और पत्नी को दाँव पर लगा सके!
क्या इसके लिए द्रोपदी उत्तरदायी थी? माना दुर्योधन के हृदय में प्रतिशोध की ज्वाला धधक रही थी वह अपने अपमान का बदला किसी भी तरह से लेता लेकिन पूरे महाभारत के युद्ध के लिए द्रोपदी को उत्तर दायी ठहराना अहंकारी व सामन्ती मनोवृत्ति का परिचायक है जो सचमुच निंदनीय है #द्रोपदी और महाभारत, भाग 1, 19.04.20

Parasram Arora

जीवन का महाभारत #कविता

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Vijender Mev

#मांवां ठंडीयां छांवां #कविता

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Prakash Shukla

"मैं और मेरी तन्हाई"सातवाँ भाग

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"मैं और मेरी तन्हाई"सातवाँ भाग
वह सीधे अपने घर पहुँची और फिर अगले दिन वह स्कूल नहीं आई मैं जब स्कूल पहुँचा तो सारा हाल सुना वह मुझसे कुछ कहना चाहती थी पर क्या यह भविष्य के गर्त में था मैने उसकी सहेली से बात की पर उसे भी उसके बारे मे ज्यादा कुछ पता नहीं था खैर यह दिन बीत गया 
                         अगले दिन जब वह आई तो वह चुपचाप गुमशुम सी बैठी थी उसकी चंचलता को जैसे किसी की नजर लग गई हो जैसे कोई बहुत बडी़ विपदा उस पर टूट पडी़ हो वह केवल शान्त बैठी थी
                         मैं हिम्मत जुटाकर उसके पास गया उससे उसकी उदासी का कारण जानना चाहा पर वह फिर भी शान्त ही बैठी रही उसने मुझसे बात भी नहीं किया वह क्या सोंच रही थी यह समझ पाना मेरे लिए कठिन था उसकी खामोशी मुझे खल रही थी मुझे उसका खामोश रहना खाए जा रहा था वह लड़की जो कभी शान्त नहीं रहती वह आज शान्त कैसे थी मेरा तो सर फटा जा रहा था यह सोंचकर
                         हम सब क्लास मे गए और सभी अपनी अपनी जगह बैठ गए वह काफी उदास थी उसका चेहरा भी लाल टमाटर जैसा दिखने लगा था मैं तो पागल हुआ जा रहा था कि उसको हुआ क्या है करीब स्कूल के पाँच घण्टे बीत गए थे पर उसको क्या हुआ यह समझ नहीं आ रहा था पर मुझे उसका टमाटर जैसा लाल चेहरा तो दिख रहा था पर मेरा चेहरा तो मैं देख ही नहीं पा रहा था सभी मेरे चेहरे को देखकर हँसने लगे मेरे चेहरे का रंग तो पता नहीं कौन कौन से ले रहा था मेरा चेहरा बैंगन की तरह काला पड़ चुका था चारो ओर सब मुझ पर हँस रहे थे मुझे बुरा भी लगा पर उन हँसते हुए चेहरों में कहीं एक खिलखिलाता सा चेहरा भी नजर आ रहा था जिसकी वजह से मैं कुछ बोल नहीं पाया आज के दिन उसने मुझे बुद्धू बनाए रखा मैं स्तब्ध रह गया पर उसके मुस्कुराते चेहरे को देखकर मै सब भूल गया बस उसको खिलखिलाते देखना ही अच्छा लगने लगा था छुट्टी होने के बाद हम सब अपने अपने घर चले गए हमें आज एक टास्क मिला था जिसे हमें दो दिन मे पूरा करना था हम सबको उस टास्क को पूरा करने के लिए एक टीम का चयन करना था जो अगले दिन किया गया
                                  *प्रकाश* "मैं और मेरी तन्हाई"सातवाँ भाग

Raj

महाभारत आधुनिक युग का #कॉमेडी

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