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नि:शब्द अमित शर्मा
बेटी मेरे घर में भी " धान " की फसल उग आई है लक्ष्मी के रूप में बेटियाँ घर आई है मेरा फर्ज है कि उनकी देखभाल अच्छे से करूँ फसल किसी और कि है मेरे हिस्से में तो सिर्फ मेहनत ही आयी है और कहता हूं कि.........!! की एक दिन ले लेजाएँगे साहूकार हिसाब करके उनके जाने का दुःख नही ख़ुशी होगी मुझे, मेरी किसानी की यही तो मेरी सच्ची कमाई है ©निःशब्द अमित शर्मा #Poetry Betiyan
Anurag kumar singh
आंख भरे होंगे आशु से , फिर से बेटियां रोई होंगी फिर सहमी होंगी वो ,फिर डर की दुनिया में खोई होगी पहले दूजो से खतरा था , शायद अब खुद से डरती होंगी खुद का सम्मान बचाने को शायद वो खुद से लड़ती होंगी मन दुविधा से संचित होगा किसको सम्मान का ढाल कहे वो जब साथी ही उसके खिलाफ हो गैरो को क्या काल कहे वो क्रूर हां कलयुग में किस पर ज़रा सा भी विश्वास करें वो जब हर तरफ अपने साथियों से ही धोखे का आभास करें वो हम तुम सोच नही सकते उनके मन में क्या भाव होंगे पिछले कल और अगले कल में हां कितने बदलाव होंगे किस डर भय और किस पीड़ा में वो हर पल मरती होंगी पर इतना तय है अब बाहर आने से भी डरती होंगी भले वक्त के साथ उनके मन भाव में बदलाव होगा पर इतना तय है जीवनभर उनके दिल में ये घाव होगा ©Anurag kumar singh #Betiyan #Life #Poetry
utkarsh
किन लफ़्ज़ों में बयाँ करू,. मै ज़िंदगानी बेटी की.... घर से लेकर ससुराल तक ताने बहुत ही सुनती हैं उफ्फ तक न करती वो,, हर दर्द को सह जाति है। माँ - बाप की इज़्ज़त का खयाल उसको हर पल रहता है, यही सोच कर उसके मन मे एक सवाल तो रहता है। जवाब उसे मिल जाता है, जब वह खुद माँ बन जाती है। माँ - बाप के डर का मतलब भी वो उस वक़्त समझ जाती है,.. जब वो बेटी खुद एक बेटी की माँ बन जाती है.... किन लफ़्ज़ों में बयाँ करू मै ज़िंदगानी बेटी की.... बड़ी दर्द नुमा है ये कहानी बेटी की।। © utkarsh #Betiyan #बेटी #Betiyan #feelings
Kavi Narayan
night quotes in hindi बेटियां परायाधन नही होतीं है वे तो करुणा त्याग दया सहनशीलता की मूरत होतीं है #NojotoQuote Betiyan #betiyan#paradhan #stree#shaktishali
Betiyan #Betiyan#paradhan #stree#shaktishali
read moreAkriti Singh
तेरी मुस्कान में छुपा है जहाँ का प्यार, तू है मेरी रौशनी, तू है मेरा इज़हार। फूलों की तरह खिलती रहे तेरी जिंदगी, बाबा की बदौलत, तू है हमारी रौशनी। तेरी हर मुसीबत, मेरे दिल को छू जाती है, तू है मेरी दुनिया, तू है मेरी जान। बेटी होना एक आशीर्वाद है, तू है मेरा गर्व, तू है मेरा संसार। तेरी हंसी में बसी है सारी खुशियाँ, तू है मेरा सपना, तू है मेरी राह। बेटियाँ होती हैं खुदा की एक छोटी सी मूरत, तेरी हर हँसी में है प्यार का इज़हार। ©Akriti Singh #Betiyan
RAJ JAAT
विवाह के बाद पहली बार मायके आयी बेटी का स्वागत सप्ताह भर चला। सप्ताह भर बेटी को जो पसन्द है, वो सब किया गया।वापस ससुराल जाते समय पिता ने बेटी को एक अति सुगंधित अगरबत्ती का पुडा दिया और कहा कि पुत्री तुम जब ससुराल में पूजा करोगी तब यह अगरबत्ती जरूर जलाना... माँ ने मन्द स्वर में कहा- बिटिया प्रथम बार मायके से ससुराल जा रही है, तो भला कोई अगरबत्ती जैसी चीज देता है? पिता ने झट से जेब मे हाथ डाला और जेब मे जितने भी रुपये थे, वो सब बेटी को दे दिए... ससुराल में पहुंचते ही सासु माँ ने बहु का बैग टटोला और पूछा कि तुम्हारे माँ बाप ने बिदाई में क्या दिया, कुछ विशेष न मिलने पर उनकी नजर अगरबत्ती का पुडे पर पड़ी । क्रोधवश सासु माँ ने मुंह बना कर बहु को बोला कि कल पूजा में यह अगरबत्ती लगा लेना... सुबह जब बेटी पूजा करने बैठी, अगरबत्ती का पुडा खोला तो उसमे से एक चिट्ठी निकली- लिखा था... बेटी यह अगरबत्ती स्वतः जलती है, मगर संपूर्ण घर को सुगंधित कर देती है। इतना ही नही, आजू-बाजू के पूरे वातावरण को भी अपनी महक से सुगंधित एवं प्रफुल्लित कर देती है...!! हो सकता है की तुम कभी पति से कुछ समय के लिए रुठ जाओगी या कभी अपने सास-ससुरजी से नाराज हो जाओगी, कभी देवर या ननद से भी रूठोगी, कभी तुम्हे किसी से बाते सुननी भी पड़ जाए, या फिर कभी अडोस-पड़ोसियों के बर्ताव पर तुम्हारा दिल खट्टा हो जाये, तब तुम मेरी यह भेंट ध्यान में रखना - अगरबत्ती की तरह जलना, जैसे अगरबत्ती स्वयं जलते हुए पूरे घर और सम्पूर्ण परिसर को सुगंधित और प्रफुल्लित कर ऊर्जा से भरती है, ठीक उसी तरह तुम स्वतः सहन करते हुए ससुराल को अपना मायका समझ कर सब को अपने व्यवहार और कर्म से सुगंधित और प्रफुल्लित करना... बेटी चिट्ठी पढ़कर फफक-2 कर रोने लगी, सासू माँ दौड़कर आयी, पति और ससुरजी भी पूजा घर मे पहुंचे जहां बहु रो रही थी। "अरे हाथ को चटका लग गया क्या? -पति ने पूछा "क्या हुआ यह तो बताओ- ससुरजी बोले। सासु माँ आजू बाजू के सामान में कुछ है क्या- यह देखने लगी तो उन्हें पिता द्वारा सुंदर अक्षरों में लिखी हुई चिठ्ठी नजर आयी, चिट्ठी पढ़ते ही उन्होंने बहु को गले से लगा लिया और चिट्ठी ससुरजी के हाथों में दी। चश्मा ना पहने होने की वजह से चिट्ठी बेटे को देकर पढ़ने के लिए कहा... सारी बात समझते ही संपूर्ण घर स्तब्ध हो गया। "सासु माँ उच्च स्वर में बोली अरे यह चिठ्ठी फ्रेम करानी है, यह मेरी बहू को मिली हुई सबसे अनमोल भेंट है, पूजा घर के बाजू में ही इसकी फ्रेम होनी चाहिए । और फिर सदैव वह फ्रेम अपने शब्दों से सम्पूर्ण घर, और अगल-बगल के वातावरण को अपने अर्थ से महकाती रही, और अन्ततः अगरबत्ती का पुडा खत्म होने के बावजूद भी... क्या आप भी ऐसे संस्कार अपनी बेटी को देना चाहेंगे ... *बेटियां दो कुलों को महकाती है * ©RAJ JAAT #Betiyan