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Vee Joshi
उसकी कत्थई आँखों में हैं जंतर-मंतर सब चाक़ू-वाक़ू, छुरियाँ-वुरियाँ, ख़ंजर-वंजर सब जिस दिन से तुम रूठीं मुझ से रूठे-रूठे हैं चादर-वादर, तकिया-वकिया, बिस्तर-विस्तर सब मुझसे बिछड़ कर वह भी कहाँ अब पहले जैसी है फीके पड़ गए कपड़े-वपड़े, ज़ेवर-वेवर सब आखिर मै किस दिन डूबूँगा फ़िक्रें करते है कश्ती-वश्ती, दरिया-वरिया लंगर-वंगर सब #राहत #इन्दोरी
MukeshkrGautam
यहीं हुसैन भी गुज़रे यहीं यज़ीद भी था हज़ार रंग में डूबी हुई ज़मीं हूँ मैं ये बूढ़ी क़ब्रें तुम्हें कुछ नहीं बताएंगी मुझे तलाश करो दोस्तो यहीं हूँ मैं राहत इन्दोरी
Abhinav Raj
हर एक इम्तिहां से गुज़र तोड़ी जाएंगे तुझसे नही मिलेंगे तो मर तोड़ी जायेंगे राहत इन्दोरी राहत इन्दोरी साहब
Laxman Shekhawat
khali hamne uhi makan rehne diya tum gaye to kab dusre ko yaha rehne diya kal chhahto ki sab kitabe fad di kagaj pe likha ek sabd maa rehne diya. राहत इन्दोरी साहब की पंक्तिया
arunendra
जिंदगी का अजीब दस्तूर हैं, गम का दामन सूखता नहीं... इक शब्द मर गया यहां, वो किसी को खबर नहीं... अल्फाज़ो में रंग भर जमाना रंग दिया तेरे जाने से पूरा शहर वीरान हो गया... शाक से पत्ते झड जाये तो क्या गिला करे... मेरे आँगन से पूरा बाग उजड़ गया... arun✍️... rip#राहत इन्दोरी#nojoto#india