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आशीष गौड़

हर युग के अवशेषों से यह प्रश्न पूछना! क्या द्वंदों के प्रतिफल से भी जीत मिला करती है! कुरुवंशज की नीति वहां पर मौन खड़ी थी, भरी सभा में जब स

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हर युग के अवशेषों से यह प्रश्न पूछना!
क्या द्वंदों के प्रतिफल से भी जीत मिला करती है!

कुरुवंशज की नीति वहां पर मौन खड़ी थी,
भरी सभा में जब सन्नाटे चीख रहे थे!
बंधित लाये रंगमंच पर रजस्वला को,
दुःशासन की जांघें व्याकुल दीख रहे थे!
अपितु हमारा प्रश्न दूसरा है इति से अब,
विध्वंसों में तुम क्यों दक्ष बने फिरते हो!
प्रश्नों के उत्तर से चिन्तित होने वालों,
अंधियारों में फिर क्यों यक्ष बने फिरते हो!


सब ग्रंथों के उपसंहार में, 
नारी क्यों भयभीत मिला करती है!
हर युग के अवशेषों से यह प्रश्न पूछना,
क्या द्वंदों के प्रतिफल से भी जीत मिला करती है!


महीपति तब भी चक्षुविहीन हुआ करते थे,
द्वापर में भी छल से काफी काम हुए थे,
आलौकिक थी त्रेता की वह प्रेम कहानी,
तुलसी की रामायण में संग्राम हुए थे!
योजन नापे रघुनंदन ने सेतु बनाकर,
संयोजकता के बल पर वह सफल हुए थे!
दम्भ में उलझे नृपों को मही में पिघलाकर,
पर महिजा को पाने में वह विफल हुए थे!

आसक्ति हमारी माता सिय से पूछ रही है!
अग्निपरीक्षा देकर भी क्या प्रीत मिला करती है!
हर युग के अवशेषों से यह प्रश्न पूछना,
क्या द्वंदों के प्रतिफल से भी जीत मिला करती है!

आशीष गौड़ हर युग के अवशेषों से यह प्रश्न पूछना!
क्या द्वंदों के प्रतिफल से भी जीत मिला करती है!

कुरुवंशज की नीति वहां पर मौन खड़ी थी,
भरी सभा में जब स

Bhupendra Rawat

शांति स्थापित करने के लिए लड़े गए युद्ध खून बहाने के लिए पढ़ाए गए नवीनतम पाठ ''अहिंसा परमो धर्म'' को हटाकर छाप दिए गए, नए धर्मग्रंथ और लिख द #Books #कविता

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शांति स्थापित करने के लिए लड़े गए युद्ध
खून बहाने के लिए पढ़ाए गए नवीनतम पाठ
''अहिंसा परमो धर्म'' को हटाकर 
छाप दिए गए, नए धर्मग्रंथ और 
लिख दिया गया ''हिंसा परमो धर्म''

छोड़ दिये गए मानव जाति के अवशेष
अवशेषों को सुरक्षित रखने के लिए
बनाए गए संग्राहालय
हथियारों की उपज के लिए 
बनाए गए कारख़ाने
कारखानों में एक ओर भरा गया 
लाल स्याह मज़दूर
दूसरी ओर से निकाला गया 
आमजन का रक्त

भुपेंद्र रावत
27।02।2022

©Bhupendra Rawat शांति स्थापित करने के लिए लड़े गए युद्ध
खून बहाने के लिए पढ़ाए गए नवीनतम पाठ
''अहिंसा परमो धर्म'' को हटाकर 
छाप दिए गए, नए धर्मग्रंथ और 
लिख द

रजनीश "स्वच्छंद"

कुछ शेष नहीं है कहने को। अवशेषों का ढेर लगा, कुछ शेष नहीं है कहने को। स्वांग रचाया इतना मैंने, कुछ शेष नहीं है ढकने को। बर्बख्त मैं खुद को #Poetry #Quotes #Life #kavita

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कुछ शेष नहीं है कहने को।

अवशेषों का ढेर लगा, कुछ शेष नहीं है कहने को।
स्वांग रचाया इतना मैंने, कुछ शेष नहीं है ढकने को।

बर्बख्त मैं खुद को छलता हूँ, 
आवारा सा हुआ मैं चलता हूँ।
कोई सोच नहीं, दृष्टि भी नहीं,
बस उगता और मैं ढलता हूँ।

जीवन पथ पर चला नहीं मैं,
बस पांव हवा में चलाता हूँ।
जो जमीं टटोली कल मैने,
त्रिशंकु बन लटका पाता हूँ।

कब हुआ सवेरा, शाम ढली,
मुर्गा भी नहीं कि बांग दूँ मैं।
भवसागर में गोते खाता हूं।
हनुमान नहीं कि लांघ दूँ मैं।

समरथ माने बैठा निज को,
सत्य असत्य का ज्ञान नहीं।
मैं ही दानव, था दैव भी मैं,
निज का कतई था भान नहीं।
आज अकेला बैठा हूँ, कुछ शेष नहीं है छलने को।
अवशेषों का ढेर लगा, कुछ शेष नहीं है कहने को।

केवट मुझको दिखा नहीं,
जो खेकर पार लगा पाता।
मुख पर जल की दे दो बूंदे,
मुझ सोये को जगा पाता।

सबरी भी नहीं थी बैर लिए,
मैं जूठन के मानो योग्य नहीं।
हनुमान सा तारणहार मिले,
जुट पाया ऐसा संयोग नहीं।

जिस पत्थर पर नाम लिखा,
घुटने भर पानी में डूब गया।
किस आस कदम बढाऊँ मैं,
भगवन भी मेरा है रुठ गया।

नीर भरी आंखों से मैं अब,
अपने पदचिन्ह मिटाता हूँ।
ले लेखनी निज बिम्ब बना,
दर्पण मैं सबको दिखाता हूँ।
अश्रुधार भी सूख गए, कुछ शेष नहीं है बहने को।
अवशेषों का ढेर लगा, कुछ शेष नहीं है कहने को।

©रजनीश "स्वछंद" कुछ शेष नहीं है कहने को।

अवशेषों का ढेर लगा, कुछ शेष नहीं है कहने को।
स्वांग रचाया इतना मैंने, कुछ शेष नहीं है ढकने को।

बर्बख्त मैं खुद को

Swarima Tewari

कितने आँसू हैं जो लड़के पी गए कितनी बातें हैं जो लड़कियाँ बोली नहीं "आँसू लड़कियों की भाषा है और बोली लड़कों की" ये कहकर कितने पुरुषों के आँसू स #स्त्री #hindiquotes #yqbaba #yqdidi #yqhindi #yqdidihindi

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कितने आँसू हैं जो लड़के पी गए
कितनी बातें हैं जो लड़कियाँ बोली नहीं
"आँसू लड़कियों की भाषा है और बोली लड़कों की"
ये कहकर
कितने पुरुषों के आँसू स्त्रियों की आँखों से बहाए गए
कितनी बातें स्त्रियों की पुरुषों के ज़ुबाँ से सुनी गई
बाँधा गया है सदियों से दोनों को भाषायों में
अगर बोली स्त्री की भाषा नहीं थी 
तो उसकी ज़ुबाँ का होना कुदरत का मज़ाक रहा होगा
अगर आँसू की भाषा केवल स्त्री जानती है 
तो पुरुषों का आँखों के साथ जन्म लेना एक संयोग मात्र
.
हमको पढ़ाया गया केवल शरीर का विज्ञान
भाषा विज्ञान जला दिया गया
फिर बचे अवशेषों ने पोंछ दिये आँसू और काट दी ज़ुबाँ! कितने आँसू हैं जो लड़के पी गए
कितनी बातें हैं जो लड़कियाँ बोली नहीं
"आँसू लड़कियों की भाषा है और बोली लड़कों की"
ये कहकर
कितने पुरुषों के आँसू स

Sunita D Prasad

#एक दिन...... एक दिन संग्रहालयों में.... दुर्लभ धर्मग्रंथों, खंडित प्रतिमाओं और सभ्यता के अवशेषों के स्थान पर संग्रहित किए जाएँगे..... वे #yqbaba #yqdidi #yqpowrimo

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पूर्व में घटित त्रासदियों से
सबक लेने से 
अधिक आवश्यक है..
प्रेम को समझना, सहेजना 
और उसको सँवारना। 
ताकि भावी पीढ़ियों को
आवश्यकता ही न पड़े
कट्टर धर्म अभिलेखों की
अहंकार में होने वाले
आपसी संघर्षों/युद्धों  का।।

--सुनीता डी प्रसाद💐💐

(कैप्शन में पढ़िए) #एक दिन......

एक दिन संग्रहालयों में....
दुर्लभ धर्मग्रंथों, खंडित प्रतिमाओं 
और सभ्यता के अवशेषों के स्थान पर 
संग्रहित किए जाएँगे.....
वे

Ravendra

विधायक नानपारा ने पराली प्रबन्धन प्रचार वाहन को दिखाई हरी झण्डी बहराइच खेतों में फसल अवशेष न जलाने तथा फसल अवशेषों के बेहतर प्रबन्धन से अज #न्यूज़

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