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sneha Tiwari
हस्ते रहा करिए जिंदगी बहुत छोटी है , क्या पता बाद में आप हंसना चाहे , पर आपके और हमारे बीच में एक दीवार हो : कब्र ©sneha Tiwari #डेथ
Shyam Sharma
आखें खोलू तो चेहरा तुम्हारा हो, बंद करू तो सपना तुम्हारा हो, मर भी जाऊ तो कोई गम नहीं, बस “कफ़न” के बदले, “आँचल” तुम्हारा हो... ©Shyam Sharma डेथ #Bonfire
Ranu Gupta
#OpenPoetry एक बार वक़्त से लम्हा गिरा कहीं वहां दास्तां रह गई लम्हा कहीं नहीं थोड़ा सा हंसा के थोड़ा सा रुला के पल ये भी जाने वाला है #गीता दत्त
मनुस्मृति त्रिपाठी
खुशबु का यूँ फ़िज़ाओं में बिखरना... खुशबू का यूँ खज़ा में बिखरना कुछ तो कह रहा है नर्गिस ये नूर की खुशबू है तुझे तो पता है न नर्गिस लगता है बरसात में तेरा भंवरा भींग गया है नर्गिस तभी तो वापस अपने घर को वो चला है नर्गिस फ़िज़ाओं से कह दो कि अब जायें यहाँ से क्योंकि अब धीरे-धीरे बे-नूर से नूर हो रही है नर्गिस ये तुम्हारी आंखो का काजल बता रहा है नर्गिस तुम आज बड़ी खुश दिख रही हो नर्गिस नर्गिस बेनूरी खज़ा है नर्गिस
मनुस्मृति त्रिपाठी
कब तक बहता रहेगा मेरा लहू नर्गिस उस अंधे देवता से क्या कहूँ नर्गिस ये सोच कर तो न आयी थी तेरी इस जमीं पे नर्गिस अब तू ही बता कहाँ रहे तेरी नर्गिस दूर से देखती थी इस जमीं को जब लगी थी मुझको ये हरी-भरी नर्गिस आसमां से चली थी मैं बन के इक परी नर्गिस आ देख ले खुदा कहां पर पड़ी है तेरी नर्गिस माँ का आँचल पिता का प्यार पाने को तरस रही जाने किस जमाने से नर्गिस मिला था जब से इक फरिश्ता तेरा मुझको तब से खुद को ही खो बैठी है तेरी नर्गिस नर्गिस के फूल पर वो नूर बन के जो पड़ा तो खिलखिला उठी ये नर्गिस देख ले तु भी खुदा हाल-ए-मोहब्बत नूर का हो गयी बे-नूर-ए-मोहब्बत तेरी प्यारी नर्गिस नर्गिस बेनूरी खज़ा तेरी नर्गिस
Roshni Mehar
कि मेरी आख़िरी थी रात उनसे हम कह ना सके कि करनी थी उनसे मुलाक़ात हम कह ना सके वक़्त ने ही हमें वक़्त का मोहताज़ कर दिया कि जो दिल में थी बात उनसे हम कह ना सके नियर तो डेथ
मनुस्मृति त्रिपाठी
मौत से नर्गिस नही खुद मौत नर्गिस से डरती है बुलाती हूँ हर रोज उसे बड़े प्यार से न जाने क्यो न आने के हजार बहाने करती है बड़ी बेवफ़ा निकली है ये मौत भी उसकी तरह जब जब होती है जरूरत इनकी तो ये दोनो आना कानी करती है मौत से नर्गिस नही खुद मौत नर्गिस से डरती है मेरे लिए अब दोनो एक से हुए हैं मौत और वो जो मेरी जिंदगी दोनो का ही नर्गिस बेसब्री से इंतज़ार करती है नर्गिस बेनूरी खज़ा मौत से नर्गिस नहीं मौत नर्गिस से डरती है