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Anil Siwach
Anil Siwach
Ek villain
इन दिनों देश की राजधानी दिल्ली राजनीति अखाड़े में तब्दील हो चुकी है दिल्ली में नगर निगम के चुनाव और गुजरात विधानसभा के चुनाव के मजेदार आम आदमी पार्टी और भाजपा आमने-सामने है दिल्ली की राजनीतिक गलियारों में जो ताना-बाना बुना जा रहा है उसमें आरोप-प्रत्यारोप के साथ ही सीबीआई आईडी और इनकम टैक्स के दुरुपयोग की चर्चा जोरों पर है 17 अक्टूबर को दिल्ली के शराब घोटाले के संदर्भ में उपमुख्यमंत्री को सीबीआई कार्यालय में तलब किया गया था मनीष सिसोदिया इस शक्ति प्रदर्शन का अफसर बनकर हजारों समर्थकों के साथ सीबीआई कार्यालय पहुंचे इस पर बीजेपी प्रवक्ता संदीप पात्रा ने सेलिब्रेशन ऑफ कॉरपोरेशन का नाम देकर तीखी टिप्पणी की भाजपा और आम आदमी पार्टी की राजनीतिक रस्साकशी मीडिया की सुर्खियों बटोर रही है ©Ek villain #Art #राजनीतिक अखाड़े में ताबील होती हुई दिल्ली सरकार
आशीष के अल्फाज
अखाड़े में हो जाते है तपदील घर उतराधिकारी की जब बात चलती है आपने भी पराए हो जाते है भाई भाई यहां जानवरो से बत्तर लड़ते है ©आशीष के अल्फाज #Luka_chuppi #nojohindi #nojotoenglish #nojotostory #nojoto2lines अखाड़े में हो जाते है तपदील घर उतराधिकारी की जब बात चलती है आपने भ
M J Rahi
Rakesh frnds4ever
उलझन इस बात की है कि हमें .......उलझन किस बात की है अपनों से दूरी की या फिर किसी मज़बूरी की खुद की नाकामी की या किसी परेशानी की दुनिया के झमेले की या मन के अकेले की पैसों की तंगी की या जीवन कि बेढंगी की रिश्तों में कटाक्ष की या फिर किसी बकवास की दुनिया की वीरानी की या फिर किसी तनहाई की अपनी व्यर्थता की या ज़िन्दगी की विवशता की खुद के भोलेपन की या फिर लोगो की चालाकी की अपनी खुद की खुशी की या दूसरों की चिंता की खुद की संतुष्टि की या फिर दूसरों से ईर्ष्या की खुद की भलाई की या फिर दूसरों की बुराई की धरती के संरक्षण की या फिर इसके विनाश की मनुष्य की कष्टता की या धरती मां की नष्टता की मानव की मानवता की या फिर इसकी हैवानियत की बच्चो के अपहरण की या बच्चियों के अंग हरण की प्यार की या नफरत की ,,जीने की या मरने कि,,, विश्वाश की या धोखे की,, प्रयास की या मौके की बदले की या परोपकार की,,, अहसान की या उपकार की ,,,,,,ओर ना जाने किन किन सुलझनों या उलझनों या उनके समस्याओं या समाधानों या उनके बीच की स्थिति या अहसासों की हमें उलझन है,,, की हम किस बात की उलझन है..==........... rkysky frnds4ever #उलझन इस बात की है कि,,, हमें ...... उलझन किस बात की है अपनों से दूरी की या फिर किसी #मज़बूरी की खुद की नाकामी की या किसी परेशानी की #दुनि
आलोक कुमार
बस यूँ ही चलते-चलते ......... जरा सोचिए कि आजकल हमलोग खुद को बेहतर बनाने के लिए कौन-कौन से गलत/अभद्र नुस्खें अपनाते जा रहे हैं. ना ही उस नुस्खें के चरित्र, प्रकरण एवं उसके कारण दूसरे मनुष्य, आसपास, समाज, देश व आगामी पीढ़ी पर असर का ख्याल रख रहें हैं, न ही ख़यालों को किसी को समझने का मौक़ा दे रहे हैं. बस अपने ही धुन में उल्टी सीढ़ी के माध्यम से अपने आप को आगे समझते हुए सचमुच में बारम्बार नीचे ही चलते जा रहे है. तो जरा एक बार फिर सोचिए कि उल्टी सीढ़ी उतरने और सीधी सीढ़ी चढ़ने में क्रमशः कितनी ऊर्जा, शक्ति और समय लगती होगी. यह भी पता चलता है कि आज की पीढ़ी की ऊर्जा और शक्ति का किस दिशा में उपयोग हो रहा है और शायद यही कारण है कि आज का "गंगु तेली" तो "राजा भोज" बन गया और "राजा भोज", "गंगु तेली" बन कर सब गुणों से सक्षम रहने के बावज़ूद नारकीय जीवन जीने को मजबूर है. यही हकीकत है हम अधिकतर भारतवासियों का...... आगे का पता नहीं क्या होगा. शायद भगवान को एक नए रूप में अवतरित होना होगा. आज की पीढ़ी की सच्चरित्र की हक़ीक़त